Dussehra 2023 : दशहरे पर करना चाहते हैं सोने में शुभ निवेश, आइए जानते हैं कौन सा निवेश विकल्प है बेहतर
Dussehra 2023 : एक्सिस सिक्योरिटीज में रिसर्च एनालिस्ट- कमोडिटीज देवेया गगलानी का कहना है कि फिजिकल गोल्ड खरीदने में बहुत जोखिम होता है। इसको स्टोर करके रखना अपने में एक बड़ी परेशानी है। फिजिकल गोल्ड खरीदने में चोरी और अशुद्धि जैस जोखिम होते हैं। वहीं, डिजिटल गोल्ड में ये सभी जोखिम और परेशानियां नहीं होती। कोई भी व्यक्ति म्यूचुअल फंड, एसजीबी और एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) जैसे तरीकों से सोने में डिजिटल निवेश कर सकता है
Gold buying on Dussehra : इस दशहरे पर सोना खरीदने का सबसे अच्छा तरीका निवेशक के निवेश लक्ष्यों और जोखिम उठाने की क्षमता पर निर्भर करता है। अगर आप लिक्विड और कम लागत वाले निवेश की तलाश में हैं तो एसजीबी सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है
Dussehra 2023 : भारत में दशहरा का खास महत्व है। दशहरे के शुभ मुहूर्त में नए उद्यमों की शुरुआत और सोने की खरीद को अच्छा माना जाता है। पीढ़ियों से भारत में सोने की खरीद मुख्य रूप से सिक्के, बार और आभूषण जैसी भौतिक संपत्तियों के रूप में की जाती रही है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के रीजनल सीईओ सोमसुंदरम पीआर के मुताबिक रिटेल कारोबारियों से जुटाए गए आंकड़ों से पता चलता है कि दशहरा उत्सव के आसपास सोने के आभूषणों की मांग में अच्छी बढ़ोतरी होती है।
हाल के वर्षों में हमें डिजिटल गोल्ड में होने वाले निवेश में बढ़त देखने को मिली है। डिजिटल गोल्ड देश में नया ट्रेंड बनके उभरा है। सरकार की तरफ से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) की शुरुआत के बाद इस ट्रेंड में और तेजी आई है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में 2.5 फीसदी का अतिरिक्त सालाना रिटर्न मिलता है, जिससे इसके कैपिटल एप्रीशिएशन में बढ़त होती है।
एक्सिस सिक्योरिटीज में रिसर्च एनालिस्ट- कमोडिटीज देवेया गगलानी ( Deveya Gaglani) का कहना है कि फिजिकल गोल्ड खरीदने में बहुत जोखिम होता है। इसको स्टोर करके रखना अपने में एक बड़ी परेशानी है। फिजिकल गोल्ड खरीदने में चोरी और अशुद्धि जैस जोखिम होते हैं। वहीं, डिजिटल गोल्ड में ये सभी जोखिम और परेशानियां नहीं होती। कोई भी व्यक्ति म्यूचुअल फंड, एसजीबी और एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) जैसे तरीकों से सोने में डिजिटल निवेश कर सकता है।
यहां हम आपको सोने में डिजिटल निवेश के विकल्पों और उनके फायदे और नुकसान के बारे में बता रहे हैं।
एक्सचेंज ट्रेडेड फंड
गोल्ड ईटीएफ फिजिकल गोल्ड की घरेलू कीमतों को ट्रैक करता है। दूसरे शब्दों में कहें तो यह सोने की कीमतों पर आधारित होते हैं और फिजिकल बुलियन में निवेश करते हैं। गोल्ड ईटीएफ फिजिकल गोल्ड पर आधारित यूनिट होता। एक गोल्ड ईटीएफ यूनिट 1 ग्राम सोने के बराबर होती है। यह उच्च शुद्धता वाले फिजिकल गोल्ड पर आधारित होती है।
मास्टर कैपिटल सर्विसेज के अरविंदर सिंह नंदा का कहना है कि चूंकि गोल्ड ईटीएफ बाजार में लिस्ट होते हैं। ऐसे में ये काफी सुरक्षित होते हैं और इनमें काफी ज्यादा लिक्विडिटी होती है। यानी नकदी की किसी आकस्मिक जरूरत पर इनको आसानी से कैश किया जा सकता है। यह उन निवेशकों के लिए काफा अच्छा निवेश विकल्प है जो सोने को भौतिक रूप में नहीं रखना चाहते हैं और लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं। हालांकि, इन पर ब्रोकरेज शुल्क लगता है। लेकिन ये शुल्क फिजिकल गोल्ड या ज्वेलरी पर लगने वाले शुल्क की तुलना में बहुत कम हैं। इसके अलावा, गोल्ड ईटीएफ में एक्सपेंस रेशियो गोल्ड म्यूचुअल फंड से कम है।
इस बात का ध्यान रखें कि ईटीएफ सोने की कीमत को ट्रैक करते हैं, इसलिए ये वोलेटाइल हो सकते हैं। इसके अलावा ईटीएफ सोने में सीधा निवेश नहीं है, इसलिए इसमें आपको सोने की फिजिकल डिलीवरी लेने का अधिकार नहीं होता है। इसके अलावा, ईटीएफ में निवेश करने के लिए आपके पास एक डीमैट खाता होना चाहिए। इसमें एंट्री और एक्जिट लोड भी लागू होता है। इसमें निवेशक को हर बार ब्रोकरेज का भुगतान भी करना पड़ता है।
म्यूचुअल फंड
यदि आपके पास डीमैट खाता नहीं है, तो आपके लिए अगला सबसे अच्छा विकल्प गोल्ड म्यूचुअल फंड हो सकता है। ये ओपन-एंडेड स्कीम्स होती हैं जो गोल्ड ईटीएफ की यूनिट्स में निवेश करती हैं। म्यूचुअल फंड का लक्ष्य एक कमोडिटी के रूप में सोने की क्षमता का इस्तेमाल करके वेल्थ क्रिएट करना है। हर गोल्ड एमएफ में एक फंड मैनेजर होता है जो फंड के टारगेट के मुताबिक निवेश निर्णय लेता है। ईटीएफ की तुलना में गोल्ड एमएफ की यूनिट्स की कीमत अलग-अलग होती है। यह कारोबारी सत्र के अंत में पता चलती है। इसको नेट एसेट वैल्यू (NAV)कहा जाता है।
मनी मंत्रा के विरल भट्ट का कहना है कि गोल्ड म्यूचुअल फंड एक्टिवली मैनेज्ड होते हैं। ऐसे में इनमें समय बीचने के साथ सोने की कीमत से बेहतर प्रदर्शन करने की क्षमता होती है। इनमें म्यूचुअल फंड हाउस के जरिए निवेश की सुविधा भी होती। हालांकि, गोल्ड म्यूचुअल फंड में ईटीएफ की तुलना में एक्सपेंस रेशियो ज्यादा होता है। ये आमतौर पर 1-2 फीसदी के आसपास होता है। इसके अलावा इसमें खराब प्रदर्शन का जोखिम भी होता है। इसका अर्थ ये है कि स्थितियाम अनुकूल न होने पर इनमें सोने की कीमत से कम रिटर्न भी मिलने का जोखिम होता है।
इसके अलावा, गोल्ड ईटीएफ की तुलना में गोल्ड एमएफ में न्यूनतम निवेश की सीमा कम होती है, जिससे ये खुदरा निवेशकों के लिए इनमें कम पैसे में निवेश करना मुमकिन होता। कोई भी व्यक्ति बिना डिमैट खाता खोले गोल्ड म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकता है। इसलिए यह ज्यादा से ज्यादा लोगों के लिए सुविधाजनक और सुलभ हो जाता है।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign gold bonds)
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड भारत सरकार द्वारा नवंबर 2015 में लॉन्च किए गए थे। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की वैल्यू कई ग्राम सोने में होती है। हाल के दिनें में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेशकों की संख्या बढ़ी है। इनमें सालाना 2.5 फीसदी अतिरिक्त रिटर्न मिलता है। इसे खरीदने के लिए ब्रोकर या सेबी से मंजूरी प्राप्त एजेंट की जरूरत होती है। एक बार बॉन्ड को भुनाए जाने के बाद, मौजूदा बाजार भाव पर आधारित धनराशि रजिस्टर्ड बैंक खाते में जमा हो जाती है। एक्सिस सिक्योरिटीज की गगलानी का कहना है कि चूंकि भारत सरकार ने यह योजना शुरू की है, इसलिए इसमें डिफ़ॉल्ट का जोखिम बहुत कम है। इसमें फिजिकल गोल्ड के बदले मालिकाना हक का सर्टिफिकेट मिलता है। जिससे भंडारण का जोखिम खत्म हो जाता।
इसके अलावा, एसजीबी निवेश से प्राप्त ब्याज पर कोई टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) लागू नहीं होती है। ऐसे में अगर कोई निवेशक इसे मैच्योरिटी के बाद भुनाता है, तो इसमें कैपिटल गेन टैक्स से छूट मिलती है। हालांकि, SGB की परिपक्वता अवधि आठ साल लंबी होती है। ऐसे में अगर निवेशकों नजरिया छोटी अवधि का है तो एसजीबी उनके लिए सही नहीं होगा। हालांकि, निवेशक पास निवेश की तारीख से 5 साल के बाद बॉन्ड भुनाने का विकल्प होता है। इसके अलावा एसजीबी ईटीएफ या गोल्ड एमएफ की तरह लिक्विड नहीं होते हैं।
डिजिटल गोल्ड
आज के समय में सोने में निवेश को सबसे सुरक्षित माना जाता है। हालांकि इसके साथ कुछ जोखिम भी जुड़े हैं। फिजिकल गोल्ड के चोरी और गुम होने का डर हमेशा बना रहता है। ऐसे में डिजिटल गोल्ड निवेश (Digital Gold Investment) का एक नया और सुरक्षित माध्यम बनकर उभरा है। अब डिजिटल गोल्ड में निवेश करने को लेकर लोगों की रूचि बढ़ी है। डिजिटल गोल्ड ऑनलाइन सोना खरीदने का एक तरीका है। इसमें गोल्ड फिजिकली ना होकर आपके डिजिटल वॉलेट में रखा होगा। आप इसकी खरीदी-बिक्री भी कर सकते हैं। इसके अलावा जरूरत पड़ने पर कुछ एक्स्ट्रा चार्ज देकर डिजिटल गोल्ड को फिजिकल गोल्ड बदल सकते हैं।
आप घर बैठे केवल 1 रुपये का प्योर सोना (Pure Gold) खरीद सकते हैं. ऑनलाइन गोल्ड खरीदना आसान भी है और जब चाहें उसे ऑनलाइन बेच भी सकते हैं। डिजिटल गोल्ड को आप कई तरह के डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए खरीद सकते हैं। आजकल लोग डिजिटल पेंमेंट ऐप्स का खूब इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसे में आप पेटीएम (Paytm, गूगल पे (Google Pay) और फोनपे (PhonePe) जैसे पॉपुलर पेमेंट ऐप के जरिए डिजिटल गोल्ड खरीद सकते हैं। यहां पर आपको 1 रुपये में भी प्योर गोल्ड मिलेगा। लेकिन इस बात को ध्यान में रखें कि डिजिटल गोल्ड के लिए कोई रेग्यूलेटरी या सुरक्षा उपाय नहीं हैं ऐसे में सोने के निवेशकों के लिए इसमें सावधानी बरतने की जरूरत है।
निवेशकों को क्या करना चाहिए?
इस दशहरे पर सोना खरीदने का सबसे अच्छा तरीका निवेशक के निवेश लक्ष्यों और जोखिम उठाने की क्षमता पर निर्भर करता है। अगर आप लिक्विड और कम लागत वाले निवेश की तलाश में हैं तो एसजीबी सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है। लेकिन ध्याम रखें सभी एसजीबी स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड नहीं होते हैं। ऐसे में आपको इमर्जेंसी होने समय से पहले निकासी का विकल्प अपनाना पड़ सकता। इस स्थिति में, गोल्ड ईटीएफ एक अच्छा विकल्प हो सकता है। अगर आप एक्टिवली मैनेज्ड निवेश की तलाश में हैं, तो गोल्ड एमएफ योजना बेहतर रहेगी। साथ ही, अगर आप निश्चित रिटर्न के साथ बेहद सुरक्षित निवेश की तलाश में हैं तो एसजीबी एक अच्छा विकल्प है।
मनी मंत्रा के विरल भट्ट ने कहा "अगर आप एक नए निवेशक हैं या आप सोने में निवेश करने का एक आसाना और कम लागत वाला तरीका ढूंढ रहे हैं, तो मैं गोल्ड ईटीएफ में निवेश करने की सलाह दूंगा। वहीं, अगर आप ज्यादा अनुभवी निवेशक हैं और आप ज्यादा जोखिम लेने के लिए तैयार हैं, तो आप गोल्ड म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। वहीं, आप निश्चित रिटर्न के साथ बहुत सुरक्षित निवेश की तलाश में हैं, तो एसजीबी एक अच्छा विकल्प है"।
डिस्क्लेमर: मनीकंट्रोल.कॉम पर दिए गए विचार एक्सपर्ट के अपने निजी विचार होते हैं। वेबसाइट या मैनेजमेंट इसके लिए उत्तरदाई नहीं है। यूजर्स को मनी कंट्रोल की सलाह है कि कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट की सलाह लें।