रिजर्व बैंक (आरबीआई) अगले हफ्ते अपनी मॉनेटरी पॉलिसी में इंटरेस्ट रेट घटाने का ऐलान कर सकता है। आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी की बैठक 7 अप्रैल को शुरू होगी। इसके नतीजे 9 अप्रैल को आएंगे। इकोनॉमिस्ट्स का कहना है कि केंद्रीय बैंक के उपायों से सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ी है। इसके बावजूद इकोनॉमिक ग्रोथ बढ़ाने के लिए रेपो रेट में अगले हफ्ते एक चौथाई फीसदी की कमी कर सकता है।
रेसिप्रोकल टैरिफ लागू होने के बाद रेट कट की उम्मीद बढ़ी
इकोनॉमिस्ट्स का कहना है कि अमेरिका के रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने के बाद केंद्रीय बैंक के इंटरेस्ट रेट घटाने की उम्मीद बढ़ गई है। उनका मानना है कि सिस्टम में सरप्लस लिक्विडिटी होने से बैंक इंटरेस्ट रेट में कमी का फायदा ग्राहकों को जल्द देने की कोशिश कर सकते हैं। फंड की ज्यादा कॉस्ट और सिस्टम में लिक्विडिटी की कमी से बैंक फरवरी में इंटरेस्ट रेट में कमी का पूरा फायदा ग्राहकों को नहीं दे सके हैं। ऐसे में इंटरेस्ट रेट में एक और कटौती की संभावना बढ़ गई है।
रिटेल इनफ्लेशन घटने के बाद ग्रोथ पर होगा फोकस
एएनजेड रिसर्च के इकोनॉमिस्ट धीरज निम ने कहा कि फंड की कॉस्ट में कमी लाने के लिए इंटरेस्ट रेट में एक और कटौती जरूरी है। खासकर तब जब इनफ्लेशन घटकर 4 फीसदी से नीचे आ गया है। यह आरबीआई के टारगेट के हिसाब है। पिछली कुछ तिमाहियों से इंडिया में ग्रोथ में सुस्ती देखने को मिली है। माना जा रहा है कि अमेरिका के रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का इंडिया की ग्रोथ पर निगेटिव असर पड़ेगा। 2 अप्रैल को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इंडिया सहित 180 देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया।
रेपो रेट घटने से इकोनॉमी की ग्रोथ को सपोर्ट मिलेगा
कोटक महिंग्रा एएमसी के हेड (फिक्स्ड इनकम) अभिषेक बिसन ने कहा कि अमेरिका के रेसिप्रोकल टैरिफ का असर अमेरिका में इंडियन प्रोडक्ट्स की डिमांड पर पड़गा। चूंकि, इंडिया में ग्रोथ सुस्त पड़ने के संकेत मिले हैं, ऐसे में इकोनॉमी पर दबाव बढ़ सकता है। आरबीआई सिस्टम में पर्याप्त लिक्विडिटी और फाइनेंशियल मार्केट में स्थिरता के जरिए इंडियन इकोनॉमी को वैश्विक उथलपुथल से बचाने की कोशिश करेगा। इकोनॉमिस्ट्स का कहना है कि आरबीआई के इंटरेस्ट रेट घटाने से एसएमई और हाउसिंग सेक्टर को सपोर्ट मिलेगा।
रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट्स की कमी की उम्मीद
मनीकंट्रोल के 28 मार्च के पोल में 21 इकोनॉमिस्ट्स और फंड मैनेजर्स ने हिस्सा लिया था। उनका मानना था कि 9 अप्रैल को मॉनेटरी पॉलिसी में केंद्रीय बैंक रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कमी कर सकता है। इससे पहले फरवरी में आरबीआई ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट्स की कमी की थी। इससे रेपो रेट 6.5 फीसदी से घटकर 6.25 फीसदी पर आ गया था। रेपो रेट में एक बार फिर कमी करने से सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ेगी। अभी बैंकिंग सिस्टम में करीब 1.93 लाख करोड़ रुपये की सरप्लस लिक्विडिटी है।