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Telangana Election 2023: क्या KCR को इस बार मुसलमानों का समर्थन मिलेगा?

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव और असदुद्दीन ओवैसी कभी एक-दूसरे से बिल्कुल अलग थे। राव अलग तेलंगाना राज्य के लिए आंदोलन चला रहे थे, जबकि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष के तौर पर असदुद्दीन औवैसी अविभाजित आंध्र प्रदेश के प्रबल समर्थक थे। हालांकि, 2014 में तेलंगाना राज्य के गठन के बाद दोनों एक-दूसरे के करीब आ गए

MoneyControl Newsअपडेटेड Nov 08, 2023 पर 3:06 PM
Telangana Election 2023: क्या KCR को इस बार मुसलमानों का समर्थन मिलेगा?
केसीआर ने अपने राज्य में भले ही खुद को सांप्रदायिक सौहार्द के प्रतिनिधि के तौर पर पेश किया हो, लेकिन बीजेपी के खिलाफ संघर्ष करने वाले नेता के तौर पर उनका छवि कमजोर हुई है।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव और असदुद्दीन ओवैसी कभी एक-दूसरे से बिल्कुल अलग थे। राव अलग तेलंगाना राज्य के लिए आंदोलन चला रहे थे, जबकि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष के तौर पर असदुद्दीन औवैसी अविभाजित आंध्र प्रदेश के प्रबल समर्थक थे। हालांकि, 2014 में तेलंगाना राज्य के गठन के बाद दोनों एक-दूसरे के करीब आ गए। चंद्रशेखर राव नए राज्य में 63 सीटों के साथ सरकार बनाने में सफल रहे थे।

केसीआर-ओवैसी समीकरण

केसीआर यह बात भलीभांति समझते थे कि ओवैसी और उनकी पार्टी का हैदराबाद के मुस्लिमों के बीच प्रभाव है और अगर उन्हें राज्य की राजधानी में अपना असर बनाए रखना है, तो ओवैसी को साथ लेकर चलना होगा। लिहाजा, उन्होंने ओवैसी को स्वीकार करने में कोई हिचक नहीं दिखाई। राव 2014 से कांग्रेस के खिलाफ राजनीतिक लड़ाई लड़ रहे हैं। दरअसल, कांग्रेस पार्टी भी अलग तेलंगाना राज्य के गठन का श्रेय लेने की कोशिश कर रही है।

ओवैसी भी कांग्रेस के खिलाफ काफी आक्रामक हैं। दोनों नेता मुसलमान वोटों के दावेदार हैं। चूंकि केसीआर और ओवैसी, दोनों कांग्रेस को साझा प्रतिद्वंद्वी मानते हैं, इसलिए दोनों नेता मिलकर काम करने को इच्छुक थे। सत्ता में आने के बाद केसीआर ने यह सुनिश्चित किया कि मुसलमान उनके शासन में सुरक्षित रहें। दंगों को लेकर उन्होंने जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई।

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