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सरकार ने मोलासिस पर एक्सपोर्ट ड्यूटी 50% बढ़ाई, खाद्य तेलों के इंपोर्ट ड्यूटी पर भी जारी रहेगी छूट

सरकार ने देश में एथनॉल बनाने के लिए मोलासिस की उपलब्धता बढ़ाने के लिए फैसला लिया है। सरकार ने मोलासिस पर 50% एक्सपोर्ट ड्यूटी में बड़ी बढ़ोतरी का एलान किया है। सरकार द्वारा बढ़ाई गई यह एक्सपोर्ट ड्यूटी 18 जनवरी से लागू होगी

अपडेटेड Jan 16, 2024 पर 2:27 PM
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सरकार का कहना है कि मोलासिस की उपलब्धता बढ़ाने के लिए सरकार ने एक्सपोर्ट डयूटी बढ़ाने का फैसला लिया है।

खाद्य तेलों के इंपोर्ट ड्यूटी पर छूट जारी रहेगी। सरकार ने एडिबल ऑयल के इंपोर्ट ड्यूटी पर एक साल तक रियायत बढ़ाई है। मार्च 2025 तक छूट जारी रहेगी। क्रूड पाम, सनफ्लावर और सोया तेल इंपोर्ट पर राहत जारी है। बता दें कि मार्च, 2024 को इंपोर्ट ड्यूटी पर छूट खत्म होने वाली थी। दुनिया में भारत सबसे ज्यादा खाने के तेल का इंपोर्ट करता है। 2023 में रिफाइंड सोया, सनफ्लावर तेल इंपोर्ट ड्यूटी में 5% की कटौती की गई। इंपोर्ट ड्यूटी 17.5% से घटाकर 12.5% की गई।

गौरतलब है कि इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती का एलान पिछले साल जून में हुआ था। इंडोनेशिया, मलेशिया से सबसे ज्यादा पाम ऑयल का इंपोर्ट होता है। सोया ऑयल का इंपोर्ट अर्जेंटीना से होता है। सनफ्लावर तेल का इंपोर्ट यूक्रेन और रूस से होता है।

GGN रिसर्च के नीरव देसाई ने कहा कि चुनाव को देखते हुए एडिबल ऑयल पर फैसला हुआ है। चुनाव से पहले सरकार महंगाई नहीं बढ़ने देना चाहती है। उनका कहना है कि 6-9 महीनों तक सरकार कोई बड़ा फैसला नहीं लेना चाहेगी। चुनाव के बाद किसानों के हित में फैसला लिया जा सकता है। यील्ड के लिए मौसम अनुकूल है। किसानों के पास 14-15 लाख टन सरसों का स्टॉक है। किसान, NCCF, NAFED के पास अच्छा स्टॉक मौजूद है। सोया और पाम के भाव समान हैं। पिछले साल के मुकाबले ब्राजील में उत्पादन घटी है। रेड सी के कारण सनफ्लावर ऑयल की शिपमेंट में देरी आएगी। उनका कहना है कि एडिबल भावों के दाम कम हैं, आगे ज्यादा तेजी की उम्मीद नहीं है।


मोलासिस पर एक्सपोर्ट ड्यूटी बढ़ी

शुगर से जुड़ी एक बड़ी खबर आ रही हैं। केंद्र सरकार ने देश में एथनॉल बनाने के लिए मोलासिस की उपलब्धता बढ़ाने के लिए फैसला लिया है। सरकार ने मोलासिस पर 50% एक्सपोर्ट ड्यूटी में बड़ी बढ़ोतरी का एलान किया है। सरकार द्वारा बढ़ाई गई यह एक्सपोर्ट ड्यूटी 18 जनवरी से लागू होगी।सरकार का कहना है कि मोलासिस की उपलब्धता बढ़ाने के लिए सरकार ने एक्सपोर्ट डयूटी बढ़ाने का फैसला लिया है।

बता दें कि एथेनॉल बनाने के लिए मोलासिस का इस्तेमाल होता है। मोलासिस , गन्ने का बाय प्रोडक्ट है। शराब और कागज उद्योग में मोलासिस का इस्तेमाल होता है। भारत विश्व का सबसे बड़ा मोलासिस एक्सपोर्टर है। मोलासिस के ग्लोबल ट्रेड में 25% भागीदारी देश की है।

भारत से मोलासिस एक्सपोर्ट करने वाले राज्यों में महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक हैं। भारत से अधिकतर मोलेसेस थाईलैंड, नीदरलैंड, दक्षिण अफ्रीका, UK और फिलीपिंस में एक्सपोर्ट होता है। सी-हैवी मोलासिस से 225 करोड़ लीटर एथेनॉल उत्पादन अनुमान है। एक्सपोर्ट हुए मोलासिस से 30 करोड़ लीटर एथेनॉल उत्पादन अनुमान है ।

वहीं NFCSF के प्रकाश नाइकनवरे का कहना है कि मोलासिस पर लिया गया सरकार का फैसला सही है। एथेनॉल का उत्पादन अलग-अलग फीडस्टॉक से होती है। बचे हुए मोलासिस का इस्तेमाल एथेनॉल उत्पादन में होगा। उन्होंने कहा कि एलनीनो के कारण चीनी में उत्पादन कटौती के आसार थे। प्रकाश का कहना है कि महाराष्ट्र, कर्नाटक में चीनी उत्पादन सुधरने की उम्मीद है। उन्होंने आगे कहा कि 2023 में 11% एथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य पूरा हुआ है। 2024 के लिए 15% ब्लेंडिंग का लक्ष्य रखा है। आज चीनी इंडस्ट्री और सरकार चीनी पॉलिसी की समीक्षा करेगी।

 

 

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