Property: घर खरीदते समय यह सार्टिफिकेट लेना है बेहद जरूरी, जानिए क्या है इसकी अहमियत

Property: आपने कई बार मुंबई, दिल्ली जैसे शहरों में घर खरीदने के दौरान धोखाधड़ी के मामले सुने होंगे। ऐसे में बिल्डर से घर खरीदते समय किस तरह के डॉक्यूमेंट्स लेने की जरूरत होती है? इन सबकी जानकारी होना जरूरी है। ऐसा ही एक डॉक्‍यूमेंट है नॉन एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट (Non Encumbrance Certificate)। इस सार्टिफिकेट को लेना जरूरी है

अपडेटेड Jun 25, 2023 पर 12:50 PM
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Property: नॉन एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट एक तरह का कानूनी दस्तावेज है। इसमें प्रॉपर्टी से जुड़े सभी लेने-देन की जानकारी शामिल रहती है

Property: आम आदमी के लिए घर खरीदना किसी सपने से कम नहीं है। आज कल की इस बढ़ती महंगाई के बीच घर लेने के लिए लोन लेना आम बात हो गई है। अगर आप भी घर खरीद रहे हैं तो आपको जानकारी होनी चाहिए कि बिल्डर से कौन-कौन से डॉक्यूमेंट्स लेना बहुत जरूरी है। प्रॉपर्टी में किया जाने वाला निवेश काफी बड़ा होता है। लिहाजा इस प्रक्रिया के दौरान की गई कोई भी गलती भविष्य में बड़ी परेशानी का कारण बन सकती है। ऐसे में खरीदार के लिए प्रॉपर्टी के डॉक्यूमेंट्स की जांच करते समय सभी तरह की सावधानियां बरतना जरूरी हो जाता है। ऐसे ही एक नॉन एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट (Non Encumbrance Certificate) डॉक्यूमेंट्स होता है। यह प्रॉपर्टी से जुड़ी रजिस्ट्री और म्यूटेशन जितना ही बेहद खास होता है।

जानकारों का मानना है कि किसी भी प्रॉपर्टी को खरीदने के लिए जितना जरूरी रजिस्‍ट्री पेपर और म्‍यूटेशन के डॉक्‍यूमेंट होते हैं। उतना ही महत्‍वपूर्ण नॉन एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट भी होता है। दिल्‍ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों के खरीदारों के लिए यह और भी जरूरी है। ऐसे में बिल्डर से घर खरीदते समय नॉन एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट जरूर हासिल करें।

जानिए क्या है नॉन एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट


एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट अपने आप में एक तरह का रिकार्ड है। जिसमें आपकी प्रापर्टी से जुड़े सभी फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन का ब्यौरा शामिल रहता है। वहीं नॉन-एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट एक तरह का कानूनी कागजात है। इसमें यह घोषित किया जाता है कि आपकी प्रापर्टी के खिलाफ किसी प्रकार का रजिस्टर्ड एन्कम्ब्रन्स यानी कर्ज बकाया नहीं है। एक बार जब आप होम लोन चुका देते हैं, तो आपके एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट में सभी रिपेमेंट डिटेल दिखाई देता हैं। अमूमन एक नॉन एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट में किसी प्रॉपर्टी से जुड़ी 12 साल के लेनदेन की जानकारियां होती हैं। मतलब इसमें प्रॉपर्टी का पूरा इतिहास होता है। जैसे उसे किसने खरीदा, किसने बेचा, कितना मूल्‍य रहा और क्‍या उस पर कोई लोन है या नहीं।

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क्यों जरूरी है यह सार्टिफिकेट?

अगर आप प्रॉपर्टी खरीदने से पहले लोन लेना चाहते हैं तो बैंक आपसे नॉन एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट मांग सकते हैं। इसके अलावा आप भविष्‍य में इस प्रॉपर्टी को बेचना चाहते हैं तो भी आपको यह सर्टिफिकेट बहुत काम आएगा।

कैसे बनता है यह सार्टिफिकेट?

भारत के तमाम राज्‍यों जैसे आन्‍ध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी आदि में एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट बनवाने के लिए आप ऑनलाइन अप्‍लाई कर सकते हैं। वहीं इसे ऑफलाइन बनवाने के लिए आपको क्षेत्र के तहसीलदार के ऑफिस में जाना पड़ता है। यहां एक फॉर्म भरने के साथ जरूरी दस्‍तावेज जैसे एड्रेस प्रूफ, प्रॉपर्टी की जानकारी, जिसके लिए मांग रहे हैं। प्रॉपर्टी के लिए डीड बनाई गई है तो डीड की कॉपी आदि मांगे गए दस्‍तावेजों को जमा करना होगा। इसके बाद एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट जारी होने में 15 से 30 दिनों का समय लगता है। आप 12 से लेकर 30 सालों तक का एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट बनवा सकते हैं।

Jitendra Singh

Jitendra Singh

First Published: Jun 25, 2023 12:50 PM

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