मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) उन लोगों को नोटिस भेज रहा है जिन्होंने अपनी सैलरी के अलावा मूनलाइटिंग से भी पैसा कमाया है। साथ ही उन्होंने ITR दाखिल करते समय इस बारे में नहीं बताया था। मीडिया में चल रही एक रिपोर्ट के मुताबिक फाइनेंशियल ईयर 2019-2020 और 2020-2021 के लिए 1,000 से अधिक नोटिस भेजे गए थे।
मूनलाइटिंग का मतलब होता है कि आप अपनी नौकरी के अलावा भी कोई और नौकरी कर रहे हैं। यह दूसरी नौकरी आम तौर पर इंप्लॉयर की सहमति के बिना ही उनकी नियमित नौकरी के तौर पर ली जाती है। विप्रो के चेयरमैन रिशद प्रेमजी की तरफ से इस मुद्दे को उठाने के बाद मूनलाइटिंग पर बहस तेज हो गई थी। वहीं टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि मूनलाइटिंग तब होती है जब किसी को दो जगहों से सैलरी मिल रही हो। टैक्सपेयर्स से यह उम्मीद की जाती है कि वे आईटीआर दाखिल करते वक्त इस बारे में बताएं। टैक्सपेयर्स का कहना है कि इनकम टैक्स से जुड़े कानून आपको दो जगहों पर काम करने से नहीं रोकता है। एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के प्रोजेक्ट इनसाइट में एक लेटेस्ट डेटा एनालिटिक्स है जो विभाग को उन कर चोरों की पहचान करने में मदद करता है जिनकी आयकर रिटर्न फाइलिंग और खर्च उनके द्वारा दिखाए गए से मेल नहीं खाते हैं।
मूनलाइटर्स को क्यों नोटिस भेज रहा है आयकर विभाग?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि कई पेशेवरों ने अपने नियमित वेतन यानी कि मूनलाइटिंग से हुई कमाई के अलावा भी एक्स्ट्रा पैसा कमाय है, लेकिन आईटीआर भरते वक्त उन्होंने इस बारे में कोई उल्लेख नहीं किया है। कर अधिकारियों ने अब उन्हें इस अतिरिक्त आय को शामिल करने की याद दिलाने के लिए नोटिस भेजा है। बजट 2021 में सरकार ने आयकर अधिनियम में धारा 148ए पेश की थी। इस बारे में समझाते हुए टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर आयकर अधिकारी को कुछ जानकारी मिलती है कि करदाता किसी भी असेसमेंट ईयर के लिए इनकम से बच गया है जिस पर टैक्स चुकाया जाना है तो इस धारा के तहत टैक्स ऑफिसर सुनवाई कर सकता है।
मूनलाइटिंग से टैक्स इंप्लीकेशन
एक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर आपको मूनलाइटिंग से कमाई होती है तो आपको आईटीआर फाइल करने में दिक्कत होती है। टीडीएस काटने के लिए इंप्लॉयर अनुमानित कर योग्य आय का आंकड़ा तैयार करते हैं। ऐसे अनुमान में, दोनों इंप्लॉयर 50,000 रुपये की मानक कटौती पर विचार करते हैं। जबकि टैक्सपेयर एक बार ही इसका दावा कर सकता है। टैक्सपेयर्स 80सी कटौती पर भी विचार कर सकते हैं, जो कुल मिलाकर 1.5 लाख रुपये की अधिकतम सीमा से अधिक हो सकती है। कर दाखिल करते समय, करदाताओं को ये बदलाव करने होंगे और अतिरिक्त करों और ब्याज का खामियाजा भुगतना होगा। इससे बचने के लिए, करदाताओं को कुल करों की गणना करनी चाहिए, नियोक्ता द्वारा काटे गए कर (टीडीएस) को घटाना चाहिए और शेष राशि को अग्रिम कर किस्तों के रूप में भुगतान करना चाहिए।