भारत की अर्थव्यवस्था के लिए ‘FASTag’ बनकर उभरेगा AI, दूर करेगा कई चुनौतियांः Google India हेड संजय गुप्ता

Mumbai Tech Week: FASTag गाड़ियों को टोल पॉइंट्स पर बिना रुके ऑटोमेटिक तरीके से टोल भरने की सुविधा देता है। संजय गुप्ता ने कहा कि वास्तविकता यह है कि भाषा और साक्षरता अभी भी यह निर्धारित करती है कि जानकारी तक कौन पहुंच सकता है। लोगों को उनके विचारों और कल्पना से परिभाषित किया जाना चाहिए। मनमाने और अदृश्य टोल गेट्स की समस्या को हल करना एक बड़ी चुनौती है

अपडेटेड Feb 18, 2024 पर 11:48 PM
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संजय गुप्ता मुंबई टेक वीक में बोल रहे थे।

Mumbai Tech Week: निरक्षरता और भाषा बाधा जैसे अवरोधों के ‘टोलगेट’ से निकलना आसान बनाकर आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस (AI), ग्रोथ और सूचना तक पहुंच के लिए भारत का फास्टैग (FASTag) होगा। यह बात गूगल इंडिया के हेड संजय गुप्ता (Sanjay Gupta) ने कही है। वह मुंबई टेक वीक में बोल रहे थे। गूगल इंडिया हेल्थकेयर, एजुकेशन और कृषि जैसे क्षेत्रों के लिए लोकलाइज्ड एआई सॉल्यूशंस बनाने के लिए महाराष्ट्र सरकार जैसी राज्य सरकारों के साथ सक्रिय रूप से काम कर रही है।

गुप्ता ने भाषा की बाधाओं और पूंजी तक पहुंच जैसी चुनौतियों की हाइवे पर टोलगेट्स के साथ तुलना की। साथ ही देश की धीमी प्रगति और मुफ्त सूचना को एक्सेस करने में रुकावट पर भी बात की। गुप्ता का मानना है कि एआई इसका समाधान करेगा और फास्टैग के रूप में कार्य करेगा। बता दें कि फास्टैग एक इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम है, जिसे भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम ने बनाया है। यह गाड़ियों को टोल पॉइंट्स पर बिना रुके ऑटोमेटिक तरीके से टोल भरने की सुविधा देता है।

भारतीयों ने भी टेक्नोलॉजी को बदला है..


गुप्ता ने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि टेक्नोलॉजी ने भारत को बदल दिया है, बल्कि भारतीयों ने भी टेक्नोलॉजी को बदला है। लेकिन सवाल यह है कि क्या हम ऐसे दौर में हैं, जहां यह पर्याप्त है या अभी और चुनौतियां हैं जिनका समाधान किया जाना बाकी है। मनमाने और अदृश्य टोल गेट्स की समस्या को हल करना एक बड़ी चुनौती है।’

उन्होंने आगे कहा कि वास्तविकता यह है कि भाषा और साक्षरता अभी भी यह निर्धारित करती है कि जानकारी तक कौन पहुंच सकता है। हकीकत यह है कि विशेषाधिकार अभी भी यह निर्धारित करते हैं कि किसी को पूंजी तक पहुंच मिल सकती है या नहीं। हकीकत यह है कि कारोबार का आकार अभी भी आपकी महत्वाकांक्षा की ऊंचाई निर्धारित करता है।

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भारत के लिए चुनौती हल, मतलब दुनिया के लिए भी हो जाएगी हल

गुप्ता ने कहा, ‘किसी को इस मनमाने कोड की सीमा से परिभाषित नहीं किया जाना चाहिए। इसके बजाय लोगों को उनके विचारों और कल्पना से परिभाषित किया जाना चाहिए। मेरा मानना ​​है कि इन सभी मनमाने और आर्टिफीशियल ढांचों को गिराने का वक्त आ गया है।’ गुप्ता ने गूगल के ग्लोबल सीईओ सुंदर पिचई का हवाला देते हुए कहा कि जब आप भारत के लिए चुनौतियों का समाधान करने में सक्षम हैं, तो आप उन्हें दुनिया के लिए भी हल करने में सक्षम होंगे।

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First Published: Feb 18, 2024 7:00 PM

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