केंद्रीय बैंक आरबीआई (RBI) ने 19 मई को दो हजार रुपये मूल्य के नोट को सर्कुलेशन से हटाने का ऐलान किया था। लोगों से इसे 30 सितंबर तक बैंकों या RBI के अधिकृत केंद्रों से बदलने को कहा गया। अब इसे लेकर एक सवाल यह है कि दो हजार रुपये के कितने नोट जमा किए जा सकते हैं या बदले जा सकते हैं। इसे लेकर तय कर दिया गया है कि एक बार में दो हजार रुपये के अधिकतम 10 नोट यानी 20 हजार रुपये बदलवाए जा सकते हैं। हालांकि बैंक खाते में जमा करने के लिए कोई सीमा नहीं है। अब यहां एक पेच टैक्स को लेकर है। टैक्स एक्सपर्ट्स के मुताबिक बैंक खाते में इन्हें जमा कराने से पहले स्टेटमेंट ऑफ फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन (SFT) के नियमों को जरूर जान लें।
इनकम टैक्स के नियम क्या हैं?
टैक्स एक्सपर्ट गौरी चड्ढा के मुताबिक अगर 10 लाख रुपये से अधिक सेविंग्स बैंक अकाउंट में जमा करते हैं तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इसे लेकर सवाल पूछ सकता है। चड्ढा ने सीएनबीसी आवाज को बताया कि इसके अलावा 50 लाख रुपये से अधिक की नगदी चालू खाते में जमा करने पर भी एसएफटी में इसकी जानकारी देनी होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि बैंक खातों में बड़े डिपॉजिट्स की जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से साझा करते हैं और यह डिपॉजिटर के फॉर्म 26एएस और AIS (एनुअल इनफॉर्मेशन स्टेटमेंट) में दिखता है। ऐसी स्थिति में टैक्स नोटिस भी मिल सकता है।
भारी-भारी कैश डिपॉजिट्स की निगरानी करने के लिए स्टेटमेंट ऑफ फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन (SFT) या स्टेटमेंट ऑफ रिपोर्टेबल अकाउंट के नियम तय किए गए हैं। इसकी मदद से टैक्स अधिकारी एक वित्त वर्ष में किसी शख्स के सभी हाई वैल्यू वाले लेन-देन की जानकारी ले सकता है। इस स्टेटमेंट को कुछ निश्चित एंटिटीज जैसे कि बैंकिंग कंपनी, को-ऑपरेटिव बैंक या शेयर जारी करने वाली कंपनी इत्यादि को फाइल करना होता है। इसमें किसी वित्त वर्ष में खास प्रकार के वित्तीय लेन-देन जैसे कि हाई वैल्यू ट्रांजैक्शन्स की जानकारी देनी होती है। इस स्टेटमेंट के जरिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट सभी बड़े लेन-देन पर नजर रखता है।
नोटिस मिल जाए तो क्या करें?
मौजूदा परिस्थितियों की बात करें तो एक सीमा से अधिक दो हजार रुपये मूल्य के नोट को खाते में जमा करते हैं तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से नोटिस मिल सकता है। हालांकि इसे लेकर घबराने की जरूरत नहीं है। नोटिस मिलने पर इस डिपॉजिट की प्रकृति और सोर्स को बताना होगा। हालांकि एक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर जवाब से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट संतुष्ट नहीं होता है तो इसे प्रिविएस ईयर की अघोषित आय मानी जाएगी और सख्त कार्रवाई हो सकती है।