'अब गेंद राष्ट्रीय अध्यक्ष के पाले में है' लोकसभा चुनाव से पहले स्वामी प्रसाद मौर्य ने बढ़ा दी अखिलेश यादव की टेंशन!

स्वामी प्रसाद मौर्य ने पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के नाम लिखे त्यागपत्र को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर शेयर किया। उन्होंने कहा कि वह बिना पद के भी पार्टी को मजबूत करने के लिए तत्पर रहेंगे। विधान परिषद के सदस्य मौर्य ने पार्टी अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा है कि उन्होंने पार्टी का जनाधार बढ़ाने का काम 'अपने तौर-तरीके' से जारी रखा और BJP के ‘मकड़जाल’ में फंसे आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों के ‘स्वाभिमान’ को जगाने की कोशिश की

अपडेटेड Feb 14, 2024 पर 2:13 PM
Story continues below Advertisement
स्वामी प्रसाद मौर्य ने ये कहकर कि 'गेंद अब पार्टी अध्यक्ष के पाले में है', SP अध्यक्ष अखिलेश यादव की मुश्किलें भी बढ़ा दी हैं

स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya), यूपी की राजनीति के एक ऐसे नेता हैं, जो अपने विवादित बयानों और दल बदल के लिए भी जाने जाते हैं। एक बार फिर ऐसी संभावना है कि मौर्य समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) को भी अलविदा कह सकते हैं। इसके पीछे कारण बेशक राजनीतिक ही होगा। ये सब तब शुरू हुआ, जब एक दिन पहले मंगलवार को अचानक स्वामी ने सपा के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया। इसके एक दिन बाद यानि बुधवार को उन्होंने ये कहकर कि 'गेंद अब पार्टी अध्यक्ष के पाले में है', SP अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की मुश्किलें भी बढ़ा दी हैं।

दरअसल न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए स्वामी प्रसाद ने कहा, "फिलहाल मैंने सिर्फ पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा देने का फैसला किया है। अब गेंद राष्ट्रीय अध्यक्ष के पाले में है। राष्ट्रीय अध्यक्ष के एक्शन के आधार पर ही मैं आगे कोई निर्णय लूंगा।"


इससे पहले स्वामी प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव के नाम अपना त्याग पत्र लिखा और उसको सोशल मीडिया पर भी शेयर कर दिया। उन्होंने अपने पत्र में कहा कि वह बिना किसी पद के भी पार्टी को मजबूत करने के लिए तत्पर रहेंगे।

विधान परिषद के सदस्य मौर्य ने पार्टी अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा है कि उन्होंने पार्टी का जनाधार बढ़ाने का काम 'अपने तौर-तरीके' से जारी रखा और बीजेपी के ‘मकड़जाल’ में फंसे आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों के ‘स्वाभिमान’ को जगाने की कोशिश की।

उन्होंने कहा कि इस पर पार्टी के ही कुछ 'छुटभैये' और कुछ बड़े नेताओं ने उसे उनका निजी बयान कहकर उनके प्रयास की धार को कुंद करने की कोशिश की।

मौर्य ने कहा कि उन्होंने अपने बयानों के माध्यम से ‘ढोंग ढकोसले पाखंड’ और ‘आडंबर’ पर प्रहार किया जिनके जरिए वह लोगों को वैज्ञानिक सोच के साथ खड़ा करने और सपा से जोड़ने के अभियान में लगे थे, लेकिन पार्टी के कुछ नेताओं ने उनकी टिप्पणियों को उनका निजी बयान बता दिया।

उन्होंने कहा कि इसमें पार्टी के वरिष्ठतम नेता भी शामिल थे जो हैरान करने वाला था।

मौर्य ने पत्र में कहा कि उनके प्रयास से आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों का रुझान समाजवादी पार्टी की तरफ बढ़ा है और पूछा कि जनाधार बढ़ाने का प्रयास व वक्तव्य पार्टी का न होकर निजी कैसे हो जाता है?

मेरा कोई भी बयान निजी बयान कैसे हो जाता है?

उन्होंने कहा, “मैं नहीं समझ पाया एक राष्ट्रीय महासचिव मैं हूं, जिसका कोई भी बयान निजी बयान हो जाता है और पार्टी के कुछ राष्ट्रीय महासचिव व नेता ऐसे भी हैं जिनका हर बयान पार्टी का हो जाता है। यह समझ के परे है।"

मौर्य ने कहा, “यदि राष्ट्रीय महासचिव पद में भी भेदभाव है, तो मैं समझता हूं कि ऐसे भेदभाव पूर्ण, महत्वहीन पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं है। इसलिए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से मैं त्यागपत्र दे रहा हूं, कृपया इसे स्वीकार करें।"

उन्होंने कहा, "पद के बिना भी पार्टी को सशक्त बनाने के लिए मैं तत्पर रहूंगा। आपके द्वारा दिये गये सम्मान, स्नेह व प्यार के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।"

स्वामी प्रसाद मौर्य श्री रामचरितमानस और सनातन धर्म के साथ-साथ अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर भी कई विवादास्पद बयान दे चुके हैं, जिसको लेकर व्यापक स्तर पर तल्ख प्रतिक्रिया हुई थी। खुद उनकी पार्टी में ही उनका विरोध हुआ था।

प्राण प्रतिष्ठा के औचित्य पर सवाल उठाने पर विधानसभा में सपा के मुख्य सचेतक मनोज पांडे ने हाल ही में उन्हें विक्षिप्त व्यक्ति कहा था।

मौर्य ने पत्र में कहा कि उन्होंने पार्टी को ठोस जन आधार देने के लिए पिछले साल जनवरी-फरवरी में प्रदेशव्यापी भ्रमण कार्यक्रम के तहत रथ यात्रा निकालने का प्रस्ताव रखा था लेकिन पार्टी अध्यक्ष के आश्वासन के बाद भी कोई सकारात्मक परिणाम नहीं आया।

स्वामी प्रसाद मौर्य का राजनीतिक सफर

प्रदेश में पिछड़ों के बड़े नेता माने जाने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य पांच बार विधान सभा के सदस्य, उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री, सदन के नेता और विपक्ष के नेता भी रहे हैं।

वह योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व की भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकार (2017-2022) में श्रम मंत्री थे। वह 2021 तक भारतीय जनता पार्टी के सदस्य थे, जिसमें वह बहुजन समाज पार्टी में लंबे समय तक रहने के बाद शामिल हुए थे।

उन्होंने 11 जनवरी 2022 को योगी सरकार की कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। मौर्य ने सरकार पर पिछड़ों की उपेक्षा का आरोप लगाया था। हालांकि उनकी पुत्री संघमित्रा मौर्य BJP से अब भी सांसद हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य मायावती के नेतृत्व वाली सरकारों में भी मंत्री रहे थे।

पडरौना से विधायक रह चुके मौर्य 2022 के विधानसभा चुनाव में फाजिलनगर से चुनाव लड़े थे मगर बीजेपी के सुरेंद्र कुमार कुशवाहा से हार गए थे। इसके बाद सपा ने उन्‍हें विधान परिषद का सदस्य बनाया और संगठन में राष्‍ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी सौंपी थी।

Shubham Sharma

Shubham Sharma

First Published: Feb 14, 2024 1:52 PM

हिंदी में शेयर बाजारस्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंसऔर अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।