पेट्रोलियम और नेचुरल गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी (Hardeep Singh Puri) का कहना है कि सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियां फ्यूल की कीमतों में कटौती पर विचार कर सकती हैं, बशर्ते कच्चे तेल की सप्लाई में किसी तरह की बाधा नहीं पहुंचे।
पेट्रोलियम और नेचुरल गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी (Hardeep Singh Puri) का कहना है कि सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियां फ्यूल की कीमतों में कटौती पर विचार कर सकती हैं, बशर्ते कच्चे तेल की सप्लाई में किसी तरह की बाधा नहीं पहुंचे।
उन्होंने कहा, 'अगर लाल सागर को लेकर चिंताएं दूर हो जाती हैं और अन्य वजहों से भी सप्लाई में बाधा नहीं पहुंचती है, तो फ्यूल की कीमतों में विचार किया जाएगा। हालांकि, इस संबंध में फैसला ऑयल मार्केटिंग कंपनियां ही करेंगी।'
एनर्जी एक्सपर्ट्स के मुताबिक, शॉर्ट टर्म में कच्चे तेल की कीमतें अनुमान से कम ग्लोबल मांग और दुनिया भर में कमजोर इकनॉमिक ग्रोथ के आंकड़ों के हिसाब से तय होंगी। कच्चे तेल की कीमतों में कटौती की वजह से फ्यूल की खुदरा कीमतों में बदलाव को लेकर उम्मीदें बढ़ गई हैं। मई 2022 के बाद से डीजल-पेट्रोल की कीमतों में बदलाव नहीं हुआ है।
कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने 2022 में फ्यूल की खुदरा कीमतों को स्थिर रखा था, ताकि महंगाई दर को काबू में रखा जा सके। हालांकि, कच्चे तेल की कीमतों में धीरे-धीरे कमी आनी शुरू हुई, जिससे कंपनियों को अपने नुकसान की भरपाई करने में मदद मिली और वे मुनाफे में लौट पाईं।
रेटिंग एजेंसी फिच (Fitch) ने पिछले हफ्ते अपनी रिपोर्ट में कहा था, 'ग्रॉस रिफाइनिंग मार्जिन में मजबूती की वजह से वित्त वर्ष 2024 में ऑयल मार्केटिंग कंपनियों का इबिट्डा काफी बेहतर रह सकता है।' हालांकि हाल में आई एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में मजबूती की वजह से सरकारी फ्यूल रिटेल कंपनियों को डीजल की बिक्री पर 3 रुपये प्रति लीटर का नुकसान हो रहा है, जबकि पेट्रोल की बिक्री पर भी मुनाफा कम हुआ है। ऑयल कंपनियों के अधिकारियों के मुताबिक, इस वजह से तेल की कीमतों को स्थिर रखा जा रहा है।
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