आपको मिला इनकम टैक्स बेनिफिट वापस लिया जा सकता है, जानिए ऐसा कब होता है

अगर आप यह महसूस करते हैं कि आपका इनवेस्टमेंट ग्रो नहीं कर रहा है और आप प्रीमियम रोक देते हैं या कोई जरूरत पूरी करने के लिए पैसे निकाल लेते हैं तो इसका असर आपके डिडक्शंस अमाउंट पर पड़ सकता है

अपडेटेड Sep 12, 2022 पर 11:50 AM
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टैक्स बेनिफिट वापस लिए जाने की वजह से आपका टैक्स ब्रेकेट भी बदल सकता है।

एंप्लॉयीज इनवेस्टमेंट डेक्लरेशन (Investment Declaration) में करेंट फाइनेंशियल ईयर में अपने इनवेस्टमेंट प्लान के बारे में बताते हैं। फिर, वे टैक्स बेनिफिट (Tax Benefit) का ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाने के लिए सेक्शन 80सी (Section 80c) के तहत आने वाले इनवेस्टमेंट ऑप्शंस में निवेश करते हैं। लेकिन, टैक्स बचाने के लिए सिर्फ इतना करना पर्याप्त नहीं है। आपके लिए उन नियमों के बारे में भी जानना जरूरी है, जिनके कारण टैक्स बेनिफिट आपसे वापस लिए जा सकते हैं।

टैक्स2विन के सीईओ और को-फाउंडर अभिषेक सोनी ने कहा, "डिडक्शंस के साथ कुछ शर्तें जुड़ी हैं। कोई व्यक्ति इनका दावा तभी कर सकता है, जब खास शर्तें पूरी की जाती हैं। शर्तें पूरी नहीं होने पर पिछले साल दावा किया गया डिडक्शन का पूरा अमाउंट अगले फाइनेंशियल ईयर में इनकम मान लिया जाएगा।"

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उन्होंने कहा कि जल्द विड्रॉल, ऐसे मकसद पर किया गया खर्च जिसकी इजाजत नहीं है और निर्धारित समय से पहले इनवेस्टमेंट या एसेट का ट्रांसफर ऐसे कुछ कारण हैं, जिनकी वजह से टैक्सपेयर्स को दिए गए डिडक्शंस वापस लिए जा सकते हैं।

इसलिए अगर आप यह महसूस करते हैं कि आपका इनवेस्टमेंट ग्रो नहीं कर रहा है और आप प्रीमियम रोक देते हैं या कोई जरूरत पूरी करने के लिए पैसे निकाल लेते हैं तो इसका असर आपके डिडक्शंस अमाउंट पर पड़ सकता है।

अक्सर टैक्सपेयर्स 31 मार्च की डेडलाइन को देखते हुए फरवरी में लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते हैं। कई लोग यह नहीं समझते कि प्रीमियम सिर्फ एक बार होने वाला पेमेंट नहीं है। आपको हर साल इसका पेमेंट करना पड़ता है। कई ऐसी इंश्योरेंस पॉलिसीज होती हैं, जिसमें आपको कम से कम शुरुआती कुछ सालों में प्रीमियम चुकाना जरूरी होता है। अगर आप ट्रेडिशनल लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी जारी होने के दो साल के अंदर प्रीमियम चुकाना बंद कर देते हैं तो सेक्शन 80सी के तहत टैक्स बेनिफिट के लिए क्लेम किया गया डिडक्शन वापस ले लिया जाएगा।

यूनिट-लिक्ंड इंश्योरेंस प्लान या यूलिप्स के लिए होल्डिंग पीरियड अलग है। पांच साल के अंदर यूलिप के प्रीमियम पेंमेंट को स्टॉप करने से पहले क्लेम किया गया टैक्स बेनिफिट वापस लिया जा सकता है। इसी तरह दो साल तक प्रीमियम चुकाने से पहले पेंशन प्लान को सरेंडर करने पर सेक्शन 80सी के तहत क्लेम किया गया टैक्स डिडक्श वापस लिया जा सकता है।

लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते वक्त आपके लिए उन शर्तों को समझना जरूरी है जिनके कारण मैच्योरिटी अमाउंट टैक्सेबल हो जाता है। अभी, सेक्शन 80सी के तहत टैक्स डिडक्शन सिर्फ ऐसी पॉलिसी पर उपलब्ध है जिसका प्रीमियम सम एश्योर्ड का 10 फीसदी तक होता है। अगर प्रीमियम सम एश्योर्ड के 10 फीसदी से अधिक हो जाता हो तो मैच्योरिटी के बाद आपको मिलने वाले पैसे पर टैक्स चुकाना होगा। यह लिमिट 1 अप्रैल, 2012 के बाद जारी की गई पॉलिसीज के लिए है। इससे पहले प्रीमियम लिमिट सम एश्योर्ड का 20 फीसदी था।

होम लोन के प्रिसिंपल पेमेंट पर भी सेक्शन 80 के तहत टैक्स बेनिफिट मिलता है। हालांकि, इस नियम के लिए कोई शर्त नहीं है, लेकिन पजेशन मिलने की तारीख से पांच साल के अंदर आप प्रॉपर्टी नहीं बेच सकते। अगर आप पांच साल के अंदर प्रॉपर्टी बेच देते हैं तो आपका टैक्स बेनिफिट वापस ले लिया जाएगा। साथ ही आपको कैपिटल गेंस टैक्स भी चुकाना होगा।

टैक्स बेनिफिट वापस लिए जाने की वजह से आपका टैक्स ब्रेकेट भी बदल सकता है। इसकी वजह यह है कि टैक्स डिडक्शन का फायदा नहीं मिलने की वजह से आपकी इनकम बढ़ जाएगी। इसे एक उदाहरण की मदद से समझा जा सकता है।

मान लीजिए एक व्यक्ति का टैक्सेबल इनकम 4.85 लाख रुपये सालाना है। इसका मतलब है कि वह 5 फीसदी इनकम टैक्स ब्रेकेट में आता है। अगर वह तय लिमिट से पहले लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी से अपने पैसे निकाल लेता है तो टैक्स-डिडक्शन के रूप में क्लेम किया गया 45,000 रुपये उसकी इकम में जोड़ दिए जाएंगे। इससे उसकी टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपये से ज्यादा हो जाएगी। फिर वह 20 फीसदी टैक्स ब्रेकेट में आ जाएगी।

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First Published: Sep 12, 2022 11:48 AM

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