सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ रही है। RBI सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जारी करता है। आरबीआई गवर्नमेंट बॉन्ड्स भी जारी करता है। वह स्मॉल-सेविंग्स स्कीम का भी प्रबंधन करता है। इन इंस्ट्रूमेंट्स से जुटाए गए पैसे का इस्तेमाल सरकार के बजट घाटे को पूरा करने के लिए किया जाता है। RBI सरकार की तरफ से निवेशकों को एसजीबी इश्यू करता है। एसजीबी का मैच्योरिटी पीरियड 8 साल है। लेकिन, पांच साल बाद इसमें से पैसे निकाले जा सकते हैं। इनवेस्टर को 8 साल में गोल्ड की कीमतों में हुए इजाफे का फायदा मिलता है। साथ ही सालाना 2.5 फीसदी का इंटरेस्ट भी मिलता है।
एसजीबी सरकार की तरफ से जारी किए जाते हैं, जिससे निवेशक का पैसा डूबने का डर नहीं होता है। मैच्योरिटी पर मिला पैसा कैपिटल गेंस टैक्स के दायरे में नहीं आता है। इसमें लिक्विडिटी एक प्रॉब्लम है, क्योंकि निवेश 8 साल तक बनाए रखना होता है। अब कुछ ऐसी बातों को जान लेना जरूरी है, जो इस प्रोडक्ट को दूसरे प्रोडक्ट्स से अलग करती है। जब कोई इश्यूअर डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट इश्यू करता है तो कीमतों में उतार-चढ़ाव के असर से बचने के लिए अंडरलाइंड एसेट में निवेश किया जाता है। लेकिन, सरकार जारी किए गए एसजीबी की वैल्यू के बराबर फिजिकल गोल्ड में निवेश नहीं करती है।
इनवेस्टर और सरकार के बीच एग्रीमेंट
एसजीबी में पैसे लगाने वाले इनवेस्टर का एक तरह से सरकार के साथ फाइनेंशियल एग्रीमेंट होता है। इस एग्रीमेंट में सरकार मैच्योरिटी पर सोने की बाजार में चल रही कीमत के मुताबिक पैसे लौटाने का वादा करती है। साथ ही सालाना 2.5 फीसदी का इंटरेस्ट भी देती है। सवाल यह है कि सरकार अंडलाइंग गोल्ड के बगैर क्यों एसजीबी इश्यू करती है?़
एसजीबी की अब तक 66 किस्तें
RBI ने नवंबर 2015 से दिसंबर 2023 के बीच एसजीबी की 66 किस्त पेश की है। एसजीबी का पहला इश्यू नवंबर 2015 में आया था। तब सोने की कीमत 2,684 रुपये प्रति ग्राम थी। नवंबर में मैच्योरिटी पर सोने की कीमत 6,132 रुपये प्रति ग्राम थी। आठ साल में निवेशकों को इस पर 10.88 फीसदी कंपाउंडेड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) के हिसाब से रिटर्न मिला। इसके अलावा सरकार ने सालाना 2.75 फीसदी इंटरेस्ट दिया। यह इंटरेस्ट रेट शुरू में था। बाद में 2016-17 से जारी किए गए एसजीबी पर इंटरेस्ट रेट घटाकर सालाना 2.5 फीसदी कर दिया गया।
सरकार की कुल आउस्टैंडिंग सिक्योरिटीज
सरकार की कुल आउस्टैंडिंग सिक्योरिटीज 12 फरवरी, 2024 को 1,02,36,458 करोड़ रुपये की थी। 20 मई, 2023 को प्रकाशित आरबीआई की 2022-23 की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, नवंबर 2015 में एसजीबी स्कीम की शुरुआत से अब तक 66 किस्तों के जरिए कुल 45,243 करोड़ रुपये जुटाए गए। इसका मतलब है कि सरकार की कुल आउस्टैंडिंग सिक्योरिटीज में एसजीबी की हिस्सेदारी सिर्फ 0.44 फीसदी है। एसजीबी पर सालाना 2.5 फीसदी इंटरेस्ट रेट के पेमेंट से सरकार पर सालाना करीब 1,131 करोड़ रुपये का खर्च आता है। इसलिए फिजिकल गोल्ड में निवेश नहीं करने सरकार जो रिस्क लेती है वह बहुत ज्यादा नहीं है।
गोल्ड इंपोर्ट पर खर्च होती है काफी ज्यादा विदेशी मुद्रा
RBI की तरफ से प्रकाशित 2022-23 की इंडियन इकोनॉमी की हैंडबुक ऑफ स्टैटिस्टिक्स के मुताबिक, सरकार ने 2011से 2023 के दौरान सोने के आयात पर 30,40,349 करोड़ रुपये खर्च किए। गोल्ड इंपोर्ट पर होने वाला खर्च इंडिया के लिए कैपिटल आउटफ्लो है। यह फाइनेंशियल रिसोर्सेज का सही इस्तेमाल नहीं है। गोल्ड का इंडस्ट्रियल इस्तेमाल नहीं के बराबर है। फिजिकल गोल्ड में ज्यादातर परिवारों का निवेश होता है, जिससे यह उनके बैंक लॉकर में पड़ा रहता है। इसका कोई प्रोडक्टिव इस्तेमाल नहीं होता है।
एसजीबी से सरकार पर गोल्ड इंपोर्ट का दबाव घटा
अब एसजीबी के फायदे की बात करते हैं। इससे सरकार पर गोल्ड के इंपोर्ट का बोझ घट जाता है। सरकार सोने के आयात पर खर्च होने वाली विदेशी मुद्रा का इस्तेमाल दूसरे जरूरी कामों के लिए करती है। इंडिया सोने का दूसरा सबसे बड़ा कंज्यूमर है। इंपोर्ट किए गए ज्यादातर सोने का इस्तेमाल कंज्यूमर डिमांड पूरी करने के लिए होता है। लोग फिजिकल गोल्ड खरीदने और गोल्ड इंपोर्ट की जरूरत बढ़ाने की जगह निवेश के लिए एसजीबी में निवेश कर सकते हैं।
निवेशकों को एसजीबी ने दिया अच्छा रिटर्न
गोल्ड की कीमतों में अच्छी वृद्धि देखने को मिली है। जियो-पॉलिटिकल टेंशन बढ़ने से लोग सोने में निवेश बढ़ा रहे हैं। इसकी वजह यह है कि सोने को सबसे सुरक्षित निवेश माना जाता है। दुनियाभर के केंद्रीय बैंक भी अमेरिकी डॉलर की कीमतों में उतार-चढ़ाव के असर से बचने के लिए सोने में निवेश बढ़ा रहे हैं। सरकार अंडलाइंग गोल्ड में निवेश किए बगैर एसजीबी इश्यू करने का रिस्क उठाती है। सरकार के लिए व्यावहारिक रूप से एसजीबी इश्यू करना फायदेमंद है। निवेशकों के लिए भी एसजीबी में निवेश फायदेमंद है। सोने की कीमतों में इजाफा के फायदे के साथ ही उन्हें सालाना इंटरेस्ट भी मिलता है। साथ ही मैच्योरिटी अमाउंट लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस के दायरे में नहीं आता है।
यह भी पढ़ें: Gold Rate: आज सोने-चांदी का भाव रहा फ्लैट, चेक करें 10 ग्राम गोल्ड का रेट