सीनियर सिटीजन्स के साथ होने वाले ऑनलाइन फ्रॉड्स की संख्या 2021-22 में 9,097 थी, जो 2022-23 में बढ़कर 13,530 हो गई। RBI की सालाना रिपोर्ट FY23 में ये चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। वैसे तो बैंक से जुड़े फ्रॉड्स का शिकार आए दिन कोई ना कोई होता ही रहता है लेकिन इसमें सबसे बड़ा नंबर सीनियर सिटीजन्स का है। समय के साथ ये आंकड़ा और तेजी के साथ बढ़ता जा रहा है।
United Nations Population Fund (UNFPA) और International Institute for Population Sciences (IIPS) द्वारा मिलकर रिलीज की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2022 में 60 साल से अधिक लोगों की संख्या 149 मिलियन थी। 2050 में ये आंकड़ा बढ़कर 347 मिलियन तक पहुंच जाएगा। युवा हमेशा से ही बैंकों के लिए आकर्षक कस्टमर रहे हैं। इन लोगों तक डिजिटल फाइनेंशियल सर्विसेस पहुंचाना भी बेहद आसान है, लेकिन बैंकों के लिए सीनियर कस्टमर्स भी उतने ही जरूरी हैं।
एक वक्त था जब बैंक अपनी फिजिकल एक्सेस को बढ़ाने में लगे हुए थे। वरिष्ठ नागरिकों की सहूलियत के लिए डॉरस्टेप बैंकिंग को आसान बनाया गया। हालांकि डिजिटल युग में बैंकों को अभी भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। खासकर जब बात आती है सीनियर लोगों की तो उन तक ये सेवाएं पहुंचाना उतना ही मुश्किल है। डिजिटल युग के बाद वेब चैनल, मोबाइल ऐप्स, पेमेंट कार्ड्स और वॉलेट में बढ़ोतरी हुई है लेकिन इस एडवांसमेंट के साथ वरिष्ठ नागरिकों तक अभी भी इन सेवाओं की पहुंच नहीं बन पाई है।
सीनियर सिटीजन्स के ई-बैंकिंग चैलेंजेस को देखना
सीनियर सिटीजन्स की देशभर में काफी अनोखी फाइनेंशियल डिमांड्स हैं। वो डिजिटल बैंकिंग पर अभी भी भरोसा नहीं करते हैं। जैसे-जैसे लोगों की उम्र बढ़ती है उन्हें शारीरिक विकलांगता और आंखों की कम रोशनी जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है।
क्या बैंक उम्रदराज लोगों की समस्याओं को कर सकते हैं आसान-
उम्रदराज लोगों को क्या चाहिए कि जब भी वो डिजिटल सर्विसेस का इस्तेमाल करें तो उन्हें गाइड करना वाला और उसके फंक्शन को समझाने वाला कोई साथ हो। वरिष्ठ नागरिकों को हमेशा से ही ई-बैंकिंग सर्विसेस का इस्तेमाल करने पर विश्वास कम रहता है। बार-बार सिक्योरिटी चैक करना, पिन कोड याद रखना और ऑटोमैटिक लॉग आउट सेशन से उनकी परेशानियां और बढ़ जाती हैं।
बैंक कैसे कर सकता है आपकी सहायता
आसानी से सीनियर सिटीजन्स को डिजिटल KYC, फेशियल बायोमेट्रिक्स, ब्रांच पर जाए बिना अकाउंट खुलवाने जैसी सुविधाएं देकर बैंक उम्रदराज लोगों की मदद कर सकते हैं।
डिजिटल एक्सपीरिएंस को बढ़ाना
PIN और पासवर्ड की जगह पर बायोमेट्रिक जैसी सुविधाएं देने से मोबाइल पेमेंट ट्रांजेक्शंस को आसान बनाया जा सकता है।
पेमेंट कार्ड्स पर पहचान के लिए आइडेंटिफिकेशन बंप यानी हल्के उभार होने चाहिए। इन उभरे हुए अक्षरों या चिन्हों की मदद से अलग-अलग कार्ड की पहचान करने में लोगों को आसानी होगी। जिन लोगों को देख पाने में दिक्कत होती है उनके लिए ये सबसे आसान तरीका है।
सीनियर सिटिजन्स के लिए बायोमेट्रिक कार्ड्स वो भी फिंगरप्रिंट रीडर के साथ दिए जाने चाहिए। ताकि उन्हें बार-बार पिन ना याद करना पड़े। इसके अलावा कार्ड्स पर लिखी जाने वाली ब्रेल का साइज बढ़ाना चाहिए। ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के लिए भी फॉन्ट का साइज भी लार्ज होना चाहिए।
आसानी से कार्ड्स की फिजिकल डिलीवरी
जब भी बैंक कोई नया क्रेडिट या डेबिट कार्ड साथ में सीनियर सिटीजन्स को भेजे तो एक सिंपल गाइडेंस उनका काम उलझनों से आसान कर देगा। बड़े QR कोड्स, सात में बड़े लेटर्स स्कैन के वक्त ऑडियो इंस्ट्रक्शंस कार्ड एक्टिवेशन को आसान बना सकते हैं। ये सारी चीजें बैंकिंग और पेमेंट्स को आसान बना देंगी ताकि देश के वरिष्ठ नागरिक बिना किसी अविश्वास और डर के बिना इन सुविधाओं का लाभ उठा सकें।