टैक्स-सेविंग्स वाले इनवेस्टमेंट में म्यूचुअल फंड्स की टैक्स-सेविंग्स यानी ELSS सबसे लोकप्रिय है। यह डायवर्सिफायड इक्विटी स्कीम है, जो कई सेक्टर और छोटी-बड़ी मार्केट कैपिटलाइजेशन वाली कंपनियों के स्टॉक्स में निवेश करती है। इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 80सी के तहत करीब एक दर्जन टैक्स-सेविंग्स इंस्ट्रूमेंट्स आते हैं। ईएलएसएस इनमें से एक है। ईएलएसएस में एक वित्त वर्ष में 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स-बेनेफिट क्लेम किया जा सकता है। करीब सभी म्यूचुअल फंड हाउसेज की अपनी-अपनी ईएलएसएस स्कीम है। मनीकंट्रोल आपको कुछ ऐसे टिप्स के बारे में बता रहा है, जिनका ध्यान रखने पर ईएलएसएस का मैक्सिमम फायदा आप उठा सकते हैं।
दो से ज्यादा ईएलएसएस में नहीं करें निवेश
कई टैक्सपेयर्स एक से ज्यादा ईएलएसएस में निवेश करते हैं। जो इनवेस्टर सिप की एक जगह एकमुश्त निवेश ईएलएसएस में करते हैं, वे हर साल अलग-अलग स्कीम में निवेश करते हैं। इससे उनके पोर्टफोलियो में कई ईएलएसएस हो जाती हैं। मनी हनी फाइनेंशियल सर्विसेज के फाउंडर और एमडी अनूप भैया ने बताया, "मैंने कुछ टैक्सपेयर्स के पोर्टफोलियो में ईएलएसएस की 7-8 स्कीमें तक देखी है। इन स्कीमों का निवेश ज्यादातर एक जैसा होता है।" उन्होंने कहा कि टैक्सपेयर को एक या ज्यादा से ज्यादा दो ईएलएसएस में निवेश करना चाहिए।
कई टैक्सपेयर्स जनवरी से मार्च के बीच ईएलएसएस में एकमुश्त निवेश करते हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि एकमुश्त की जगह सिप के जरिए ईएलएसएस में निवेश करना फायदेमंद है। मुंबई की फाइनेंशियल प्लैनर पारुल माहेश्वरी ने कहा कि वित्त वर्ष की शुरुआत यानी अप्रैल में आपको सिप शुरू करन चाहिए। फिर हर महीने इसमें निवेश करना चाहिए। इससे धीर-धीरे आपका पैसा निवेश होता रहता है। एकमुश्त निवेश के मुकाबले सिप के जरिए निवेश करना रिटर्न के लिहाज से फायदेमंद है।
ईएलएसएस में लॉक-इन पीरियड 3 साल है। अगर आप 1 जनवरी, 2024 को 36 महीनों का सिप शुरू करते हैं तो आपको दिसंबर 2026 तक निवेश जारी रखना होगा। तीन साल के लॉक-इन पीरियड का यह मतलब नहीं है कि 2026 के बाद आप अपना पूरा पैसा निकाल सकते हैं। हर महीने के सिप पर 3 साल का लॉक-इन लागू होगा। ऐसे में आपको अपने पूरे पैसे निकालने के लिए 1 दिसंबर, 2029 तक इंतजार करना होगा।
ईएलएलएस से लंबी अवधि में तैयार होगा बड़ा फंड
ELSS में आपका निवेश टैक्स-सेविंग्स के अलावा लंबी अवधि में बड़ा फंड तैयार करने में मददगार साबित होगा। इसकी वजह है कि टैक्स-सेविंग्स इनवेस्टमेंट में ईएलएसएस का रिटर्न सबसे ज्यादा है। आप तीन साल की लॉक-इन खत्म होने के बाद भी ईएलएसएस में अपना निवेश जारी रख सकते हैं। यह लंबी अवधि में बड़ा फंड तैयार करने में आपकी मदद कर सकता है।
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