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CG Election 2023: आजादी के 76 साल बाद भी अंधेरे में जीने को मजबूर है छत्तीसगढ़ का यह गांव! क्या चुनाव के बाद पहुंचेगी बिजली?

CG Election 2023: छत्तीसगढ़ के सुकमा-दंतेवाड़ा सीमा पर स्थित इस गांव में आजादी के बाद से आज तक बिजली नहीं पहुंच पाई है। देश को आजाद हुए भले ही 76 साल हो गए हों, लेकिन यहां के ग्रामीण बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। कई बार शिकायत करने के बाद भी इनकी सुनने वाला कोई नहीं है। ग्रामीणों को उम्मीद है कि विधानसभा चुनाव के बाद उनके गांव में बिजली पहुंच जाएगी

MoneyControl Newsअपडेटेड Nov 01, 2023 पर 12:59 PM
CG Election 2023: आजादी के 76 साल बाद भी अंधेरे में जीने को मजबूर है छत्तीसगढ़ का यह गांव! क्या चुनाव के बाद पहुंचेगी बिजली?
CG Election 2023: ग्रामीणों ने बताया कि हम अपने मोबाइल चार्ज करने के लिए इन्वर्टर बैटरी पर निर्भर हैं

Chhattisgarh Election 2023: इंटरनेट के जमाने में कोई भी व्यक्ति बिजली के बगैर जिंदगी की कल्पना भी नहीं कर सकता है, लेकिन छत्तीसगढ़ में एक गांव ऐसा है जहां लोग आज भी अंधेरे में जीने को मजबूर हैं। छत्तीसगढ़ के सुकमा-दंतेवाड़ा सीमा पर स्थित इस गांव में आजादी के बाद से आज तक बिजली नहीं पहुंच पाई है। देश को आजाद हुए भले ही 76 साल हो गए हों, लेकिन यहां के ग्रामीण बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। कई बार शिकायत करने के बाद भी इनकी सुनने वाला कोई नहीं है। ग्रामीणों को उम्मीद है कि विधानसभा चुनाव के बाद उनके गांव में बिजली पहुंच जाएगी।

इस गांव का नाम है रेतेमपारा (Retemparra)... इस गांव के लोगों ने कभी बिजली नहीं देखी है। इस गांव में 90 परिवारों के लिए सिर्फ एक हैंडपंप है। गजेंद्र पदामी ने न्यूज 18 से कहा कि भारत के स्वतंत्र होने के बाद से 76 वर्षों में उन्होंने कभी बिजली नहीं देखी है। पदामी ने कहा, "हमने स्थानीय अधिकारियों को कई बार लिखा है लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। पहले इस गांव में नक्सली आते थे लेकिन अब सुरक्षा कैंप खुलने के बाद उन्होंने आना बंद कर दिया है। शायद अब सरकार हमारी दलीलें सुनेगी।''

यहां तक कि जिस दिन न्यूज18 ने रेतेमपारा का दौरा किया, पदामी और साथी ग्रामीण पुलिस द्वारा CPI (माओवादी) सदस्य होने के आरोप में गिरफ्तार किए गए एक ग्रामीण की पैरवी करने के लिए जिला मुख्यालय गए थे। यहां के ग्रामीण स्वीकार करते हैं कि अभी हाल तक सीपीआई (माओवादी) के सदस्य भोजन और आश्रय मांगने के लिए क्षेत्र में आते थे। शायद यही कारण है कि सरकारी अधिकारी गांव को नजरअंदाज करते थे।

एक नल के सहारे पूरा गांव

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