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हमें तो अपनों ने लूटा... जिन नेताओं को अखिलेश ने जोड़ा, अब वही छोड़ रहे साथ, लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी के लिए राह मुश्किल

Lok Sabha Elections 2024: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सपा के लिए लड़ाई और मुश्किल हो गई है। अगर दलित मतदाता BSP के साथ गया, तो सपा के लिए संकट और बढ़ सकता है। लेकिन मामला RLD अध्यक्ष जयंत चौधरी तक सीमित नहीं है। अयोध्या में राम लला के दर्शन के लिए जब विधायक अयोध्या की तरफ रवाना हुए, तो इस बात को और भी बल मिल गया कि अखिलेश के लिए सहयोगियों की दृष्टि से भी राह आसान नहीं है

Brijesh Shuklaअपडेटेड Feb 14, 2024 पर 9:14 PM
हमें तो अपनों ने लूटा... जिन नेताओं को अखिलेश ने जोड़ा, अब वही छोड़ रहे साथ, लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी के लिए राह मुश्किल
Lok Sabha Elections 2024: अखिलेश यादव को विपक्षी तो घेर ही रहे हैं, लेकिन दगाबाजी में अपने भी पीछे नहीं हैं

"अरे देखी ज़माने की यारी बिछड़े सभी, बारी बारी..." समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के साथ कुछ ऐसा ही हो रहा है। लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) के ठीक पहले अखिलेश यादव को विपक्षी तो घेर ही रहे हैं, लेकिन दगाबाजी में अपने भी पीछे नहीं हैं। 2022 में जिन नेताओं और दलों को अखिलेश यादव ने जोड़ा था, वो एक-एक कर छोड़कर चले गए। यह सवाल बार-बार उठ रहा है कि उनके सहयोगी उन्हें क्यों छोड़ रहे हैं? यही नहीं अपने भी मुश्किल क्यों खड़ी कर रहे हैं? समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने पार्टी नेताओं को खरी-खोटी सुनाते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपना त्याद पत्र भी प्रेस को जारी कर दिया।

पार्टी के अंदर उन पर आरोप लगे कि वह पार्टी से ज्यादा अपने बेटे और बेटी के हित की लड़ाई लड़ते रहते हैं और अपने बयानों से पार्टी के नुकसान करते रहते हैं। अब सपा की एकमात्र सहयोगी पार्टी- अपना दल कमेरा की नेता विधायक पल्लवी पटेल ने भी चेतावनी दी है कि वह राज्यसभा के चुनाव में सपा के प्रत्याशी को वोट नहीं देंगी, क्योंकि टिकट वितरण में सपा ने दलित और पिछड़े वर्ग के हितों का ध्यान नहीं रखा। यही नहीं उनके पुराने सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल ने पहले ही हाथ छुड़ा लिया था।

अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सपा के लिए लड़ाई और मुश्किल हो गई है। अगर दलित मतदाता BSP के साथ गया, तो सपा के लिए संकट और बढ़ सकता है। लेकिन मामला RLD अध्यक्ष जयंत चौधरी तक सीमित नहीं है। अयोध्या में राम लला के दर्शन के लिए जब विधायक अयोध्या की तरफ रवाना हुए, तो इस बात को और भी बल मिल गया कि अखिलेश के लिए सहयोगियों की दृष्टि से भी राह आसान नहीं है।

सपा के विधायकों को छोड़कर सब गए अयोध्या

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