अबू मुरीखा क्षेत्र में स्थित इस मंदिर की लागत लगभग 700 करोड़ रुपये है। इसे गुलाबी राजस्थान बलुआ पत्थर और सफेद इतालवी संगमरमर पत्थर से बनाया गया है। भारत में तराशने के बाद इसे संयुक्त अरब अमीरात में इकट्ठा किया गया।
यह मंदिर अबू धाबी के क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान द्वारा दान की गई 13.5 एकड़ जमीन पर बनाया गया है। उन्होंने 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की UAE यात्रा के दौरान जमीन दान की थी।
BAPS (बोचासनवासी अक्षर पुरूषोत्तम स्वामीनारायण संस्था) एक हिंदू संप्रदाय है। भगवान कृष्ण के अवतार के रूप में स्वामीनारायण के प्रति अपनी श्रद्धा के लिए जाने जाने वाले इस संप्रदाय ने मंदिर के निर्माण का सारा जिम्मा उठाया है।
मंदिर का डिजाइन वैदिक वास्तुकला और मूर्तियों से प्रेरित है। मंदिर के सात शिखरों में से प्रत्येक संयुक्त अरब अमीरात के एक अमीरात का प्रतीक है।
2017 में पीएम मोदी ने मंदिर की आधारशिला रखी थी। यूएई सरकार ने जनवरी 2019 में 13.5 एकड़ जमीन और मंदिर को बनाने के लिए आवंटित की।
इसके फाउंडेशन में करीब 100 सेंसर लगे हैं। इसके अलावा भूकंप जैसी किसी भी स्थिति की जांच करने के लिए और भी जगहों पर सेंसर लगाए गए हैं।
अयोध्या राम मंदिर की तरह इस मंदिर को बनाने में लोहे और स्टील का इस्तेमाल नहीं किया गया है।
उद्घाटन समारोह के लिए रजिस्ट्रेशन पोर्टल स्थापित किया गया है। यह कार्यक्रम संयुक्त अरब अमीरात में 150 भारतीय सामुदायिक संगठनों द्वारा आयोजित किया जा रहा है।
मंदिर के उद्घाटन से पहले 12 फरवरी को सद्भाव के लिए एक प्रतीकात्मक 'यज्ञ' आयोजित किया गया था।