Property: आज जमीन हर किसी के लिए बेहद खास है। इसकी मांग और कीमत दिन दोगुना और रात चौगुना बढ़ रही है। जिस तेजी से आबादी बढ़ रही है। उससे कई गुना तेजी से जमीन के दाम बढ़ रहे हैं। आजकल लोग घर या जमीन खरीदते समय धोखाधड़ी के भी शिकार हो रहे हैं। ऐसे में कोई भी संपत्ति लेने से पहले बेहद गहन छानबीन करना बहुत जरूरी है। कोई खरीदी हुई जमीन या फिर सरकारी पट्टे की जमीन के बारे में जानकारी होना और बहुत जरूरी है। कहीं ऐसा न हो कि जानकारी न होने पर आप प्रॉपर्टी खरीद लें। फिर बाद में किसी कानूनी पचड़े में फंस जाएं।
जमीन खरीदने से पहले उसकी पूरी तरह से छानबीन करना और डॉक्यूमेंट्स चेक करना जरूरी होता है। यह जरूर चेक कि जाता है कि जमीन पट्टे वाली है या उसकी रजिस्ट्री है। जब भी कोई व्यक्ति जमीन खरीदता है तो उसके सामने तीन तरह की जमीन के विकल्प होते हैं।
किसे कहते हैं पट्टे वाली जमीन?
जमीन 3 तरह के दस्तावेजों वाली होती है। एक होती है रजिस्ट्री वाली जमीन। जिस पर हम आंख बंद करके भरोसा कर सकते हैं। दूसरी नोटरी वाली जमीन होती है, जिस पर भी भरोसा किया जा सकता है। वहीं, तीसरी है पट्टे वाली जमीन। जिसे लेकर हमेशा से उलझन बनी रहती है कि इसे खरीदना चाहिए या नहीं। सरकार की ओर से देश की स्थितियों और नई-नई योजनाओं के तहत लोगों को जमीन का पट्टा दिया जाता है। इसमें जिनके पास जमीन नहीं है। उनको पट्टा दिया जाता है। इससे भूमिहीन परिवारों को थोड़ा राहत मिलती है। ऐसी जमीन पर सरकार के अलावा किसी व्यक्ति विशेष का अधिकार नहीं होता है। जिन्हें पट्टा मिलता है। इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि वो जमीन के मालिक बन गए। इस पहला अधिकार सरकार का होता है।
पट्टे वाली जमीन के बारे में कुछ अहम बातें
जिस के नाम से जमीन का पट्टा किया जाता है। वो किसी को भी नही बेच सकता है। न ही ट्रांसफर किया जा सकता है। व्यक्ति को तय समय तक पट्टा दिया जाता है। इसके लिए उसे रिन्यू कराना पड़ता है। यह पट्टा स्थानीय निकाय की ओर से किया जाता है। पट्टे कई तरह के होते हैं। जिसके नियम सरकार की ओर से तय किए जाते हैं।
रजिस्ट्री वाली जमीन पर मालिक अपनी इच्छानुसार किसी को बेच सकता है। वो किसी को भी टांसफर कर सकता है। जमीन बिकने के बाद उसके मालिक के रखरखाव के बारे में पूरा अधिकार रहता है।