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Lok Sabha Elections 2024: UP के मुस्लिम वोटर के 'दिल के करीब' तो है कांग्रेस, SP-BSP की लड़ाई में बिगड़ जाता है वोटों का समीकरण

Lok Sabha Elections 2024: पिछले चुनावी आंकड़ों के आकलन से तो पता चल जाता है कि कांग्रेस व बहुजन समाज पार्टी (BSP) के मुस्लिम प्रत्याशियों को उनके ही गांव में मुस्लिम वोट नहीं मिला। क्या यही रणनीति इस बार भी मुस्लिम मतदाता अपनाएंगे। फिलहाल मुस्लिम मतदाताओं के रुख को देखकर तो यही लगता है

Brijesh Shuklaअपडेटेड Feb 14, 2024 पर 6:15 AM
Lok Sabha Elections 2024: UP के मुस्लिम वोटर के 'दिल के करीब' तो है कांग्रेस, SP-BSP की लड़ाई में बिगड़ जाता है वोटों का समीकरण
Lok Sabha Elections 2024: UP के मुस्लिम वोटर के 'दिल के करीब' तो है कांग्रेस, SP-BSP की लड़ाई में बिगड़ जाता है वोटों का समीकरण

Lok Sabha Elections 2024: राजधानी लखनऊ के ही एक कस्बे मोहनलालगंज के मोहम्मद सुलेमान कहते हैं की उनके पुरखों ने तो हमेशा कांग्रेस (Congress) को वोट दिया था, लेकिन जब से वह बड़े हुए हैं, तब से वह यही देख रहे हैं कि मुसलमानों के बीच साइकिल का जोर रहता है। उन्हें नहीं याद कि कभी पंजे को वोट दिया हो। कांग्रेस को भी वोट देना चाहते हैं, लेकिन क्या करें वो जीत नहीं सकती। सुलेमान जो कह रहे हैं, राजनीतिक हकीकत भी यही है। पिछले लगभग 35 सालों से मुस्लिम मतदाताओं के बड़े हिस्से पर समाजवादी पार्टी (SP) ने कब्जा कर रखा है। क्या इस बार कोई बदलाव होगा? 1989 के बाद प्रदेश की राजनीति में ऐसा पलटा खाया कि मुसलमान कांग्रेस को छोड़कर मुलायम के साथ हो लिया और अभी भी वह उनके पुत्र अखिलेश यादव को के साथ ही खड़ा है।

इस बार किसको वोट देंगे इस सवाल के जवाब में लखनऊ के एक मतदाता इकराम कहते हैं कि कांग्रेस का गठबंधन समाजवादी पार्टी के साथ है और मुसलमान राहुल गांधी को पसंद करते हैं। ज्यादातर मुसलमान साइकिल और पंजे के साथ ही जाएंगे। वह सवाल कर देते हैं कि आप को मालूम है की सपा कांग्रेस इस बार एक साथ है। यानी मुस्लिम मतदाताओं का बड़ा हिस्सा कांग्रेस और समाजवादी पार्टी गठबंधन के साथ ही रहेगा।

1989 के बाद मुस्लिम मतदाताओं ने खाया पलटा

एक दौर था, जब मुस्लिम मतदाता कांग्रेस के पीछे खड़ा था। लेकिन 1989 के बाद मुस्लिम मतदाताओं ने ऐसा पलटा खाया कि वह कांग्रेस को छोड़कर समाजवादी पार्टी के साथ हो गए और तब से अब तक कांग्रेस सारे प्रयास कर चुकी है कि किसी तरह उसके परंपरागत वोट एक बार फिर उसके साथ लौट आए, लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है।

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