Income Tax : टैक्स डिडक्शन क्लेम करने के लिए फर्जी डॉक्युमेंट देने से मुसीबत में फंस सकते हैं आप, जानिए इसकी वजह

Income Tax : हर वित्त वर्ष की शुरुआत में कंपनियां अपने एंप्लॉयीज से यह पूछती हैं कि वित्त वर्ष में वे कितना टैक्स सेविंग्स इनवेस्टमेंट करने वाले हैं। फिर, कंपनियां कैलेंडर ईयर के आखिर में इसका प्रूफ सब्मिट करने को कहती हैं। इनवेस्टमेंट प्रूफ मिल जाने के बाद फाइनेंस डिपार्टमेंट एंप्लॉयी की सैलरी से टैक्स काटना शुरू करता है

अपडेटेड Jan 12, 2024 पर 7:36 PM
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Income Tax Planning: इनकम टैक्स प्लानिंग टैक्स देनदारियों को कम करने और सेविंग बढ़ाने में मदद करती है।

Income Tax : इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने हाल में एक फुल पेज विज्ञापन (advertisement) दिया है। इसमें टैक्सपेयर्स को फर्जी डिडक्शंस और एग्जेम्प्शन क्लेम नहीं करने की नसीहत दी गई है। यह विज्ञापन तब आया है, जब प्राइवेट कंपनियां अपने एंप्लॉयीज से इनवेस्टमेंट प्रूफ मांग रही है। ज्यादातर कंपनियों ने एंप्लॉयीज को मेल भेजा है। इसमें कहा गया है कि वित्त वर्ष 2023-24 में किए गए इनवेस्टमेंट का प्रूफ फाइनेंस डिपार्टमेंट को 15 जनवरी तक भेज दें। बच्चों की ट्यूशन फीस पर डिडक्शन क्लेम करने के लिए फीस पेमेंट का प्रूफ भी कंपनी के फाइनेंस डिपार्टमेंट को भेजना जरूरी है।

अप्रैल में एंप्लॉयर मांगते हैं इनवेस्टमेंट प्लान

हर वित्त वर्ष की शुरुआत में कंपनियां अपने एंप्लॉयीज से यह पूछती हैं कि वित्त वर्ष में वे कितना टैक्स सेविंग्स इनवेस्टमेंट करने वाले हैं। फिर, कंपनियां कैलेंडर ईयर के आखिर में इसका प्रूफ सब्मिट करने को कहती हैं। इनवेस्टमेंट प्रूफ मिल जाने के बाद फाइनेंस डिपार्टमेंट एंप्लॉयी की सैलरी से टैक्स काटना शुरू करता है। वह जनवरी से मार्च तक तीन महीनों में सैलरी से बराबर किस्त में टैक्स काट लेता है। इसे टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (TDS) कहा जाता है।


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ज्यादातर डिडक्शन क्लेम करने के प्रूफ है जरूरी

ज्यादातर डिडक्शन और एग्जेम्प्शन का लाभ उठाने के लिए प्रूफ सब्मिट करना जरूरी है। अंकाउंटेंसी फर्म Nangia Andersen India के पार्टनर नीरज अग्रवाल ने कहा, "एंप्लॉयीज को डिडक्शंस और एग्जेम्प्शंस का फायदा उठाने के लिए उनका प्रूफ देना जरूरी है।" कुछ ऐसे डिडक्शंस हैं, जिसके लिए प्रूफ देना जरूरी नहीं है। स्टैंडर्ड डिडक्शन इसका एक उदाहरण है। इसके अलावा एंप्लॉयीज प्रोविडेंट फंड और नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) में किए गए कंट्रिब्यूशन का प्रूफ एंप्लॉयीज से नहीं मांगा जाता है। इसकी वजह यह है कि इन्हें एंप्लॉयर सीधे एंप्लॉयीज की सैलरी से ट्रांसफर कर देता है।

प्रूफ नहीं देने पर नहीं मिलेगा डिडक्शन का लाभ

अग्रवाल ने बताया कि HRA, LTA, हाउसिंग लोन का इंटरेस्ट, बच्चों की ट्यूशन फीस, लाइफ इंश्योरोंस पॉलिसी, म्यूचुअल फंड की टैक्स सेविंग्स स्कीम ऐसे उदाहरण हैं, जिनका प्रूफ देना जरूरी है। उन्होंने कहा कि प्रूफ नहीं देने पर टीडीएस कैलकुलेशन में डिडक्शन का फायदा नहीं मिलेगा। इससे एंप्लॉयी की टैक्स लायबिलिटी बढ़ जाएगी। हालांकि, अगर आप निवेश के बावजूद किसी वजह से प्रूफ नहीं सके हैं तो भी डिडक्शन का फायदा आपको मिलेगा। लेकिन, यह तब मिलेगा जब आप इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर देंगे। इसके बाद रिफंड की प्रक्रिया शुरू होगी। इसमें थोड़ा समय लग सकता है।

LTA का क्लेम सीधे आईटीआर में करने से नुकसान

अग्रवाल का कहना है कि लीव ट्रैवल अलाउन्स यानी LTA के मामले में स्थिति थोड़ी अलग है। चूंकि, इसकी फैसलिटी सिर्फ एंप्लॉयर की तरफ से मिलती है, जिससे एंप्लॉयर को डॉक्युमेंट नहीं देने और सीधे ITR में उसे क्लेम करने से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपसे सवाल पूछ सकता है। HRA क्लेम करने के लिए एंप्लॉयर एंप्लॉयीज से रेंट एग्रीमेंट, रेंट रिसीट, टीडीएस डिडक्शन के सबूत और मकानमालिक का पैन मांगते हैं। उन्होंने कहा कि एक ही डिडक्शन क्लेम करने के लिए अलग-अलग एंप्लॉयर अलग-अलग डॉक्युमेंट मांग सकते हैं।

फर्जी डॉक्युमेंट देने पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का नोटिस

सबसे जरूरी बात यह कि डिडक्शन का फायदा उठाने के लिए फर्जी डॉक्युमेंट देना गलत है। अब इनकम टैक्स डिपार्टमेंट AI स्कैनर्स जैसी एडवान्स टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करता है। इससे फर्जी डॉक्युमेंट और ITR में नहीं बताई गई इनकम का वह आसानी से पता लगा लेता है। ऐसे मामलों में वह टैक्सपेयर्स को नोटिस भेजता है। कई बार टैक्सपेयर को जुर्माना या टैक्स पर इंटरेस्ट चुकाना पड़ जाता है।

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First Published: Dec 20, 2023 12:34 PM

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