PM Fasal Bima Yojana: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों की पसल खराब होने पर उसकी भरपाई की जाती है। इसमें किसानों को आर्थिक सुरक्षा की गारंटी मिलती है। लेकिन कई बार देखने को मिला है कि किसान अपनी फसल का बीमा करवाने के बावजूद नुकसान का सही क्लेम नहीं ले पा रहा है। ऐसे ही राजस्थान के बाड़मेर में किसानों के अकाउंट में 2 रुपये लेकर 100 रुपये तक बीमा क्लेम के नाम पर पैसे दिए गए हैं। एक किसान के अकाउंट में 9.62 रुपये का फसल बीमा क्लेम आया है। किसानों के मुताबिक कई किसानों के अकाउंट में 2-3 पैसे से लेकर 20 रुपये तक का बीमा क्लेम आया है।
अकाउंट में बीमा क्लेम के पैसे देखकर किसान आंसू बहाने के लिए मजबूर हैं। इस मामले को लेकर अब राजस्थान और केंद्र सरकार एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालने की कोशिश कर रही हैं। वहीं कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियां इस मसले पर जमकर राजनीति कर रही हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार ने साल 2021 में पूरे बाड़मेर जिले में भीषण अकाल घोषित किया था। जिले के एक किसान ने बताया कि उनके पास 65 बीघे जमीन है। उसने साल 2021 में पूरी जमीन पर खेती की थी। उस समय एक बार ही बारिश हुई। बाद में बारिश नहीं होने से सारी फसलें नष्ट हो गई। हमें लगा था कि भगवान रूठा है लेकिन राज नहीं रूठेगा। फसल बीमा क्लेम मिल जाएगा। लेकिन इस बार अकाउंट में सिर्फ 9.62 रुपये का बीमा क्लेम आया है। किसान का कहना है कि अब कर्ज चुकाएं या फिर बच्चों को खिलाएं।
राज्य सरकार बनाम केंद्र सरकार
कांग्रेस के विधायक हरीश चौधरी ने केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी पर निशाना साधा है। वहीं इस मामले में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने सारा ठीकरा राजस्थान की गहलोत सरकार पर फोड़ दिया है। उनका कहना है की किसानों को कितना क्लेम मिलना चाहिए इसकी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है।
जानिए क्या है फसल बीमा योजना
पीएम फसल बीमा योजना के तहत फसलों को सूखा, आंधी, तूफान, बे मौसम बारिश, बाढ़ आदि जैसे जोखिम से सुरक्षा मिलती है। इस योजना का मकसद प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान की स्थिति में किसानों को किफायती दर पर इंश्योरेंस कवर देना है। इसके लिए किसानों को निर्धारित प्रीमियम देना होता है। जिसके तहत खरीफ फसलों के लिए बीमा राशि का 2 फीसदी, रबी फसलों का 1.5 फीसदी और व्यावसायिक और बागवानी फसलों के लिए अधिकतम 5 फीसदी प्रीमियम भरना होता है। बाकी का भुगतान राज्य और केंद्र सरकार की तरफ से किया जाता है।