RBI policy : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की एमपीसी ने 10 अगस्त को सर्वसम्मति से रेपो दर को 6.5 फीसदी पर बरकरार रखने का फैसला लिया है। रियल एस्टेट सेक्टर के दिग्गजों का कहना है कि दरों में कोई बदलाव म करने का यह फैसल आरबीआई एमपीसी के 'मजबूत और सतर्क रुख' को प्रदर्शित करता है। इससे देश में घरों की मांग में बढ़क की उम्मीद है। वास्तव में, एनरॉक रिसर्च के मुताबिक पिछले दो सालों में मासिक किस्तों (EMI) में 20 फीसदी की बढ़त हुई है। एनरॉक रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि जो होम लोन ग्राहक जुलाई 2021 में लगभग 22700 रुपये की ईएमआई का भुगतान कर रहे थे वे इस समय लगभग 27300 रुपये का भुगतान कर रहे हैं। इस अवधि में इसमें लगभग 4600 रुपये प्रति माह की बढ़त हुई।
एनरॉक रिसर्च में आगे कहा गया है कि इस साल फरवरी से रेपो दर को 6.5 फीसदी पर स्थिर रखने का आरबीआई का फैसला ईएमआई पर निर्भर घर खरीदारों के लिए राहत लेकर आया है। इसमें आगे ये भी कहा गया कि फंड लागत में स्थिरता आने से रियल एस्टेट डेवलपर्स की बैलेंस शीट को भी फायदा होगा।
जेएलएल इंडिया के चीफ इकोनॉमिस्ट और एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर रिसर्च सामंतक दास का कहना है कि सामान्य से कम मानसून की उम्मीद के कारण महंगाई दबाव बने रहने की उम्मीद है। ऐसे में मॉनीटरी पॉलिसी पर आरबीआई का कठोर रुख बरकरार रहने की संभावना है। उन्होंने आगे कहा कि ब्याज दरों में लगातार तीसरी बैठक में बढ़त न करना रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए सकारात्मक खबर है। रियल एस्टेट सेक्टर के रेसीडेंशियल सेगमेंट में तिमाही आधार पर लगातार अच्छी ग्रोथ देखने को मिल रही है। आरबीआई के दरें न बढ़ाने के फैसले से आगे भी इसमें अच्छी ग्रोथ की उम्मीद नजर आ रही है।
श्री दिनेश गुप्ता, सचिव, क्रेडाई वेस्टर्न यूपी का कहना है कि रेपो दर में कोई बदलाव न करने के आरबीआई के फैसले से निस्संदेह रियल एस्टेट को बढ़ावा मिलेगा, लेकिन समग्र बाजार विश्वास को मजबूत करने और इसे कमर्शियल और आवासीय खरीदारों के लिए अधिक आकर्षक बनाने के लिए शीघ्र ही ब्याज दरों में कटौती को प्राथमिकता देनी चाहिए। हालांकि, इस समय डेवलपर्स के पास बेहतर फंड और इसकी वैकल्पिक व्यवस्था के कारण रियल एस्टेट सेक्टर मध्यम और लक्जरी वर्ग दोनों के आवास की मांग और आपूर्ति करने में सक्षम है।
आरजी ग्रुप के निदेशक श्री हिमांशु गर्ग का भी कहना है कि ईएमआई पर आधारित बाजार में, त्योहारी सीजन से पहले रेपो दर को 6.5 पर बनाए रखना रियल एस्टेट सेक्चर के लिए एक अच्छा कदम है क्योंकि इसमें कोई भी बदलाव ऋण लेने वालों को प्रभावित करता है। हालांकि, उपभोक्ता भावनाओं को सकारात्मक बढ़ावा देने के लिए इस बार दर में कटौती होती तो बेहतर होता। आशा है कि भविष्य में ऐसा ही होगा। फिक्स्ड से फ्लोटिंग ब्याज दरों के बीच स्विच करने के विकल्प से होम लोन लेने वालों को राहत मिलेगी क्योंकि उन्हें ऋण की अधिकतम समय सीमा में एक बार लोन पुनर्गठन के बाद पुनः किसी बदलाव का मौका नहीं मिलता है।
रियल एस्टेट में जारी रहेगी तेजी : जेएलएल
जेएलएल की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2023 की पहली छमाही में घरों बिक्री में सालाना आधार पर 21 फीसदी की बढ़त हुई है। यह हाई ग्रोथ वाली एक और अवधि रही है। पिछले वर्ष के दौरान हर तिमाही में घरों बिक्री में लगातार नए शिखर बनते दिखे। पिछले 12 महीनों में घर की कीमतों में भी 8-15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, लेकिन इस बढ़त का असर को नीति दरों में बढ़त न होने से संतुलित हो जाएगा।
कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (क्रेडाई) के अध्यक्ष बोमन ईरानी का कहना है कि रेपो दर को 6.5 फीसदी पर बनाए रखने का आरबीआई का फैसला लंबी अवधि में महंगाई को नियंत्रित करने की दिशा में उठाया गया सही कदम है। अर्थव्यवस्था पटरी पर है और सभी सेक्टरों में तेजी देखने को मिल रही है। ऐसे में अगर अगली एमपीसी बैटक में रेपो दर में कटौती की घोषणा की जाती है तो यह उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद होगा। इससे त्योहारी सीजन में उपभोक्ता खर्च बढ़ेगा और सभी सेक्टर में मांग बढ़ेगी। इससे भारत की ग्रोथ स्टोरी को ईंधन मिलेगा।