अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी ने एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती धारावी के पुनर्विकास को लेकर अपने सपने को साझा किया है। उन्होंने यह भी माना कि इस प्रोजेक्ट में काफी चुनौतियों का सामना करना होगा। महाराष्ट्र सरकार ने हाल में धारावी के पुनर्विकास के लिए अदाणी प्रॉपर्टीज की नियुक्ति को मंजूरी दी है।
गौतम अदाणी ने उम्मीद जताई कि हॉलीवुड के डायरेक्टर डैनी बोयले (Danny Boyle) अब पाएंगे कि नया धारावी अब और करोड़पति पैदा कर रहा है, लेकिन उसे 'स्लमडॉग' नहीं कहा जा सकता। उन्होंने इस सिलसिले में एक खुली चिट्ठी लिखी है, जिसमें कहा गया है, 'मुझे पता है कि इस अभियान की शुरुआत करने पर हमें बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। धारावी अपनी तरफ का अनोखा प्रोजेक्ट है।'
अदाणी ने इसे 'स्टेट ऑफ द आर्ट वर्ल्ड क्लास सिटी' बनाने का वादा किया है। उन्होंने निजी हैसियत में यह आश्वासन दिया कि पुनर्विकास परियोजना के तहत धारावी के लोगों को उनके नए घरों में फिर से बसाया जाएगा।
उनका कहना था कि यह उनका निजी वादा है कि धारावी के लोग यहां से कहीं और नहीं, बल्कि अपने नए घरों में जाएंगे। अदाणी ने कहा, 'उनक घर न सिर्फ उनकी आंखों के सामने बनेगा, बल्कि इसके निर्माण में भी उनका दखल होगा। हम उन्हें वे सुविधाएं भी मुहैया कराएंगे, जो फिलहाल उनके घरों में नहीं हैं- गैस, बिजली, सफाई, ड्रेनेज, स्वास्थ्य सुविधाओं, ओपन स्पेस।
प्रोजेक्ट में क्या है खास
अदाणी का कहना था कि यह प्रोजेक्ट तीन वजहों से खास है। पहला, यह दुनिया का सबसे बड़ा शहरी सेटलमेंट प्रोजेक्ट है। इसके तहत 10 लाख लोगों का पुनर्वास होगा। दूसरा, पुनर्वास में न सिर्फ रिहायशी इकाइयां शामिल होंगी, बल्कि अलग-अलग साइज की कारोबारी इकाइयों का भी पुनर्वास होगा। तीसरा, प्रोजेक्ट का मकसद समग्र तरीके से पुनर्वास है, क्योंकि इसमें सभी निवासियों (शर्तें पूरी करने वाले/शर्तें नहीं पूरी करने वाले) के लिए पुनर्विकास का प्रावधान होगा।
अदाणी का यह भी कहना था कि पुनर्वास के अलावा आजीविका भी बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा, 'हमारा मकसद धारावी को मॉडर्न सिटी हब में तब्दील करना है और इसके लिए मौजूदा सूक्ष्म और लघु उद्यमों को मजबूत बनाने के उपायों पर गौर किया जा रहा है। साथ ही, महिलाओं और युवाओं पर फोकस कर नई-नई तरह की नौकरियों को बढ़ावा दिया जाएगा।'
धारावी के साथ पहला एनकाउंटर
अदाणी ने धारावी को लेकर अपने पहले अनुभव को भी याद किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने पहली बार 1970 के दशक के आखिर में धारावी को देखा था। उन्होंने बताया, 'मैं उस वक्त मुंबई में नया था और मुझे उम्मीद थी कि मैं हीरा के कारोबार में सफलता हासिल करूंगा। उस वक्त भी धारावी देश के अलग-अलग हिस्से की भाषा, संस्कृति और मान्यताओं का ठिकाना था।'