हर एक नौकरीपेशा व्यक्ति ने कभी ना कभी TDS और TCS के बारे में जरूर सुना होगा। हालांकि फिर भी कई सारे लोगों को टीडीएस और टीसीएस में अंतर नहीं पता होता है। हालांकि टीडीएस और टीसीएस में एक समानता यह है कि ये दोनों ही टैक्स कलेक्ट करने के दो तरीके हैं। टीडीएस से मतलब सोर्स पर कटौती है। वहीं टीसीएस का मतलब स्रोत पर टैक्स कलेक्शन से है। हालांकि दोनों ही मामलों में रिटर्न फाइल करने की जरूरत है। आइये जानते हैं इसके बारे में पूरी डिटेल।
ITR फाइल करने की लास्ट डेट
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की लास्ट डेट अनाउंस कर दी है। कुछ तरह के आईटीआर फॉर्म भी ऑनलाइन और ऑफलाइन उपलब्ध कराए जा चुके हैं। अगर तय डेट के भीतर ITR फाइल करने से चूक गए तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट जुर्माना भी लगा सकता है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के मुताबिक सैलरीड और जिन करदाताओं के खातों का ऑडिट करने की आवश्यकता नहीं है उनके लिए 31 जुलाई 2023 लास्ट डेट तय की गई है। लास्ट डेट तक टैक्सपेयर्स ऑनलाइन या ऑफलाइन तरीके से आइटीआर फाइल कर सकते हैं।
अगर किसी की कोई इनकम होती है तो उस इनकम से टैक्स काटकर अगर व्यक्ति को बाकी रकम दी जाएगी तो टैक्स के रूप में काटी गई रकम को TDS कहते हैं। टीडीएस के जरिए सरकार टैक्स कलेक्ट करती है। यह अलग अलग तरह के इनकम सोर्स पर काटा जाता है जैसे सैलरी, किसी इनवेस्टमेंट पर मिला इंटरेस्ट, या कमीशन आदि पर। पेमेंट करने वाले व्यक्ति या संस्था पर टीडीएस फाइल करने की जिम्मेदारी होती है। अगर आपकी सैलरी से काटा गया टीडीएस आपकी कुल देनदारी से ज्यादा है तो वह आईटीआर फाइलिंग के जरिए वापस कर दिया जाता है।
TCS टैक्स कलेक्ट करने का एक सोर्स होता है। इसका मतलब सोर्स पर कलेक्ट किए गए टैक्स (इनकम से इकट्ठा किया गया टैक्स) होता है। इसे इनकम टैक्स ऐक्ट की धारा 206C में इसे निर्धारित किया गया है। यह टैक्स कुछ खास तरह के गुड्स के सौदे पर लगाया जा सकता है। जैसे कि शराब, तेंदू पत्ता, टिंबर, कबाड़, मिनरल्स वगैरह। सामान की प्राइस लेते वक्त उसमें टैक्स का पैसा भी जोड़कर ले लिया जाता है। इसे सरकार के पास जमा कर दिया जाता है। टैक्स को वसूलने के बाद इसे जमा करने का काम भी सेलर या दुकानदार की तरफ से ही किया जाता है।