भारतीय कंपनियों द्वारा अपने विदेशी कारोबार में अगस्त में किया गया विदेशी प्रत्यक्ष निवेश सालाना आधार पर 59 फीसदी घटकर 1.03 अरब डॉलर पर आ गया है। आरबीआई की तरफ से शुक्रवार को जारी आंकड़ों से पता चलता है कि अगस्त 2022 में भारतीय कंपनियों द्वारा अपने विदेशी कारोबार में होने वाला आउटवर्ड फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (OFDI) 1027.67 करोड़ डॉलर पर था। जबकि वित्त वर्ष 2021-22 के अगस्त में यह 250.09 करोड़ डॉलर यानी 205 अरब डॉलर था। वहीं 2022 के जुलाई में भारतीय कंपनियों द्वारा अपने विदेशी कारोबार में किया गया निवेश 11.66 करोड़ डॉलर यानी 1.12 अरब डॉलर के स्तर पर था।
अगस्त महीने में भारतीय कंपनियों द्वारा किए गए इस विदेशी निवेश में सबसे बड़ी हिस्सेदारी इक्विटी द्वारा किए गए निवेश की रही। अगस्त में इस रूट से भारतीय कंपनियों ने 58.56 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश किया है। जबकि भारतीय कंपनियों द्वारा गारंटी इश्यू करके 26.66 करोड़ डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश किया गया है। वहीं बकाया 17.53 करोड़ डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लोन के जरिए किया गया है। आरबीआई ने कहा है कि यह आंकड़े प्रोविजनल हैं। आगे इनमें बदलाव मुमकिन है।
अगस्त महीने में भारतीय कंपनियों द्वारा किए गए बड़े विदेशी निवेशों पर नजर डालें तो लेंसकार्ट सॉल्यूशंस ने अपनी सिंगापुर स्थित सब्सिडियरी में इक्विटी के जरिए 31.99 करोड़ डॉलर का निवेश किया है। जबकि Glenmark Pharmaceuticals ने अपने स्विट्जरलैंड स्थित पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सिडियरी में गारंटी इश्यूएंश के जरिए 10 करोड़ डॉलर का निवेश किया है। इसी तरह Hasham Traders Data Stax Inc ने अमेरिका स्थित अपने ज्वाइंट वेंचर को 5.46 करोड़ डॉलर का लोन दिया है। वहीं, सिटीसटेक हेल्थकेयर ने गारंटी के माध्यम से यूएस में एक पूर्ण-स्वामित्व वाली इकाई में 30 मिलियन डॉलर का निवेश किया। अडानी पोर्ट्स और स्पेशल इकोनॉमिक जोन ने सिंगापुर में एक पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई में ऋण और गारंटी जारी करने के मिश्रण के माध्यम से 25.58 मिलियन डॉलर का निवेश किया है।