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82 साल से Warren Buffett की नेटवर्थ में शेयरों का दबदबा, Charlie Munger ने ऐसे की मदद

दिग्गज निवेशक वॉरेन बफेट (Warren Buffett) ने बर्कशायर हाथवे (Berkshire Hathaway) के शेयरहोल्डर्स को मार्केट की चाल और बर्कशायर की मौके को भुनाने की क्षमता के बारे में लिखा है। उन्होंने इस सालाना लेटर में अपने लंबे समय से सहयोगी रहे और मित्र चार्ली मंगर (Charlie Munger) को भी याद किया। चार्ली मंगर की पिछले साल नवंबर में मृत्यु हो गई थी

Edited By: Moneycontrol Newsअपडेटेड Feb 26, 2024 पर 8:24 AM
82 साल से Warren Buffett की  नेटवर्थ में शेयरों का दबदबा, Charlie Munger ने ऐसे की मदद
Warren Buffett के मुताबिक मार्केट की चाल का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है।

दिग्गज निवेशक वॉरेन बफेट (Warren Buffett) ने बर्कशायर हाथवे (Berkshire Hathaway) के शेयरहोल्डर्स को मार्केट की चाल और बर्कशायर की मौके को भुनाने की क्षमता के बारे में लिखा है। उन्होंने इस सालाना लेटर में अपने लंबे समय से सहयोगी रहे और मित्र चार्ली मंगर (Charlie Munger) को भी याद किया। चार्ली मंगर की पिछले साल नवंबर में मृत्यु हो गई थी। चार्ली मंगर का 99 साल की उम्र में निधन हुआ था और अगले जन्मदिन में महज 33 दिन रह गए थे। इस सालाना लेटर में उन्होंने मार्केट की चाल, अपनी नेटवर्थ में शेयरों के दबदबे और तेल सेक्टर में निवेश को लेकर जिक्र किया।

82 साल से नेटवर्थ में शेयरों का पलड़ा भारी

वॉरेन बफेट ने पहली बार 11 मार्च 1942 को कोई शेयर खरीदा था और उनका कहना है कि तब से लेकर आज तक उनकी याद में कोई ऐसा दिन नहीं रहा, जब उनकी नेटवर्थ में अधिकतर हिस्सेदारी शेयरों की न रही हो। तब से लेकर अब तक मार्केट इंडेक्स में बहुत फर्क आ चुका है। जिस दिन उन्होंने निवेश शुरू किया था, उस दिन डाऊ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 100 के नीचे गिर गया था और स्कूल की छुट्टी होने तक 5 डॉलर का घाटा हो गया था। हालांकि फिर चीजें सुधरीं और अब यह इंडेक्स 38 हजार के आस-पास है। वॉरेन बफेट की सलाह है कि निवेशकों के लिए अमेरिका बहुत शानदार देश रहा है लेकिन जरूरत है चुपचाप बैठने की और किसी की भी न सुनने की।

वॉरेन बफेट का कहना है कि बर्कशायर का लक्ष्य एकदम सिंपल है। इसकी कोशिश मौलिक और स्थायी कारोबार को पूरा या कुछ हिस्से की हिस्सेदारी लेना है। पूंजीवाद में कुछ कारोबार लंबे समय तक फलते-फूलते रहेंगे जबकि कुछ डूब जाएंगे। वॉरेन बफेट के मुताबिक यह पता लगाना बहुत मुश्किल है कि कौन जीतेगा, कौन हारेगा।

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