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Budget 2024 Expectations Highlights: इनकम टैक्स फाइल करना हो सकता है आसान, जानिए पूरी डिटेल

Budget 2024 Expectations Highlights: देश में इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने वालों की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिली है। पिछले 10 सालों में यह संख्या 7.78 करोड़ पर पहुंच गई है। इस अवधि में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन भी बढ़कर 160.52 फीसदी हो गया है। इस बार के अंतरिम बजट में टैक्स के नियमों में कुछ सुधार भी किया जा सकता है

MoneyControl Newsअपडेटेड Oct 25, 2024 पर 11:10 AM
Budget 2024 Expectations Highlights: इनकम टैक्स फाइल करना हो सकता है आसान, जानिए पूरी डिटेल
India Budget 2024 Expectations Live Updates: इस बार चुनाव की वजह से सरकार अंतरिम बजट पेश करेगी। ऐसे में ज्यादा बड़े ऐलानों की संभावना बेहद कम है।

Interim Budget 2024 Expectations Highlights: देश मे इनकम टैक्स रिटर्न फाइल (ITR Filing) करने वालों की संख्या में जोरदार इजाफा हुआ है। इसने एक नया रिकॉर्ड तोड़ दिया है। इनकम टैक्स भरने वालों की संख्या में आए दिन तेजी देखने को मिल रही है। पिछले 10 सालों में ITR फाइल करने वालों की संख्या दोगुने से भी ज्यादा हो गई है। 10 सालों में ITR फाइल करने वालों की संख्या 7.78 करोड़ पर पहुंच गई है। यह पिछले साल के मुकाबले 6.5 फीसदी ज्यादा हैं। सरकार अब इनकम टैक्स के फाइल करने के नियमों को भी आसान बनाने की तैयारी में है।

वहीं इस बार के अंतरिम बजट से हर सेक्टर के लोग अपनी-अपनी उम्मीदें लगाए हुए हैं। सबसे ज्यादा सैलरी क्लास के लोग को इनकम टैक्स में छूट की उम्मीद कर रहे हैं। लेकिन अंतरिम बजट होने की वजह से किसी भी तरह के बदलाव या बड़े ऐलान होने की संभावना बेहद कम नजर आ रही है। लेकिन लोकसभा चुनाव हैं। ऐसे में राहत की उम्मीद की जा सकती है। दरअसल, वित्त वर्ष 2020-21 के लिए आम बजट (Union Budget) पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) टैक्सपेयर्स के लिए नई इनकम टैक्स रिजीम (New Income Tax Regime) की सुविधा मुहैया कराई।

नई टैक्स व्यवस्था को पहली बार लागू किया गया तब इसमें टैक्सपेयर्स को निवेश या बचत पर डिडक्शन का फायदा नहीं मिलता था। नई टैक्स व्यवस्था के तहत टैक्सपेयर्स को सेक्शन 80 C और 80D के तहत टैक्स छूट का फायदा नहीं दिया गया। लिहाजा टैक्सपेयर्स नई टैक्स व्यवस्था को अपनाने से कतरा रहे थे। कुल टैक्सपेयर्स में 10 फीसदी से भी कम टैक्सपेयर्स ने नई टैक्स व्यवस्था के विकल्प को चुना। नई इनकम टैक्स रिजीम में टैक्सपेयर्स को ज्यादा टैक्स भी चुकाना पड़ रहा था और साथ में निवेश - बचत पर टैक्स छूट का लाभ भी नहीं मिल रहा था।

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