Delhi Election 2025: दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) कार्यालय की तरफ से सोमवार को प्रकाशित फाइनल वोटर लिस्ट के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में 1,55,24,858 रजिस्टर्ड मतदाता हैं। इनमें 84,49,645 पुरुष मतदाता हैं, जबकि 71,73,952 महिला वोटर्स हैं। वहीं, 1,261 थर्डजेंडर वोटर्स हैं

Delhi Election 2025: दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) कार्यालय की तरफ से सोमवार को प्रकाशित फाइनल वोटर लिस्ट के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में 1,55,24,858 रजिस्टर्ड मतदाता हैं। इनमें 84,49,645 पुरुष मतदाता हैं, जबकि 71,73,952 महिला वोटर्स हैं। वहीं, 1,261 थर्डजेंडर वोटर्स हैं

अपडेटेड Jan 07, 2025 पर 10:39
Story continues below Advertisement
Lok Sabha Elections: डैमेज कंट्रोल में जुटी कांग्रेस, कहा- ममता बनर्जी के बिना नहीं बन सकता I.N.D.I.A. गठबंधन

मैसूर का दशहरा सिर्फ रावण के वध से नहीं जुड़ा है। ये एक अलग तरह का रॉयल सेलिब्रेशन है। इसमें म्यूजिक है, डांस है और मैसूर के कल्चर की धूम पूरी सिटी में देखने को मिलती है। इस त्योहार की सेलिब्रेशन के लिए अंबा विलास पैलेस को सजाया जाता है। चामुंडेश्वरी देवी की पूजा भी पूरे रीति रिवाजों के साथ की जाती है। पूरी सिटी में स्पोर्ट्स इवेंट्स से लेकर, मेला, कवि सम्मेलन भी आयोजित किए जाते हैं।

गुजरात में नवरात्रि का मतलब ही है नाच, गाना और खाना। वडोदरा में हजारों की संख्या में लोग नाचने के लिए रंग-बिरंगे कपड़ों में इकट्ठा होते हैं। इस त्योहार में सब डांडिया भी खेलते हैं। नवरात्रि का आखिरी दिन विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सभी फाफड़ा और जलेबी के साथ एन्जॉय करते हैं।

किसी भी बंगाली से आप दशहरा का मतलब पूछ लीजिए, वो एक ही शब्द में कह देंगे-पूजो। जहां दशहरा दस दिनों तक चलता है वहीं आखिरी के पांच दिन इसकी रौनक तेजी से बढ़ती है। बंगाल में हर जगह दुर्गा मां के पंडाल। इन पंडालों के बाहर मिलने वाला खाना और संगीत इस त्योहार को और खास बनाता है।

वाराणसी, काशी और बनारस कई नामों से जानी जाने वाली ये धरती रामलीला की धरती के नाम से भी विख्यात है। दशहरे के वक्त रामनगर की ये धरती रंग-बिरंगी हो जाती है। यहां पर 200 साल पहले से रामलीला का मंचन किया जा रहा है। ये त्योहार यहां पूरा एक महीने तक चलता है। रामलीला का आनंद लेने के लिए दशहरे के समय इस जगह जरूर जाएं।

पूरे राजस्थान में ही दशहरा मनाया जाता है लेकिन चंबल नदी के किनारे बसे कोटा में काफी बड़ा मेला आयोजित किया जाता है। डांस, म्यूजिक और लोक परंपराओं से जुड़ी काफी शानदार परफॉर्मेंसेस यहां देखने को मिलती हैं। इस मेले में आप राजस्थानी कल्चर को और गहराई से एक्सप्लोर कर पाएंगे। कोटा के दशहरे में बहुत बड़ा रावण का पुतला भी फूंका जाता है।

कुल्लू का अंतर्राष्ट्रीय दशहरा हिमाचल की लोक संस्कृति का एक बड़ा हिस्सा है। यहां पर निकाली जाने वाली रथ यात्रा को देखने के लिए देश और दुनिया से लोग आते हैं। इस दौरान यहां पर एक बहुत बड़ा मेला भी लगता है। यहां पर पुतले को जलाने से लेकर फूल यात्रा की धूम देखने को मिलती है।