इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) कई टैक्स रिटर्न की दोबारा जांच कर रहा है। खासकर उन ITR की जांच हो रही है, जिनमें चैरिटेबल ट्रस्ट्स और राजनीतिक दलों को डोनेशन पर डिडक्शंस क्लेम किया गया है। यह इनकम टैक्स रिटर्न वित्त वर्ष 2018-19 के हैं। चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ने मनीकंट्रोल को बताया है कि इस साल 20 मार्च से 10 जून के बीच सैकड़ों सैलरीड इंडिविजुअल्स को नोटिस जारी किए गए हैं। टैक्स कंसल्टेंसी फर्म केपीबी एंड एसोसिएट्स के पार्टनर पारस सावला ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने उन लोगों की पहचान की है, जिनकी इनकम और डोनेशन का अनुपात स्वाभाविक नहीं लगता है। इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80जी के तहत राजनीतिक दल और चैरिटेबल ट्रस्ट्स को किए गए डोनेशन पर 50-100 फीसदी डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है।
इन सेक्शन के तहत जारी किए गए नोटिस
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने ये नोटिस सेक्शन 138 और 148 (A) के तहत जारी किए हैं। कई मामलों में नोटिस में गलत क्लेम किए गए सिर्फ एक डिडक्शन के बारे में सवाल पूछा गया है। कुछ मामलों में जिनमें डिडक्शन का अमाउंट बड़ा है, उनमें दोबारा एसेसमेंट के लिए नोटिस जारी किया गया है। इनकम टैक्स रिटर्न का दोबारा एसेसमेंट फाइलिंग के 10 साल के अंदर किया जा सकता है। यह नियम 50 लाख रुपये से ज्यादा इनकम वाले ITR के लिए हैं। इनकम 50 लाख रुपये से कम होने पर ITR का दोबारा एसेसमेंट 8 साल के अंदर किया जा सकता है। इस नियम के हिसाब से FY19 (एसेसमेंट ईयर 2020) के आईटीआर का एसेसमेंट 31 मार्च, 2029 तक किया जा सकता है।
इस मामले की जानकारी रखने वाले एक चार्टर्ड अकाउंटेंट ने कहा, "ऐसे नोटिस ज्यादातर गुजरात के टैक्सपेयर्स को भेजे गए हैं, जिन्होंने राजनीतिक दलों को डोनेशन किया है।" मनीकंट्रोल इस दावे की स्वतंत्र रूप से जांच नहीं कर पाया है।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास यह पता लगाने के कई तरीके हैं कि कोई डोनेशन सही है या फर्जी है। कंप्यूटराइजेशन की वजह से चैरिटेबल ट्रस्ट्स और राजनीतिक दलों की तरफ से उपलब्ध कराए गए डेटा का मिलान ITR में क्लेम किए गए डोनेशन से करना आसान हो गया है। सिर्फ ठोस तथ्य होने के बाद ही किसी असिस्टेंट कमिश्नर या डिप्टी कमिश्नर को रीएसेसमेंट नोटिस जारी करने का अधिकार है। यूनियन बजट 2019 में कहा गया था कि चैरिटेबल ट्रस्ट्स को यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर लेना अनिवार्य होगा। सिर्फ इस आइडेंटिफिकेशन नंबर के साथ किए गए डोनेशन पर सेक्शन 80 जी के तहत डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। यह व्यवस्था 1 अप्रैल, 2020 से लागू कर दी गई।