Zero Rupee Note: भारत में छप चुका है शून्य रुपये का नोट, विश्व बैंक ने बताई ये असली वजह

Zero Rupee Note: भारत में 1 रुपये के नोट से लेकर 10,000 रुपये तक के नोट छापे जा चुके हैं। हो सकता है आपने देखे भी होंगे। लेकिन देश में शून्य रुपये का नोट भी छप चुका है। इस नोट की छपाई साल 2007 में शुरू हुई थी। इसके बाद साल 2014 में इस बंद कर दिया गया। जानिए आखिर इस नोट की छपाई क्यों की गई

अपडेटेड Dec 28, 2023 पर 5:50 PM
Story continues below Advertisement
Zero Rupee Note: साल 2007 में चेन्‍नई के एक गैर सरकारी संगठन ने नोट छापा था।

Zero Rupee Note: नोटबंदी का समय आखिर सबको याद होगा। जब एक झटके में 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट महज कागज के टुकड़े बन गए थे। लेकिन उससे पहले भारत में शून्य रुपये का नोट भी छप चुका है। यह नोट इतना कारगर रहा कि इसकी डिमांड हर जगह बढ़ती चली गई। इस नोट का कोई मूल्य नहीं था। यानी कुछ भी सामान नहीं खरीद सकते थे। लेकिन इसे कई सालों तक छापा गया। दक्षिण भारत से लेकर उत्तर भारत और पूरे देश में इसकी मांग दिनों दिन बढ़ती जा रही थी। करीब 7 साल बाद इस नोट की छपाई बंद हो गई।

वैसे भी भारत में 1 रुपये से लेकर 10,000 रुपये तक के नोट छापे गए हैं। फिलहाल 10,000 रुपये के नोट छापना बहुत पहले बंद हो गया था। ऐसे ही 1000 रुपये के नोट भी बाजार में आए। लंबे समय तक चलन में रहे। इसके बाद बंद हो गए। फिर 2000 रुपये के नोट भी बाजार में आए। फिलहाल 2000 रुपये के नोट बाजार और बैंकों के लेनदेन से हटा दिए गए है। हम आपको बता रहे हैं कि आखिर शून्य रुपये का नोट क्यों छापा गया? इसकी जरूरत क्या थी?

भारत में शून्य रुपये का छापा गया नोट


दरअसल, साल 2007 में चेन्‍नई की एक गैर सरकारी संगठन (NGO) 5 पिलर (5th Pillar) ने शून्‍य रुपये का नोट छापा था। इस नोट पर सरकार या रिजर्व बैंक की ओर से कोई गारंटी नहीं दी गई थी। इसमे चलन में भी नहीं लाया गया। यानी इसे लेनदेन से बाहर रखा गया। इस नोट के जरिए एक खास संदेश दिया गया था। इसे हिंदी, तमिल, कन्‍नड़, मलयालम और तेलुगू भाषा में छापा गया था।

आखिर क्यों हुई शून्य रुपये के नोट की छपाई?

देश के सरकारी दफ्तरों में भ्रष्‍टाचार सर चढ़ कर बोल रहा था। जहां भी कोई काम हो तो बिना चढ़ावे के काम नहीं होता था। जिससे आम जनता का हाल बेहाल था। ऐसे में भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के मकसद से शून्य रुपये के नोट की छपाई की गई। 5 पिलर ने शून्य रुपये का नोट छापा। इसके बाद जहां कहीं भी घूस की मांग की जाती तो यह शून्य रुपये का नोट थमा दिया जाता।

Bharat Rice: सरकार 25 रुपए किलो चावल बेचेगी, जानिए कहां और कब तक मिलेगा सस्ता चावल

हम न रिश्वत लेंगे न देंगे

शून्य रुपये का नोट छापकर यह शपथ दिलाई गई कि हम न तो रिश्वत देंगे और न ही लेंगे। एक अभियान के जरिए इन नोटों को रेलवे स्‍टेशनों, बस स्‍टेशन और बाजारों में बांटा गया। NGO की ओर से भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों को जागरूक किया गया। यह अभियान पूरे 5 साल तक चलता रहा। इस दौरान 5 लाख से ज्‍यादा नागरिकों से जीरो करप्‍शन के खिलाफ खड़े होने को लेकर हस्‍ताक्षर भी कराए गए। साल 2014 तक यह अभियान चलाया गया। करीब 25 लाख शून्य रुपये के नोट छापे गए। शून्‍य रुपये के नोट का रंग-रूप बिलकुल 50 रुपये की तरह था। इस पर सामने की तरफ नीचे एक शपथ लिखी थी, ‘मैं कभी घूस न लूंगा, न दूंगा।’

Jitendra Singh

Jitendra Singh

First Published: Dec 28, 2023 5:50 PM

हिंदी में शेयर बाजारस्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंसऔर अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।