अच्छी वेतन और कंपनी की ओर से फ्री-आवास सुविधा पाने कर्मचारियों की इन-हैंड सैलरी जल्द बढ़ सकती है। दरअसल इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने अपने कंपनी की ओर से मुहैया कराए जाने वाले घरों की वैल्यूएशन को लेकर नियमों में कुछ बदलाव किया है। इस बदलाव का फायदा इन घरों को पाने वाले कर्मचारियों को होने की उम्मीद है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने आयकर नियमों में संशोधन को नोटिफाई कर दिया है जो 1 सितंबर से लागू होंगे।
नोटिफिकेशन के मुताबिक, केंद्र या राज्य सरकार के कर्मचारियों के अलावा जहां बाकी कर्मचारियों को अनफर्निश्ड आवास मुहैया कराया जाता है और ऐसा आवास का स्वामित्व कंपनी के पास हैं, तो इसका मूल्यांकन होगा: (i) जिन शहरों की जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 40 लाख (अभी यह 25 लाख है) से अधिक है, वहां वेतन का 10 प्रतिशत (अभी 15 प्रतिशत) (i) जिन शहरों जनसंख्या 15 लाख से अधिक है, लेकिन 40 लाख से अधिक नहीं है, उन शहरों मेंवेतन का 7.5 प्रतिशत (अभी 10 प्रतिशत)।
AKM Global के टैक्स पार्टनर अमित माहेश्वरी ने कहा कि जिन कर्मचारियों की ठीकठाक सैलरी है और उन्हें कंपनी से आवास मिला हुआ है, वे इस नियम से अधिक बचत कर सकेंगे। संशोधित दरों के साथ उनका टैक्स योग्य आधार अब कम होने जा रहा है। उन्होंने कहा, "वैल्यूएशन कम होगा जिसके चलते उनकी इन-हैंड सैलरी कुछ बढ़ जाएगी।"
AMRG एंड एसोसिएट्स के सीईओ गौरव मोहन ने कहा कि इन प्रावधानों में 2011 की जनगणना के आंकड़ों को शामिल किया गया है और इसका उद्देश्य पर्क्विजिट टैक्स के कैलकुलेशन को तर्कसंगत बनाना है।
उन्होंने कहा, "पर्क्विजिट वैल्यू के तर्कसंगत से होने से किराया-मुक्त आवास पाने वाले कर्मचारियों की टैक्स योग्य वेतन में कमी आएगी, जिससे उनकी टेक-होम वेतन में बढ़ोतरी होगी। हालांकि इसके चलते सराकरी रेवेन्यू में कमी आ सकती है।"