EPF से रकम निकालने और लीव इनकैशमेंट पर टैक्स के नियम बदले, जानिए आप पर क्या असर होगा

टैक्स के मौजूदा नियम के मुताबिक सर्विस पीरियड 5 साल से कम होने पर 50,000 रुपये से ज्यादा विड्रॉल होने पर टीडीएस का रेट 10 फीसदी होता है। पैन नहीं होने पर मैक्सिमम मार्जिनल रेट से टैक्स लगता है। इससे कम इनकम वाले लोगों को बहुत लॉस होता है। यूनियन बजट 2023 में इस नियम को बदल दिया गया है

अपडेटेड Feb 06, 2023 पर 5:44 PM
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इनकम टैक्स के नियमों के मुताबिक, पीएफ में कट्रिब्यूशन 5 साल से कम है तो उससे पैसे निकालने पर TDS लागू होता है।

सरकार ने यूनियन बजट 2023 (Union Budget) में टैक्स के नियमों में ज्यादा बदलाव नहीं किए हैं। सिर्फ न्यू टैक्स रीजीम (New Tax regime) को अट्रैक्टिव बनाने की कोशिश की गई है। कुछ नियमों को आसान बनाया गया है। कुछ टैक्सपेयर्स को राहत देने की कोशिश की गई है। सैलरीड क्लास को प्रोविडेंट फंड का पैसा निकालने और लीव इनकैशमेंट में राहत दी गई है। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।

इनकम टैक्स के नियमों के मुताबिक, पीएफ में कट्रिब्यूशन 5 साल से कम है तो उससे पैसे निकालने पर TDS लागू होता है। पेमेंट 50,000 रुपये से ऊपर होने पर TDS का रेट 10 फीसदी होता है। एंप्लॉयी को टीडीएस काटने वाले व्यक्ति को अपना पैन देना जरूरी है। ऐसा नहीं होने पर मैक्सिमम मार्जिनल रेट से टैक्स लगता है। यूनियन बजट 2023 में नियम में थोड़ा बदलाव किया गया है।

दरअसल, सरकार ने यह समझा है कि कम इनकम वाले ऐसे कई एंप्लॉयीज होंगे, जिनके पास PAN नहीं हो सकता है। मौजूदा नियम में ऐसे लोगों पर मैक्सिमम मार्जिनल रेट लागू होता है। इस वजह से उनका काफी पैसा टैक्स में चला जाता है। यूनियन बजट 2023 में कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति पैन नहीं देता है तो उस पर 20 फीसदी के रेट से टैक्स लगेगा। नॉन-पैन के मामलों में टैक्स का यही रेट है। नियम में यह बदलाव 1 अप्रैल, 2023 से लागू होगा।


लीव इनकैशमेंट पर टैक्स एग्जेम्प्शन के नियम में बदलाव

इनकम टैक्स के मौजूदा नियम के मुताबिक, नौकरी में रहने पर लीव इनकैश से मिला पैसा टैक्स के दायरे में आता है। केंद्र और राज्य सरकार के एंप्लॉयीज के रिटायर होने या किसी और स्थिति में लीव इनकैशमेंट से मिला पैसा टैक्स के दायरे में नहीं आता है। इसका मतलब है कि उस पैसे पर कोई टैक्स नहीं लगता है। कोर्ट के फैसलों को नजीर मानते हुए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति या इस्तीफे की स्थिति में भी लीव इनकैशमेंट के पैसे को टैक्स एग्जेम्प्शन मिलता है।

दूसरे एंप्लॉयीज के रिटायरमेंट (या ऊपर बताए गए इस्तीफे पर) पर लीन इनकैशमेंट से मिले रकम पर निम्निलिखित में जो कम है उसके हिसाब से टैक्स लगता है।

-हाथ में आई वास्तविक रकम

-पिछले 10 महीनों की एवरेज सैलरी (बेसिक सैलरी और डीए)

-सर्विस के हर साल के लिए मैक्सिमम 30 दिन की लीव के आधार पर अमाउंट का कैलकुलेशन

-केंद्र सरकार की तरफ से नोटिफायड अधिसूचना, जो 3 लाख रुपये है

अगर कोई एक एंप्लॉयी कई एंप्लॉयर्स (कंपनियों) के साथ काम कर चुका है तो कुल सर्विस पीरियड में यह लिमिट 3 लाख रुपये है। 2002 में अंतिम बार लिमिट फिक्स की गई थी। सैलरी में होने वाली इंक्रीमेंट की वजह से इस लिमिट को बढ़ाकर 25 लाख रुपये करने का प्रस्ताव यूनियन बजट 2023 में पेश किया गया है। इससे टैक्स के मामले में एंप्लॉयीज को बहुत फायदा होगा। अमाउंट बढ़ाने के प्रस्ताव अलग से नोटिफाय होगा और फाइनेंस बिल में इसका उल्लेख नहीं है। सरकार के दोनों ऐलान स्वागतयोग्य हैं। इससे सैलरीड क्लास पर टैक्स का बोझ घटेगा।

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