चीन में गहरा रही रियल एस्टेट सेक्टर की क्राइसिस, क्या इंडिया का प्रॉपर्टी मार्केट भी मुश्किल में फंस सकता है?

JP Morgan की रिपोर्ट बताती है कि 2021 से चीन में घरों की कुल बिक्री में 40 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाली रियल एस्टेट कंपनियों ने अपने कर्ज पर डिफॉल्ट किए हैं। इस रिपोर्ट में CreditSights के डेटा के हवाले से बताया गया है कि चीन की रियल एस्टेट कंपनियां 2021 से अब तक 175 अरब डॉलर के कर्ज में से 114.4 अरब डॉलर का कर्ज चुकाने में नाकाम रही हैं

अपडेटेड Oct 18, 2023 पर 4:41 PM
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हाल में बिजनेस इनसाइडर में पब्लिश्ड एक रिपोर्ट में एक एक्सपर्ट ने बताया है कि चीन में जितने घर खाली पड़े हैं, उनमें 3 अरब लोगों के रहने का इंतजाम हो सकता है।

चीन में रियल एस्टेट सेक्टर की क्राइसिस खत्म होती नहीं दिख रही है। सबसे बड़ी चाइनीज रियल एस्टेट कंपनी Evergrande ने दिसंबर 2021 में डिफॉल्ट किया था। इससे इस सेक्टर के मुश्किल में फंसने का पता पूरी दुनिया को चला था। पिछले कुछ हफ्तों से रियल एस्टेट की एक दूसरी कंपनी मुश्किल में फंसी दिख रही है। इसका नाम Country Garden है। रायटर्स ने खबर दी है कि अगर कंट्री गार्डेन 1.5 करोड़ डॉलर का पेमेंट करने में नाकाम रहती है तो यह चीन में दूसरी रियल एस्टेट कंपनी का बड़ा डिफॉल्ट होगा। कंट्री गार्डेन को अपने कर्ज के इस पैसे के चुकाने के लिए 30 दिन का अतिरिक्त समय मिला था। इधर, इंडिया में रियल एस्टेट सेक्टर में फिर से बहार दिख रही है। हाल में प्रॉपर्टी की कीमतों में आई तेजी से रियल एस्टेट कंपनियां खुश हैं। कई रियल एस्टेट कंपनियों के शेयरों में भी उछाल देखने को मिला है।

114 अरब डॉलर के पेमेंट पर डिफॉल्ट कर चुकी हैं कंपनियां

JP Morgan की रिपोर्ट बताती है कि 2021 से चीन में घरों की कुल बिक्री में 40 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाली रियल एस्टेट कंपनियों ने अपने कर्ज पर डिफॉल्ट किए हैं। इस रिपोर्ट में CreditSights के डेटा के हवाले से बताया गया है कि चीन की रियल एस्टेट कंपनियां 2021 से अब तक 175 अरब डॉलर के कर्ज में से 114.4 अरब डॉलर का कर्ज चुकाने में नाकाम रही हैं। हाल में बिजनेस इनसाइडर में पब्लिश्ड एक रिपोर्ट में एक एक्सपर्ट ने बताया है कि चीन में जितने घर खाली पड़े हैं, उनमें 3 अरब लोगों के रहने का इंतजाम हो सकता है।


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इस क्राइसिस की क्या है वजह?

चीन के रियल एस्टेट सेक्टर में क्राइसिस की पहली वजह कोरोना की महामारी है। दूसरी वजह कंपनियों के फंड जुटाने के तरीकों पर सरकार की टेढ़ी नजर है। इनमें ट्रस्ट फाइनेंसिंग और कर्ज लेने के लिए बॉन्ड्स का इस्तेमाल शामिल हैं। सरकार को फाइनेंशियल स्टैबिलिटी के रिस्क का अंदाजा हो गया था। इसलिए वह प्रॉपर्टी की आसमान छूती कीमतों को नियंत्रित करना चाहती थी। इससे रियल एस्टेट कंपनियों के लिए कर्ज जुटाना मुश्किल हो गया। कई कंपनियां पहले जुटाए गए कर्ज के पैसे चुकाने में नाकाम रहीं। इससे पूरा सेक्टर मुश्किल में घिर गया।

रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़े दूसरे सेक्टर पर भी पड़ सकता है असर

Country Garden को कुल 191.7 अरब डॉलर का कर्ज चुकाना है। यह Evergrande के मुकाबले 59 फीसदी कम है। कंट्री गार्डेन के 3,100 रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स हैं। यह एवरग्रांडे के 800 प्रोजेक्ट्स की तुलना में करीब चार गुना है। नाइट फ्रैंक के रिसर्च पेपर ने यह जानकारी दी है। इसमें कहा गया है कि कंट्री गार्डेन के डिफॉल्ट करने का असर रियल एस्टेट में सप्लाई चेन पर पड़ेगा। सप्लायर्स और कॉन्ट्रैक्टर्स भी मुश्किल में फंस जाएंगे। इससे घरों के कंस्ट्रक्शन और उनकी डिलीवरी पर सीधा असर पड़ेगा। रिपोर्ट में बताया गया है कि टियर 1 और टियर 2 शहरों में घरों की कीमतों में 0.2 से 0.3 फीसदी की कमी आई है।

चीन की जीडीपी में रियल एस्टेट की हिस्सेदारी एक-तिहाई

Knight Frank की रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि 1998 में पूरे देश में हाउसिंग मार्केट की शुरुआत के बाद चीन में प्रॉपर्टी मार्केट ने बड़ी भूमिका निभाई है। चूंकि रियल एस्टेट सेक्टर से सीधे तौर पर कई दूसरे सेक्टर भी जुड़े होते हैं, जिससे किसी देश की जीडीपी में रियल एस्टेट सेक्टर का कंट्रिब्यूशन काफी ज्यादा हो जाता है। चीन में भी ऐसा देखने को मिला। चीन की इकोनॉमी में रियल एस्टेट सेक्टर की हिस्सेदारी एक-तिहाई हो गई। रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, 2016 में चीन की इकोनॉमी में रियल एस्टेट सेक्टर का कंट्रिब्यूशन 35.8 फीसदी था। 2017 में यह 32.9 फीसदी था। 2018 में यहत 29.6 फीसदी था। 2022 में यह 26.9 फीसदी था।

इंडिया में क्या है स्थिति?

इंडिया में इकोनॉमी में रियल एस्टेट सेक्टर का कंट्रिब्यूशन सिर्फ 7 फीसदी है। इंडिया में रियल एस्टेट सेक्टर का मार्केट साइज 477 अरब डॉलर होने का अनुमान है। 2047 तक इंडिया में रियल एस्टेट सेक्टर का आकार बढ़कर 5.8 लाख करोड़ डॉलर पहुंच जाने का अनुमान है। इस तरह कुल इकोनॉमिक आउटपुट में इसका कंट्रिब्यूशन बढ़कर 15.5 फीसदी हो जाएगा। इंडिया में बढ़ते शहरीकरण और लोगों की इनकम में इजाफा की वजह से घरों की मांग बढ़ रही है।

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First Published: Oct 18, 2023 4:31 PM

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