Advance Tax Deadline Alert: वित्त वर्ष 2022-23 के एडवांस टैक्स की चौथी और आखिरी किश्त जमा करने की डेडलाइन खत्म होने में अब बस दो ही दिन बचे हैं। अगर कोई टैक्सपेयर्स इसके दायरे में आता है तो उसे 15 मार्च तक इसका पेमेंट कर देना चाहिए। इससे चूकने पर सेक्शन 234बी और सेक्शन 243सी के तहत जुर्माना भरना पड़ सकता है। आयकर विभाग ने टैक्सपेयर्स को एडवांस टैक्स की डेडलाइन से जुड़ी जागरुकता के लिए ट्वीट करके जागरुक किया है। आइए यहां जानते हैं कि एडवांस टैक्स क्या है, इसे किसे चुकाना पड़ता है और अगर चुकाने में असफल रहते हैं तो क्या पेनाल्टी लगेगी। इसके अलावा इसे किस तरह से पेमेंट किया जाता है।
किसी वित्त वर्ष की कमाई पर उसी वित्त वर्ष में जो टैक्स चुकाया जाता है, वह एडवांस टैक्स है। यह चार किश्तों में भरा जाता है। पूरे साल भर की अनुमानित कमाई का 15 फीसदी टैक्स 15 जून तक, 15 सितंबर तक 45 फीसदी, 15 दिसंबर तक 75 फीसदी और 15 मार्च तक 100 फीसदी टैक्स पेमेंट करना पड़ता है।
कैसे होता है एडवांस टैक्स का पेमेंट
सभी कॉरपोरेट और इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 44बी के तहत जिनके खातों का ऑडिट होना जरूरी है, उन्हें एडवांस टैक्स का ई-पेमेंट ही करना होगा। बाकी टैक्सपेयर्स के लिए एडवांस टैक्स का ई-पेमेंट अनिवार्य तो नहीं है लेकिन यह अधिक सुविधाजनक है।
किसे चुकाना होता एडवांस टैक्स और किसे नहीं
सैलरीड एंप्लॉयीज जिनकी टैक्स देनदारी किसी वित्त वर्ष में 10 हजार रुपये या इससे अधिक हो। इसके अलावा किसी इंडिविजुअल्स को सैलरी से अलावा किराए, कैपिटल गेन्स, फिक्स्ड डिपॉजिट्स, लॉटरी जैसे अन्य स्रोत से आय हो तो एडवांस टैक्स पेमेंट करना पड़ता है।
वहीं अगर 60 साल या इससे अधिक उम्र के रेजिडेंट सीनियर सिटीजंस को अगर किसी कारोबार या पेशे से आय नहीं होती है तो उन्हें एडवांस टैक्स नहीं देना है। वहीं सैलरीड पर्सन को अगर सैलरी के अलावा किसी भी अन्य स्रोत से आय नहीं होती है तो उन्हें भी एडवांस टैक्स नहीं देना होगा क्योंकि उनके एंप्लॉयर्स पहले ही मासिक वेतन से एप्लीकेबल टैक्स काट लेते हैं।
नहीं भरा एडवांस टैक्स तो क्या होगा
अगर एडवांस टैक्स की कोई किश्त चुकाने में फेल होते हैं तो टैक्सपेयर्स को ब्याज के साथ इसे चुकाना होगा। सेक्शन 234सी के तहत बकाए किश्त पर हर महीने एक फीसदी के हिसाब से ब्याज देना होगा। चूंकि एडवांस टैक्स अनुमानित आय के हिसाब से होती है तो 10 फीसदी तक के मार्जिन को मंजूरी है यानी कि पूरे साल की आय के हिसाब से जो टैक्स बनता है, उसके 90 फीसदी से कम एडवांस में दिया है तो हर महीने एक फीसदी का ब्याज देना होगा। यहां ध्यान देने वाली बात ये भी है कि ब्याज की गणना के लिए महीने के एक हिस्से को भी पूरे महीने के रूप में गिना जाता है।