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Moody's ने कहा, चुनाव की वजह से कच्चे तेल में तेजी के बावजूद नहीं बढ़ेंगे डीजल-पेट्रोल के दाम

पब्लिक सेक्टर की तीन फ्यूल रिटेल कंपनियों इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL) ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों को लगातार 18 महीनों से स्थिर रखा है। इन कंपनियों का करीब बाजार के तकरीबन 90% हिस्से पर कंट्रोल है। अगस्त के बाद से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतें मजबूत होने से तीनों फ्यूल रिटेल कंपनियों का मुनाफा (मार्जिन) फिर से नेगेटिव कैटगरी में चला गया है

अपडेटेड Oct 08, 2023 पर 10:08 PM
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रिपोर्ट में कहा गया है कि मई 2024 में देश में लोकसभा चुनाव होने हैं, लिहाजा तीनों कंपनियों के पास चालू वित्त वर्ष में पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में बढ़ोतरी करने के सीमित अवसर होंगे।

कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के बावजूद अगले साल होने वाले आम चुनाव के कारण पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ने की संभावना नहीं है। मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस (Moody's Investors Service) की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

पब्लिक सेक्टर की तीन फ्यूल रिटेल कंपनियों इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL) ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों को लगातार 18 महीनों से स्थिर रखा है। इन कंपनियों का करीब बाजार के तकरीबन 90% हिस्से पर कंट्रोल है।

पिछले साल कच्चे तेल के दाम बढ़ने के बावजूद पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं की गई है, जिससे वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में इन कंपनियों को भारी नुकसान हुआ। अगस्त के बाद से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतें मजबूत होने से तीनों फ्यूल रिटेल कंपनियों का मुनाफा (मार्जिन) फिर से नेगेटिव कैटगरी में चला गया है। मूडीज की रिपोर्ट के मुताबिक, 'कच्चे तेल की ऊंची कीमतें भारत में तीन सरकारी स्वामित्व वाली ऑयल मार्केटिंग कंपनियों- IOC, BPCL और HPCL की प्रॉफिट हासिल करने की क्षमता को कमजोर कर देंगी।'


रिपोर्ट में कहा गया है, 'मई 2024 में देश में लोकसभा चुनाव होने हैं, लिहाजा तीनों कंपनियों के पास चालू वित्त वर्ष में पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में बढ़ोतरी करने के सीमित अवसर होंगे।' ऑयल मार्केटिंग कंपनियों का मार्केटिंग मार्जिन पहले ही काफी कमजोर हो चुका है, जो 30 जून, 2023 को खत्म तिमाही में काफी बेहतर स्थिति में था।

मार्केटिंग मार्जिन इन कंपनियों की बिक्री मूल्य और इंटनरेशनल प्राइस का अंतर होता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से अगस्त से डीजल का मार्केटिंग मार्जिन नेगेटिव हो गया है, जबकि पेट्रोल पर मार्जिन में भी काफी कमी आई है। पेट्रोल और डीजल पर मजबूत मार्केटिंग मार्जिन की वजह से वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में ऑयल मार्केटिंग कंपनियों की ऑपरेटिंग परफॉर्मेंस बेहतर रही थी।

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