प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने शनिवार को कहा कि केन्द्र सरकार ने पिछले पांच साल में उत्तराखंड के विकास के लिए 1 लाख रुपये से ज्यादा की धनराशि को स्वीकृति दी है। वह देहरादून में लगभग 18,000 करोड़ रुपये की कई परियोजनाओं के उद्घाटन और शिलान्यास के बाद एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
लाइवमिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम मोदी ने कहा, “बीते 5 साल में उत्तराखंड के विकास के लिए 1 लाख करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। आज की विकास परियोजनाओं में 18,000 करोड़ रुपये से ज्यादा निवेश किए गए हैं।”
पिछली सरकार में हुए नुकसान की कर रहे भरपाई
पिछली सरकार के 10 साल के कार्यकाल के दौरान हुए नुकसान की भरपाई के लिए कनेक्टिविटी के ‘महायज्ञ’ पर जोर देते हुए पीएम मोदी ने कहा, “पिछली सरकार ने पहाड़ी सीमावर्ती क्षेत्र में इन्फ्रास्ट्रक्चर पर उतनी गंभीरता से काम नहीं किया था, जितना किया जाना चाहिए था। इस तरह उन्होंने हर स्तर पर सेना के मनोबल को गिराने का काम किया। हमने वन रैंक, वन पेंशन लागू की, आधुनिक हथियार दिए और आतंकवादियों को मुंहतोड़ जवाब दिया।”
3 मेडिकल कॉलेज स्थापित किए
उन्होंने कहा, “हमने उत्तराखंड में 3 नए मेडिकल कॉलेज स्थापित किए और आज हरिद्वार मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास किया। ऋषिकेश पहले से ही एम्स की सेवाएं दे रहा है, कुमाऊं में एक सैटेलाइट केंद्र भी शुरू होगा। उत्तराखंड टीकाकरण में अग्रणी बना हुआ है। मैं राज्य सरकार को बधाई देता हूं।”
पिछली सरकार ने 2007 से 2014 के बीच उत्तराखंड में 600 करोड़ रुपये की लागत से सिर्फ 288 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग बनाए, वहीं पीएम मोदी ने कहा, “हमारी सरकार ने 7 साल में 12,000 करोड़ रुपये की लागत से उत्तराखंड में 2,000 किलोमीटर से ज्यादा राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण किया।”
उन्होंने बताया कि भारत आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 100 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के निवेश के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहा है।
11 परियोजनाओं का किया शिलान्यास
प्रधानमंत्री ने 11 विकास परियोजनाओं का शिलान्यास किया। इसमें दिल्ली-देहरादून इकोनॉमिक कॉरिडोर (ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे जंक्शन से देहरादून तक) शामिल है, जो 8,300 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जाएगा। इससे दिल्ली से देहरादून तक का सफर 6 घंटे से घटकर 2.5 घंटे का रह जाएगा।
इकोनॉमिक कॉरिडोर में हरिद्वार, मुजफ्फरनगर, शामली, यमुनानगर, बागपत, मेरठ और बड़ौत को जोड़ने के लिए सात बड़े इंटरचेंज होंगे। इसमें वन्यजीवों की निर्बाध आवाजाही के लिए एशिया का सबसे बड़ा वाइल्डलाइफ एलीवेटेड कॉरिडोर (12 किलोमीटर) होगा।