Income Tax Rule : नए वित्त वर्ष 2023-24 को आने में अब कुछ ही दिन रह गए हैं। नए वित्त वर्ष के साथ इनकम टैक्स से जुड़े कुछ नियमों में भी बड़ा बदलाव होने वाला है। इन नियमों की घोषणा फरवरी में एनुअल यूनियन बजट के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की थी। यहां हम इनकम टैक्स से जुड़े 10 ऐसे नियमों के बारे में बताने जा रहे हैं जो नए वित्त वर्ष यानी 1 अप्रैल से लागू होने जा रहे हैं। इन बदलावों का भारत में टैक्सपेयर्स पर अहम प्रभाव पड़ेगा। जो लोग प्रति वर्ष 7 लाख रुपये से कम कमाते हैं, उन्हें बढ़ी हुई छूट सीमा से लाभ होगा।
हालांकि, पहली बार डेट म्युचुअल फंड और मार्केट लिंक्ड डिबेंचर में निवेशकों को अब लॉन्ग टर्म टैक्स बेनिफिट का फायदा नहीं मिलेगा, जिसका म्युचुअल फंड इंडस्ट्री पर थोड़ा नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
होने वाले हैं ये 10 बड़े बदलाव
डिफ़ॉल्ट टैक्स रिजीम : अगर कोई शख्स यह नहीं बताता है कि वह किस रिजीम के तहत अपना रिटर्न जमा करेगा, तो उसके लिए नई टैक्स रिजीम डिफ़ॉल्ट टैक्स रिजीम की तरह काम करेगी। टैक्सपेयर टैक्स भरने के लिए पुरानी रिजीम का चयन कर सकेंगे.
टैक्स छूट की सीमा बढ़ाई गई: टैक्स में छूट की सीमा को 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 7 लाख रुपये कर दिया गया है।
इनकम टैक्स स्लैब: नई कर दरें 0% से 30% तक हैं। सालाना वेतन 3 लाख रुपये तक पर शून्य, 3 लाख रुपये से 6 लाख रुपये की सैलरी पर 5 फीसदी, 6 लाख रुपये से 9 लाख रुपये की सैलरी पर 10 फीसदी, 9 लाख रुपये से 12 लाख रुपये की सैलरी पर 15 फीसदी, 12 लाख रुपये से 15 लाख रुपये की सैलरी पर 20 फीसदी और 15 लाख रुपये से ऊपर की सैलरी पर 30% की दर से टैक्स देना होगा।
स्टैंडर्ड डिडक्शन : पुरानी रिजीम के तहत 50,000 रुपये की कटौती में कोई बदलाव नहीं किया गया है। और इसे नई व्यवस्था में बढ़ा दिया गया है।
एलटीए: लीव ट्रैवल अलाउंस नकदीकरण सीमा 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दी गई है।
फिजिकल गोल्ड कनवर्जन : अगर फिजिकल गोल्ड को इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रीसिप्ट (EGR) में बदला जाता है या EGR को फिजिकल गोल्ड में बदला जाता है तो इस पर कोई कैपिटल टैक्स गेन नहीं होगा।
कोई LTCG टैक्स बेनिफिट नहीं: डेट म्यूचुअल फंड में निवेश पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के बजाय शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन के रूप में टैक्स लगाया जाएगा।
मार्केट लिंक्ड डिबेंचर: MLD में निवेश को शॉर्ट टर्म कैपिटल एसेट माना जाएगा।
लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी : 5 लाख रुपये के एनुअल प्रीमियम से अधिक जीवन बीमा प्रीमियम से होने वाली आय टैक्सेबल होगी।
सीनियर सिटीजन के लिए बेनिफिट्स : सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम के तहत अधिकतम डिपॉजिट लिमिट 15 लाख रुपये से बढ़ाकर 30 लाख रुपये कर दी गई है। सरकार ने सीनियर सिटीजन को कई लाभ भी दिए हैं, जिनमें सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम और मंथली इनकम स्कीम के तहत अधिकतम डिपॉजिट लिमिट में वृद्धि शामिल है।