रेजिडेंशियल प्लॉट को बदल सकेंगे कमर्शियल में, इस राज्य में आई नई पॉलिसी

अधिकारियों के मुताबिक, ग्राउंड कवरेज, फ्लोर एरिया रेशियो और प्लॉट की ऊंचाई जैसे पैरामीटर मूल आवासीय योजना के अनुरूप ही रहेंगे। शहरी स्थानीय निकाय, योजना के लिए आवेदन प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल क्रिएट करेंगे। इसमें स्क्रूटनी फीस और डॉक्युमेंट जमा करने के प्रावधान भी शामिल होंगे। यह पॉलिसी नगर निगम सीमा के अंतर्गत आने वाली प्लान्ड स्कीम्स पर लागू होगी

अपडेटेड Oct 14, 2023 पर 3:39 PM
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इस पॉलिसी को 11 अक्टूबर को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी दी गई।

हरियाणा सरकार (Haryana Government) ने 'हरियाणा म्यूनिसिपल अर्बन बिल्ट-प्लान रिफॉर्म पॉलिसी' को मंजूरी दी है। यह प्लान्ड स्कीम्स के तहत रेजिडेंशियल प्लॉट्स, कमर्शियल प्लॉट्स में बदलने की इजाजत देगी। अधिकारियों का कहना है कि राज्य सरकार का यह कदम प्लान्ड एरियाज में कमर्शियल एक्टिविटीज को रेगुलेट करेगा, बढ़ती कमर्शियल मांग को पूरा करेगा और बेहतर शहरी प्लानिंग में मदद करेगा। वहीं रियल एस्टेट एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस कदम से ऐसी आवासीय संपत्तियों की कीमतों में वृद्धि हो सकती है, जिनका कमर्शियल उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इस पॉलिसी को 11 अक्टूबर को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी दी गई।

पॉलिसी के तहत अगर कोई संपत्ति मालिक अपने रेजिडेंशियल प्लॉट को कमर्शियल प्लॉट में बदलना चाहता है तो उसे टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट की ओर से निर्धारित कन्वर्जन चार्जेस, 160 रुपये प्रति वर्ग मीटर की कंपोजीशन फीस, 10 रुपये प्रति वर्गमीटर की स्क्रूटनी फीस और प्रति वर्ग मीटर कमर्शियल कलेक्टर रेट के 5 प्रतिशत के बराबर विकास शुल्क का भुगतान करना होगा।

कौन से क्षेत्र नहीं आएंगे दायरे में


यह पॉलिसी नगर निगम सीमा के अंतर्गत आने वाली प्लान्ड स्कीम्स पर लागू होगी। इसमें हाउसिंग बोर्ड, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HSVP), हरियाणा स्टेट इंडस्ट्रियल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (HSIIDC) द्वारा विकसित क्षेत्र, और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट द्वारा शासित क्षेत्र शामिल नहीं होंगे। हालांकि, यह पॉलिसी अन्य सरकारी नीतियों के तहत सब-डिवाइड करने की अनुमति वाले प्लॉट्स पर लागू होगी। शहरी स्थानीय निकाय, योजना के लिए आवेदन प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल क्रिएट करेंगे। इसमें स्क्रूटनी फीस और डॉक्युमेंट जमा करने के प्रावधान भी शामिल होंगे।

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अवैध कन्वर्जन की पहचान के लिए सर्वे

अधिकारियों के मुताबिक, ग्राउंड कवरेज, फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) और प्लॉट की ऊंचाई जैसे पैरामीटर मूल आवासीय योजना के अनुरूप ही रहेंगे। शहरी स्थानीय निकाय, अवैध कमर्शियल कन्वर्जंस की पहचान करने और नोटिस जारी करने के लिए एक सर्वेक्षण भी करेंगे। संपत्ति मालिकों को संपत्ति रिस्टोर करने या रेगुलराइजेशन के लिए आवेदन करने के लिए 30 दिन का समय दिया जाएगा। अनुपालन न करने पर सीलिंग या डिमोलिशन सहित कानूनी कार्रवाई हो सकती है।

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First Published: Oct 14, 2023 3:36 PM

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