हाल ही में खबर आई कि मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में कांग्रेस (Congress) के दिग्गज नेता कमलनाथ (Kamal Nath) बीजेपी का दामन थाम सकते हैं। हालांकि, इसके तुरंत बाद उन्होंने इसका खंडन भी कर दिया। वहीं अब बुधवार को कमलनाथ ने छिंदवाड़ा में पार्टी कार्यकर्ताओं से एक बड़ी बात कही। उन्होंने कहा कि वह खुद को उन पर "थोपेंगे" नहीं और अगर वे ऐसा चाहते हैं, तो वह अलग हटने के लिए तैयार हैं। उनके इस बयान को पार्टी हाईकमान के लिए एक संदेश की तरह भी देखा जा रहा है।
चौरई विधानसभा क्षेत्र के चांद ब्लॉक में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कमल नाथ ने कहा, "इतने सालों तक आपने मुझे प्यार और विश्वास दिया। अगर आप कमल नाथ को विदाई देना चाहते हैं तो यह आपकी मर्जी है, मैं विदाई के लिए तैयार हूं। मैं खुद को थोपना नहीं चाहता, ये आपके फैसले का मामला है।”
कमल नाथ के बेटे नकुल नाथ छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र से लोकसभा सदस्य हैं। अमरवाड़ा विधानसभा के हर्रई ब्लॉक में एक और कार्यक्रम में कांग्रेस नेता ने अयोध्या राम मंदिर को लेकर बीजेपी पर निशाना भी साधा।
कांग्रेस नेता ने कहा, "क्या बीजेपी के पास राम मंदिर का पट्टा है? राम मंदिर के नाम पर राजनीति करना सही नहीं है। राम मंदिर आपके (जनता के) पैसे से बना है, भगवान राम को राजनीति में लाना सही नहीं है।"
नाथ ने ये भी कहा कि वह भगवान राम की पूजा करते हैं और उन्होंने छिंदवाड़ा में अपने स्वामित्व वाली भूमि पर भगवान हनुमान को समर्पित एक बड़ा मंदिर बनवाया है। उन्होंने कहा, "हम धार्मिक लोग हैं और अपनी संस्कृति को अक्षुण्ण रखते हैं।"
कैसे शुरू हुईं कमलनाथ के BJP में जाने की अटकलें?
पिछले हफ्ते कमलनाथ के BJP में जाने की संभावना तब तेज हो गई, जब उनके पूर्व मीडिया सलाहकार और BJP प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने भोपाल में पूर्व मुख्यमंत्री और उनके बेटे की एक तस्वीर पोस्ट की और इसे कैप्शन दिया, "जय श्री राम।"
इस दौरान कांग्रेस के दिग्गज नेता नई दिल्ली पहुंचे और उनके बेटे ने X पर अपने प्रोफाइल बायो से 'कांग्रेस' भी हटा दिया था। इस सब से अटकलों को और हवा मिल गई है। इतना ही नहीं नाथ ने अफवाहों का साफ खंडन करने से भी इनकार कर दिया और कहा कि अगर ऐसा कुछ हुआ, तो वह सबसे पहले मीडिया को बताएंगे।
पिछले साल के विधानसभा चुनावों में हार के बाद वरिष्ठ नेता को पार्टी की मध्य प्रदेश इकाई के प्रमुख के पद से हटा दिया गया था। इन चुनावों बीजेपी ने 230 सदस्यों वाले सदन में 163 सीटें जीतकर सत्ता बरकरार रखी थी। कांग्रेस सिर्फ 66 सीटें जीतने में कामयाब रही।