आने वाले दिनों में क्रेडिट कार्ड लेने या कंज्यूमर लोन (Consumer credit) लेने को लोगों को थोड़ा मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। दरअसल भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों और नॉन-बैकिंग फाइनेंस कंपनी (NBFC) के लिए अब कंज्यूमर क्रेडिट लोन का रिस्क वेटेज 25% बढ़ा दिया है। इसका मतलब कि अनसिक्योर्ड लोन डूबने के डर को देखते हुये बैंकों को अब पहले से 25% ज्यादा प्रोविजनिंग करनी पड़ेगी। बैंकों और NBFC के लिए अभी तक कंज्यूमर क्रेडिट का रिस्क वेटेज 100% था, जिसे अब बढ़ाकर 125% कर दिया गया है।
इससे पहले RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने अक्टूबर की मॉनिटरी पॉलिसी में कंज्यूमर क्रेडिट के कई सेगमेंट में भारी ग्रोथ पर चिंता जताई थी और बैंकों को सलाह दी थी कि वे अपने खुद के हित के लिए आंतरिक जांच प्रक्रिया को मजबूत करें, कोई जोखिम बन रहा हो तो उसे दूरे करें और अतिरिक्त सुरक्षा उपाय लागू करें।
सर्कुलर में कहा गया है कि कमर्शियल बैंकों (बकाया और नए) के कंज्यूमर लोन के रिस्क वेटेज बढ़ोतरी में पर्सनल लोन भी शामिल हैं। हालांकि इसमें होम लोन, एजुकेशन लोन, व्हीकल लोन और गोल्ड लोन जैसे दुसरे सुरक्षित लोन को नहीं शामिल किया गया है।
वहीं NBFC के मोर्चे पर रिस्क वेटेज में हुए बढ़ोतरी में रिटेल लोन को शामिल किया गया है, जबकि होम लोन, एजुकेशन लोन, व्हीकल लोन, गोल्ड लेन और माइक्रोफाइनेंस लोन को इससे बाहर रखा गया है। RBI ने कमर्शियल बैंकों और NBFC के लिए क्रेडिट कार्ड रिसीवेबल्स पर भी रिस्क वेट 25 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है।
अभी तक क्रेडिट कार्ड रिसीवेबल्स के लिए कमर्शियल बैंकों का रिस्क वेटेज 125 प्रतिशत और NBFC का रिस्क वेटेज 100 प्रतिशत था। हालांकि बदलाव के बाद, अब यह बैंकों और NBFC के लिए क्रमशः 150 प्रतिशत और 125 प्रतिशत हो जाएगा।