Budget 2023 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नए टैक्स रिजीम में टैक्स की सीमा को बढ़ा दिया था। अब 7 लाख रुपये तक की सालाना इनकम वालों को कोई भी टैक्स नहीं देना होगा। हालांकि एक्सपर्ट्स का कहना है कि सैलरीड पर्सन और दूसरे टैक्स पेयर्स को नई टैक्स रिजीम में बेसिक टैक्स छूट की लिमिट के साथ कंफ्यूज नहीं होना चाहिए। बता दें कि बजट 2023 में टैक्स स्लैब में भी बदलाव किया गया है।
टैक्स स्लैब में हुआ है बदलाव
बजट 2023 में टैक्स स्लैब में बेसिक छूट की लिमिट को 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये सालाना का कर दिया गया है। यानी कि अगर किसी की सालाना इनकम 3 लाख रुपये से ज्यादा है तो वह टैक्स के दायरे में आता है। हालांकि सात लाख रुपये तक की सालाना इनकम पर उसे किसी भी तरह का टैक्स नहीं देना होगा। यह छूट इनकम टैक्स एक्ट 1961 की धारा 87A के तहत दी जाती है।
कौन ले सकता है एक्ट 1961 की धारा 87A का लाभ
आयकर अधिनियम के अनुसार धारा 87A के तहत यह छूट केवल भारत के निवासी व्यक्तियों को ही मिलेगी। NRI, हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) और फर्मों को इस छूट से बाहर रखा गया है। यह छूट नए और पुराने दोनों ही टैक्स रिजीम में मिलता है। वित्त वर्ष 2022-23 तक दोनों ही टैक्स रिजीम में यह छूट समान होगी।
87A के तहत मिलेगी इतनी छूट
वित्त वर्ष 2022-23 (31 मार्च 2023 तक) किसी भी वित्तीय वर्ष के लिए नई कर व्यवस्था के विकल्प चुनने वाले को अगर उसकी सालाना आय 5 लाख रुपये से ज्यादा नहीं है तो उसे 12,500 रुपये की टैक्स छूट का लाभ मिलेगा। इसी तरह पुराने टैक्स रिजीम में भी यह छूट 12,500 रुपये की है। पुरानी कर व्यवस्था में, सभी कटौतियों और कर छूट का दावा करने के बाद कर योग्य आय की गणना की जाती है। जबकि नई कर व्यवस्था वित्त वर्ष 2022-23 तक आम कटौती और छूट की अनुमति नहीं देती है।
नए टैक्स रिजीम में बढ़ाई गई छूट
वित्त वर्ष 2023-24 से नई कर व्यवस्था के तहत मिलने वाली कर छूट की राशि को बढ़ा दिया गया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 से नई टैक्स व्यवस्था के तहत इनकम टैक्स स्लैब में संशोधन किया है। नई कर व्यवस्था को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए धारा 87ए के तहत 7 लाख रुपये तक की कर योग्य आय पर छूट को बढ़ाकर 25,000 रुपये कर दिया गया है। जिस वजह जिनकी सालाना आय सात लाख रुपये से कम है उनको वित्त वर्ष 2023-24 में नई कर व्यवस्था का विकल्प चुनने पर कोई भी टैक्स नहीं देना होगा।
नए टैक्स रिजीम वाले इस तरह से कर पाएंगे टैक्स में छूट का दावा
इनकम टैक्स की धारा 87A के तहत टैक्स में छूट का दावा करने के लिए आपको सबसे पहले अपनी इनकम को कैलकुलेट करना होगा।
दूसरे स्टेप में आपको उन सभी कटौतियों को इसमें से घटा देना है जिसके लिए आप पात्र हैं। वित्त वर्ष 2022-23 में, एक व्यक्ति कर्मचारी के एनपीएस खाते में नियोक्ता के योगदान के लिए धारा 80CCD (2) के लिए पात्र है। वित्त वर्ष 2023-24 से, एक वेतनभोगी कर्मचारी 50,000 रुपये की मानक कटौती के लिए भी पात्र है।
तीसरे स्टेप में कटौतियों को अपनी सालाना इनकम से घटाने के बाद आपको वह आंकड़ा मिलेगा जिसपर आपको टैक्स देना है। अगर आपकी इनकम इसके बाद सात लाख रुपये से कम है तो आपको कोई भी टैक्स नहीं देना होगा।
ओल्ड टैक्स रिजीम में क्या है प्रॉसेस
सभी स्रोतों से होने वाली कुल इनकम को कैलकुलेट करें। इसके बाद उन सभी कटौतियों को इसमें से घटा दें जिसके लिए आप पात्र हैं। बता दें कि पुरानी कर व्यवस्था में टैक्स स्लैब और दरों में कोई भी बदलाव नहीं किया गया है। ओल्ड टैक्स रिजीम में आप धारा 80सी और 80 डी के तहत एचआरए और एलटीए जैसी कटौतियों को भी जोड़ सकते हैं। कटौतियों को अपनी सालाना इनकम से घटाने के बाद आपको वह आंकड़ा मिलेगा जिसपर आपको टैक्स देना है। इसके बाद अगर आपकी सालाना आय 5 लाख से कम है तो आपको कोई भी टैक्स नहीं देना होगा।