टैक्स बचाने की हड़बड़ी में कही आप गलत इंस्ट्रूमेंट में तो नहीं कर रहे निवेश? जानिए क्या है एक्सपर्ट्स की सलाह

Tax-Savings: 31 मार्च की तारीख नजदीक आने के साथ टैक्स-सेविंग्स इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश बढ़ने लगता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि टैक्सपेयर को टैक्स-बचत के लिए जल्दबाजी में निवेश करने से बचना चाहिए। सिर्फ टैक्स बचाने के लिए किसी इंस्ट्रूमेंट में निवेश करना बुद्धिमानी नहीं है। इससे आप ज्यादा रिटर्न कमाने का मौका चूक सकते हैं

अपडेटेड Feb 28, 2024 पर 2:00 PM
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एक्सपर्ट्स का कहना है कि टैक्स-प्लानिंग को फाइनेंशियल प्लानिंग से अलग करके नहीं देखना चाहिए।

Tax-Savings: फाइनेंशियल ईयर के आखिरी महीनों में टैक्स-सेविंग्स इनवेस्टमेंट (Tax-Savings Investment) बढ़ जाती है। इसकी वजह यह है कि 31 मार्च तक किए गए निवेश पर ही उस वित्त वर्ष के लिए डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 80सी के तहत टैक्स-सेविंग्स इंस्ट्रूमेंट में निवेश कर 1.5 लाख रुपये तक का डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। इस मौके का फायदा उठाने के लिए म्यूचुअल फंड्स, इंश्योरेंस कंपनियां और उनके एजेंट्स पूरी कोशिश करते हैं। ऐसे में कई बार टैक्सपेयर ऐसे इंस्ट्रूमेंट में निवेश कर देता है, जो उसके लिए फायदेमंद नहीं होता है। इसलिए अगर आप 31 मार्च से पहले टैक्स-सेविंग्स इनवेस्टमेंट करना चाहते हैं तो आपको इस बात का खास ध्यान रखने की जरूरत है कि जिस इंस्ट्रूमेंट में आप निवेश करने जा रहे हैं वह आपके लिए सही है या नहीं।

इंश्योरेंस कंपनियों के फ्री-लुक पीरियड का उठा सकते हैं लाभ

सबसे पहले आपको यह देखने की जरूरत है कि आप टैक्स सेविंग्स के लिए जिस प्रोडक्ट में निवेश कर रहे हैं वह म्यूचुअल फंड है या यूलिप है। आपको यह भी ध्यान देने की जरूरत है कि निवेश के वक्त आप किस कंपनी के नाम में चेक काट रहे हैं या ऑटो-डेबिट के लिए अथॉराइजेशन दे रहे हैं। कई टैक्सपेयर्स टैक्स-सेविंग्स के लिए इंश्योरेंस कंपनियों के यूलिप में निवेश कर देते हैं। इसका लॉक-इन पीरियड 5 साल होता है। इसके मुकाबले म्यूचुअल फंड की टैक्स-सेविंग्स स्कीम में लॉक-इन पीरियड 3 साल है। अगर आपने किसी प्रोडक्ट में निवेश कर दिया है और अब आपको लगता है कि यह निवेश सही नहीं है तो आप प्रीमियम रिफंड के लिए 15-30 दिन के फ्री-लुक पीरियड का इस्तेमाल कर सकते हैं।


सिर्फ टैक्स बचाने के लिए निवेश करने से बचें

सिर्फ टैक्स बचाने के लिए इंश्योरेंस कंपनियों के एन्डॉमेंट प्लान में निवेश करना भी बुद्धिमानी नहीं है। इसकी वजह यह है कि गारंटीड ट्रेडिशनल पॉलिसीज में रिटर्न 4-6 फीसदी के बीच होता है। ऐसे कई दूसरे डेट प्रोडक्ट्स हैं, जिनमें निवेश कर इससे ज्यादा रिटर्न कमाया जा सकता है। दरअसल, इंश्योरेंस निवेश के लिए नहीं है। इंश्योरेंस का मकसद सुरक्षा या प्रोटेक्शन है। यही वजह है कि फाइनेंशियल प्लानर टर्म पॉलिसी खरीदने की सलाह देते हैं। इससे वित्तीय सुरक्षा का मकसद पूरा होता है। खासकर सीनियर सिटीजंस को गारंटीडी एन्डॉमेंट प्लान में निवेश करने से बचना चाहिए।

टैक्स प्लानिंग को बनाए इनवेस्टमेंट प्लानिंग का हिस्सा

टैक्स-प्लानिंग को फाइनेंशियल प्रोसेस प्लानिंग से अलग करके नहीं देखना चाहिए। हर टैक्सपेयर को वित्त वर्ष की शुरुआत यानी अप्रैल में यह देखना चाहिए कि सेक्शन 80सी के तहत उसका कुल कितना निवेश होने जा रहा है। जो माता-पिता बच्चों की ट्यूशन फीस चुकाते हैं, उन्हें टैक्स-सेविंग्स के लिए इसका ध्यान सबसे पहले रखना चाहिए। दो बच्चों तक की ट्यूशन फीस पर डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। 1.5 लाख रुपये की लिमिट में से ट्यूशन फीस घटाने के बाद जितना अमाउंट बचता है, उसके बारे में आपको टैक्स-सेविंग्स के लिए सोचना चाहिए।

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First Published: Feb 28, 2024 1:47 PM

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