आजादी के कई दशक बीत जाने के बाद भी इंश्योरेंस (Insurance) के मामले में स्थिति बहुत खराब है। नेशनल इंश्योरेंस एकैडमी (NIA) के एक सर्वे से इसका पता चला है। सर्वे के नतीजे बताते हैं कि ऐसे लोगों की संख्या काफी ज्यादा है, जिनका इंश्योरेंस कवर पर्याप्त नहीं है या किसी तरह का इंश्योरेंस नहीं है। NIA ने सर्वे के नतीजे 14 दिसंबर को जारी किए हैं। नतीजों से पता चला है कि हर 100 व्यक्ति में सिर्फ 13 के पास पर्याप्त इंश्योरेंस कवर है। बाकी 87 फीसदी लोगों के पास या तो कोई इंश्योरेंस नहीं है या उनका इंश्योरेंस कवर पर्याप्त नहीं है। एनआईए ने कहा है कि इंश्योरेंस तक लोगों की पहुंच जल्द बनाने की जरूरत है। प्रीमियम पेमेंट के लिए लोगों को लोन दिया जा सकता है। इससे कम आय वाले लोगों को इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स उपलब्ध कराने में मदद मिल सकती है।
कम इंश्योरेंस कवर की वजह लोगों की गलत सोच
सर्वे में बताया गया है कि इंडिया में लाइफ इंश्योरेंस इंडस्ट्री बढ़ रही है। साल 2030 तक इस इंडस्ट्री का सालाना कलेक्टेड प्रीमियम 106 अरब डॉलर पहुंच जाने की उम्मीद है। लोगों के पास पर्याप्त इंश्योरेंस कवर नहीं होने की एक बड़ी वजह बीमा को लेकर लोगों की गलत सोच हो सकती है। इंडिया में इंश्योरेंस को लोग सुरक्षा की जगह सेविंग्स का इंस्ट्रूमेंट मानते रहे हैं। एनआईए के डायरेक्टर डॉ तरुण अग्रवाल ने कहा कि कई लोग इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स खरीदते वक्त इस बात पर ज्यादा फोकस करते हैं कि उन्हें चुकाए गए प्रीमियम का कितना हिस्सा वापस मिल जाएगा।
पर्याप्त कवर इनकम, खर्च, लोन के आधार पर तय होता है
अग्रवाल ने कहा कि ज्यादातर लोगों को यह पता नहीं है कि कितना इंश्योरेंस कवर उनके लिए पर्याप्त होगा। कई लोगों को 2 लाख रुपये का इंश्योरेंस पर्याप्त लगता है। उन्हें लगता है कि इससे उनकी जरूरतें पूरी हो जाएंगी। लेकिन, इंश्योरेंस कवर कितना होना चाहिए, इसे तय करने के लिए इनकम, खर्च, एसेट्स, कर्ज और इनफ्लेशन जैसी चीजों को देखना जरूरी है। अब कई ऐसे ऑनलाइन टूल उपलब्ध हैं, जो यह बताते हैं कि व्यक्ति के लिए कितना इंश्योरेंस कवर पर्याप्त होगा।
मिडिल इनकम ग्रुप में प्रोटेक्शन गैप खत्म करने की जरूरत
एनआईए के सर्वे में छह सेगमेंट पर विचार किया गया है। इनमें लाइफ, एन्युटी, पेंशन, हेल्थ, प्रॉपर्टी और साइबर इंश्योरेंस शामिल हैं। सर्वे के नतीजे बताते हैं कि टियर 1 से 6 शहरों में पेंशन प्लान में 93 फीसदी गैप है। हेल्थ प्रोटेक्शन के मामले में 73 फीसदी गैप है। सर्वे के नतीजों को जारी करते हुए IRDAI के चेयरमैन देबाशीष पांडा ने कहा कि इंश्योरेंस इंडस्ट्री को उन बीच के लोगों के जोखिम को कम करने के उपायों पर विचार करना चाहिए, जिनके पास पर्याप्त इंश्योरेंस कवर नहीं है। इसकी वजह यह है कि समाज के कमजोर वर्गों को सरकार की तरफ से चलाई जाने वाली इंश्योरेंस स्कीम के तहत कवर हासिल है। उधर, अमीर लोगों को या तो एंप्लॉयर की तरफ से पर्याप्त इंश्योरेंस कवर मिला हुआ है या उन्होंने खुद इंश्योरेंस खरीदा है। लेकिन, मिडिल इनकम ग्रुप में प्रोटेक्शन गैप काफी ज्यादा है।