Onion Price: सरकार का प्याज से बैन हटाने का इरादा नहीं, 2024 तक जारी रहेगा बैन: सूत्र

Onion Price: सीएनबीसी-आवाज को सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक प्याज एक्सपोर्ट पर बैन जारी रहेगा। सूत्रों के अनुसार सरकार का प्याज से बैन हटाने का इरादा नहीं है। 7 दिसंबर को प्याज का एक्सपोर्ट बैन हुआ था। 31 दिसंबर 2024 तक एक्सपोर्ट बैन जारी रहेगा। गौरतलब है कि खरीफ की फसल आने से प्याज की कीमतों में गिरावट आई है

अपडेटेड Jan 12, 2024 पर 2:31 PM
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किसान सरकार से एक्सपोर्ट बैन हटाने की मांग है। किसानों का कहना है कि प्याज बैन से लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा ।

Onion Price:  सीएनबीसी-आवाज को सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक प्याज एक्सपोर्ट पर बैन जारी रहेगा। सूत्रों के अनुसार सरकार का प्याज से बैन हटाने का इरादा नहीं है। 7 दिसंबर को प्याज का एक्सपोर्ट बैन हुआ था। 31 दिसंबर 2024 तक एक्सपोर्ट बैन जारी रहेगा। गौरतलब है कि खरीफ की फसल आने से प्याज की कीमतों में गिरावट आई है। प्याज की मंडी लासलगांव में प्याज का भाव 800 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गए हैं। वहीं पुणे में प्याज का भाव 600 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंचा है।

इस बीच किसान सरकार से एक्सपोर्ट बैन हटाने की मांग है। किसानों का कहना है कि प्याज बैन से लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा ।

नहीं रही प्याज की महंगाई !


7 दिसंबर से अब तक प्याज के रिटेल दाम में 33% तक की गिरावट आई है। 8 दिसंबर को प्याज के दाम 60 रुपये प्रति किलो के पार चले गए थे । लेकिन अब प्याज 30-40 रुपये प्रति किलो के बीच अब बिक रहा है। इसी तरह नवंबर के महीने में प्याज की भाव 86 फीसदी तक बढ़ गई थे। फरवरी 2020 में प्याज के दाम 140 फीसदी तक चढ़े थे। गौरतलब है कि NAFED, NCCF ने 20,000 टन प्याज खरीदा है।

क्यों चढ़े प्याज के दाम?

प्याज की कीमतों में बढ़त की मुख्य वजह यह भी रही है कि खरीफ की फसल मंडियों में देर से आई है। वहीं बेमौसम बारिश से फसल खराब हुई जिसके कारण भी कीमतों में तेज उछाल देखने को मिला। इसका सबसे ज्यादा असर महाराष्ट्र, कर्नाटक में देखा गया।

दाम कम होने पर बैन हटाना चाहिए

पूर्व एग्री सेक्रेटरी सिराज हुसैन ने कहा कि कीमतें कम करने के लिए एक्सपोर्ट बैन लगाना जरूरी था। दाम कम होने पर बैन हटाना चाहिए। किसानों के हितों का भी ध्यान रखना जरूरी है। बैन लगाने में कम, हटाने में समय लग जाता हैं। उन्होंने आगे कहा कि खरीद अच्छी होने पर गेहूं का एक्सपोर्ट शुरू हो सकता है। गेहूं के लिए अब तक हालात अच्छे बने हुए हैं।

देश के 150 बड़े रिजर्वॉयर में पानी घटा है? इस पर उनका कहना है कि रिजर्वॉयर में पानी कम हुआ है। अगला मॉनसून कम हुआ तो स्थिति चिंताजनक होगी। दक्षिण में रिजर्वॉयर में पानी सबसे ज्यादा गिरा है। उन्होंने आगे कहा कि सरसों और चने की फसल अभी तक काफी अच्छी है। मांग से ज्यादा गेहूं और चावल का उत्पादन होता है। चावल पर दक्षिण की सरकारों ने बोनस की घोषणा की है। अनाज पर पॉलिसी में सुधार की जरूरत है। कृषि पर मौजूदा सरकार ने काफी काम किया है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधार की जरूरत है।

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MoneyControl News

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First Published: Jan 12, 2024 2:31 PM

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