किन स्थितियों में आपको बिजली बिल पर देना पड़ सकता है 18% GST, CBIC ने जारी किया बयान

सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायेरक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स (CBIC) ने इस मामले में स्पष्टीकरण जारी किया है। CBIC की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, 'यह साफ किया जाता है कि अगर बिजली की सप्लाई अचल संपत्ति के किराए या बिल्डिंग के मेंटेनेंस से जुड़ी है, तो यह कंपोजिट सप्लाई का हिस्सा होगा और इस पर इसी हिसाब से टैक्स लगेगा।'

अपडेटेड Nov 03, 2023 पर 5:15 PM
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CBIC के इस स्पष्टीकरण से बड़ी ग्रुप हाउसिंग सोसायटी पर असर पड़ सकता है।

अगर रियल एस्टेट फर्मों, मॉल या एयरपोर्ट द्वारा बिजली बिल को रेंट या मेंटेनेंस चार्ज में जोड़ा जाता है, तो इसे कंपोजिट सप्लाई माना जाएगा और इस पर 18 पर्सेंट गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) लगेगा। हालांकि, अगर बिजली की सप्लाई रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन या रियल एस्टेट डिवेलपर्स की तरफ से की जाती है, जहां बिजली बिल राज्य इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड या डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों के वास्तविक चार्ज के आधार पर वसूली जाता है, तो इस पर GST नहीं लगेगा।

सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायेरक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स (CBIC) ने इस मामले में स्पष्टीकरण जारी किया है। CBIC की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, 'यह साफ किया जाता है कि अगर बिजली की सप्लाई अचल संपत्ति के किराए या बिल्डिंग के मेंटेनेंस से जुड़ी है, तो यह कंपोजिट सप्लाई का हिस्सा होगा और इस पर इसी हिसाब से टैक्स लगेगा।' ऐसी स्थिति में अगर बिजली का बिल अलग से भी तैयार किया जाता है, तो सप्लाई को कंपोजिट सप्लाई माना जाएगा, लिहाजा मुख्य सप्लाई के आधार पर जीएसटी रेट तय होगा।

कंपोजिट सप्लाई क्या है?


इसे एक उदाहरण से बेहतर तरीके से समझा जा सकता है- मान लें कि कोई खरीदार 30,000 रुपये में फ्रिज खरीदता है और इस पर 18 पर्सेंट GST लगता है। वेंडर, खरीदारी को बताता है कि उसे पैकेजिंग पर अतिरिक्त 500 रुपये खर्च करने होंगे, जिस पर 12 पर्सेंट जीएसटी लगेगा। वह खरीदार को यह भी बताता है कि 1,000 रुपये डिलीवरी चार्ज भी देना होगा और इस पर 5 पर्सेंट जीएसटी लगेगा। इस मामले में फ्रिज की खरीदारी मुख्य सप्लाई है और 18 पर्सेंट जीएसटी लगा है। बाकी चार्ज सहायक शुल्क की कैटगरी में हैं। इस पूरे पैकेज को कंपोजिट सप्लाई माना जाएगा।

अचल संपत्ति को किराए पर देने के मामले में मकान किराये के साथ बिजली की सप्लाई और/या बिल्डिंग या सोसायटी के मेंटेनेंस को कंपोजिट सप्लाई माना जा सकता है। इसमें अचल संपत्ति को किराए पर देना या बिल्डिंग या सोसायटी का मेंटेनेंस चार्ज प्रिंसिपल सप्लाई माना जाएगा और बिजली की सप्लाई को एनसिलियरी (सहायक) सप्लाई माना जाएगा। टैक्स एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह टैक्स किराएदार को अदा करना होगा और इससे रेंट और मेंटेनेंस चार्ज पर असर पड़ सकता है।

मौजूदा स्थिति

बिजली बिल वसूलने के मामले में फिलहाल कई तरह का चलन है। रियल एस्टेट डिवेलपर्स, रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन घरेलू/कमर्शियल मकान मालिकों से जीएसटी नहीं वसूलते हैं। मॉल, एयरपोर्ट और अन्य कमर्शियल जगहों के किराएदारों का बिजली बिल आम तौर पर किराए में जुड़ा होता है, लिहाजा यह 18 पर्सेंट जीएसटी के दायरे में होता है। अर्न्स्ट एंड यंग इंडिया (EY India) में टैक्स पार्टनर सौरभ अग्रवाल ने बताया कि रिहायशी प्रॉपर्टीज के किराए पर जीएसटी में छूट है, लिहाजा बिजली बिल पर जीएसटी लागू नहीं होता है।

घर/दुकान मालिकों को क्या चेक करना चाहिए?

केपीएमजी (KPMG) में पार्टनर, इनडायरेक्ट टैक्स हरप्रीत सिंह ने बताया, 'नए नियम से उन छोटी सोसायटी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, जिनकी बिलिंग अलग-अलग कनेक्शन के साथ सीधे डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों के जरिये होती है। कंज्यूमर के नजरिये से आपको यह पता करने की जरूरत है कि क्या रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (RWAs) द्वारा बिजली बिल की वसूली मेंटेनेंस चार्ज के तौर पर की जा रही है। अगर ऐसा है, तो यह कंपोजिट सप्लाई का हिस्सा बन जाएगा और इस पर जीएसटी देना पड़ सकता है।' CBIC के इस स्पष्टीकरण से बड़ी ग्रुप हाउसिंग सोसायटी पर काफी असर पड़ सकता है, क्योंकि उसमें रहने वाले लोगों को 18 पर्सेंट जीएसटी का बोझ वहन करना पड़ सकता है।

MoneyControl News

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First Published: Nov 03, 2023 5:15 PM

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