Get App

लालच और सत्ता की लालसा के चलते विधानसभा चुनावों में हारी कांग्रेस: विजयन

Pinarayi Vijayan: विजयन ने दावा किया कि छत्तीसगढ़ में भी अकेले चुनाव लड़ना कांग्रेस की हार का कारण रहा। उन्होंने यह भी कहा कि कमलनाथ ने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान कथित तौर पर कुछ गैर-धर्मनिरपेक्ष टिप्पणियां कीं, जिसने मध्य प्रदेश में कांग्रेस की हार में योगदान दिया। बता दें कि 3 दिसंबर को संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी के हाथों हार का सामना करना पड़ा

Akhileshअपडेटेड Dec 05, 2023 पर 11:13 AM
लालच और सत्ता की लालसा के चलते विधानसभा चुनावों में हारी कांग्रेस: विजयन
विजयन ने कहा कि लालच और सत्ता की लालसा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार की वजह है

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन (Kerala CM Pinarayi Vijayan) ने कांग्रेस (Congress) की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि उसका लालच और सत्ता की लालसा हिंदी भाषी राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनावों में उसकी हार की वजह है। विजयन ने कहा कि कांग्रेस ने सोचा कि वह अपने दम पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) से जीत सकती है। इसलिए उसने बीजेपी के खिलाफ संयुक्त मोर्चा बनाने के वास्ते इन राज्यों में I.N.D.I.A. (इंडियन नेशनल डेवेलपमेंट इन्क्लूसिव एलायंस) गठबंधन के अन्य दलों के साथ हाथ नहीं मिलाया।

विजयन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "अगर उन्होंने (कांग्रेस) अन्य दलों के साथ हाथ मिलाया होता तो यह नतीजा नहीं होता। वे लालची थे और उन्हें सत्ता की लालसा थी। वे सब कुछ अपने लिए चाहते थे। इसके कारण उन राज्यों में ऐसी स्थिति पैदा हुई। अगर हर कोई एकजुट होता तो परिणाम पूरी तरह अलग होता।" विजयन उन सवालों का जवाब दे रहे थे कि तीन राज्यों में कांग्रेस की करारी हार की क्या वजह रही, जिनमें से राजस्थान और छत्तीसगढ़ में उसकी सरकार थी।

उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस नेता कमलनाथ के समाजवादी पार्टी (SP) के साथ गठबंधन करने के खिलाफ रहने के कारण वहां पार्टी की हार हुई। उन्होंने कहा कि सपा का राज्य के कुछ हिस्सों में प्रभाव था। मुख्यमंत्री ने कहा कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने सपा के साथ सीटों के बंटवारे का प्रस्ताव रखा था, लेकिन कमलनाथ इसके खिलाफ थे।

सीएम ने दावा किया कि राजस्थान में भी यही हुआ और कांग्रेस ने अन्य धर्मनिरपेक्ष दलों के साथ मिलकर काम करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि इसके कारण मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) को बेहद कम अंतर से अपनी दो सीटें गंवानी पड़ी।

सब समाचार

+ और भी पढ़ें