Lok Sabha Elections 2024: बनने से पहले ही क्यों ढह गया I.N.D.I.A. गुट का किला, लोकसभा चुनाव में क्या करेगी कांग्रेस?

Lok Sabha Elections 2024: विपक्षी I.N.D.I.A. गठबंधन के नेताओं से पहले जब ये पूछा जाता था कि सीट शेयरिंग कब होगी, तब वह एक ही जवाब देते थे कि जनवरी के आखिर तक सीट बंटवारे की बात फाइनल कर ली जाएगी, लेकिन जनवरी तो निकला ही फरवरी आते-आते गठबंधन के साथी एक-एक कर गुट से बाहर हो लिए

अपडेटेड Feb 20, 2024 पर 8:30 PM
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Lok Sabha Elections 2024: दिल्ली के जंतर-मंतर पर लोकतंत्र बचाओ प्रदर्शन के दौरान I.N.D.I.A. गुट के नेता

Lok Sabha Elections 2024: पिछले साल जुलाई में विपक्षी दलों ने मिल कर एक नया गठबंधन बनाया था, जिसका नाम रखा गया- इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव एलायंस (I.N.D.I.A.) वैसे तो ये गुट आने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जीत ओर बढ़ने से रोकने के लिए बनाया गया था, लेकिन समय के साथ-साथ अब विपक्षी एकता का किला ढहता दिखाई दे रहा है। इस गुट के सभी प्रमुख दलों- तृणमूल कांग्रेस (TMC), आम आदमी पार्टी (AAP), जनता दल-यूनाइटेड (JDU) और राष्ट्रीय लोक दल (RLD) ने सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस (Congress) से अपना समर्थन वापस ले लिया है।

विपक्षी दलों और कांग्रेस के बीच तनाव अब खुलकर सामने आ गया है, क्योंकि समाजवादी पार्टी (SP) प्रमुख अखिलेश यादव ने सोमवार को लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे का फैसला होने तक राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' (Bharat Jodo Nyay Yatra) में शामिल होने से इनकार कर दिया।

रिपोर्टों से पता चलता है कि सपा और कांग्रेस दोनों 19 फरवरी को हुई सीट-बंटवारे की बातचीत पर किसी निर्णय पर पहुंचने में विफल रहे हैं, क्योंकि अखिलेश यादव कांग्रेस को बिजनौर, बलिया और मुरादाबाद सीटें देने के लिए तैयार नहीं हैं।


India Today ने सूत्रों के हवाले से अपनी एक रिपोर्ट में बताया, सपा का गढ़ मानी जाने वाली बलिया सीट पर कांग्रेस अपने प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के लिए चुनाव लड़ रही थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा ने मुरादाबाद सीट जीती थी, जबकि कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही थी।

सपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) के लिए पहले ही उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, जिसमें गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी के भाई और सांसद अफजाल अंसारी का नाम भी शामिल हैं।

JDU, जिसने I.N.D.I.A. की नींव रखने में अहम भूमिका नभाई, वो अब खुद इस गठबंधन का हिस्सा नहीं है, क्योंकि नीतीश कुमार ने मीडिया से कहा था कि वहां "सब कुछ ठीक नहीं " और NDA में लौट आए।

AAP और TMC का क्या?

TMC सुप्रीमो और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पिछले महीने साफ कर दिया था कि उनकी पार्टी पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। उनके इस ऐलान से त्रिकोणीय लड़ाई का रास्ता साफ हो गया। ऐसे में राज्य का वोट TMC, BJP, कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन के बीच में बंट जाएगा। तीसरी इकाई पश्चिम बंगाल के अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में TMC वोटों में सेंध लगा सकती है।

टीएमसी ने पिछले लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन के आधार पर कांग्रेस को पश्चिम बंगाल में दो सीटों की पेशकश की थी, जहां उसे 4% से भी कम वोट शेयर मिल सका था। लेकिन कांग्रेस अपनी मांग पर अड़ी रही और उसके नेता अधीर रंजन चौधरी ने ऐसी बयानबाजी की, जिससे ममता नाराज हो गईं।

बंगाल की सीएम ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस के प्रति अपनी नाराजगी भी जाहिर की और उसे क्षेत्रीय दलों की राजनीति से दूर रहने की चेतावनी दी। उन्होंने कहा था, "हमने पहले ही कहा है कि क्षेत्रीय पार्टियों को अपने क्षेत्र में बीजेपी से मुकाबला करने दीजिए और कांग्रेस 300 सीटों पर बीजेपी से लड़े।"

इस बीच, AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि वह कांग्रेस को नजरअंदाज करते हुए दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेंगे। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने दिल्ली की सभी सात सीटों पर जीत हासिल की।

केजरीवाल ने ये भी साफ किया कि 2024 के आम चुनावों के लिए पंजाब में 13 सीटों और चंडीगढ़ में एक सीट के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन करने का उनका कोई इरादा नहीं है।

The Hindu की एक रिपोर्ट में AAP के एक शीर्ष नेता के हवाले से कहा गया है, "चुनिंदा सीटों पर, जहां BJP या अकाली मजबूत हैं। हम एक-दूसरे का समर्थन करने की समझ बना सकते हैं, लेकिन पूरे पंजाब में सीटों के बंटवारे की कोई जरूरत नहीं है।"

पंजाब में 2019 के लोकसभा चुनावों में, कांग्रेस ने SAD की दो सीटों और BJP की दो सीटों के मुकाबले आठ सीटें जीती थीं। तब आप को सिर्फ एक सीट पर जीत मिली थी। चंडीगढ़ सीट BJP की किरण खेर ने जीती।

क्या है कांग्रेस का स्टैंड?

कांग्रेस वरिष्ठ सांसद और मीडिया इंचार्ज जयराम रमेश ने कहा कि TMC के बिना I.N.D.I.A. की कल्पना ही नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि कोई बीच का रास्ता निकलेगा और पश्चिम बंगाल में चुनाव में I.N.D.I.A. गठबंधन करेगा।

कांग्रेस ने पिछले महीने ही घोषणा की है कि वह आगामी चुनावों में 255 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जो 2019 के लोकसभा चुनावों की तुलना में कम सीटें हैं।

पिछले लोकसभा चुनाव में, कांग्रेस ने 421 सीटों पर चुनाव लड़ा और 52 पर जीत हासिल की। ​​यह बिहार में RJD के साथ, महाराष्ट्र में NCP, कर्नाटक में JDS, झारखंड में JMM और तमिलनाडु में DMK के साथ गठबंधन में थी।

पार्टी ने कहा कि उसने "उनके प्रभाव को ध्यान में रखते हुए" I.N.D.I.A. की पार्टियों के साथ राज्य-दर-राज्य आधार पर बातचीत करने का फैसला किया है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टियों से अपने मतभेदों को दूर करने और पार्टी के आंतरिक मामलों के बारे में एक-दूसरे के खिलाफ कोई भी बयान देने से बचने को कहा है।

आगे का रास्ता क्या है?

सात महीने पहले पटना में अपने गठन के बाद से 28 विपक्षी दलों के I.N.D.I.A. ब्लॉक ने मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए कोई बड़ा आउटरीच प्रोग्राम तक नहीं किया है। धारणा बनाने के लिए इसकी निरंतर लड़ाई ने आंतरिक कलह के घावों को जितना छिपाया जा सकता है, उससे कहीं ज्यादा सबके सामने खोल कर रख दिया है। गठबंधन संकट में है और संयुक्त अभियान या चुनाव रणनीति के लिए अपनी संरचना को बरकरार रखने के लिए संघर्ष कर रहा है।

कांग्रेस को सीट-बंटवारे समझौते और चुनाव के बाद के समझौते के आधार पर राज्य गठबंधन पर विचार करना होगा। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के प्रमुख राज्यों में कांग्रेस का BJP के हाथों हारना अनसुलझे संघर्ष (सचिन पायलट और अशोक गहलोत), सत्ता-विरोधी लहर (बूढ़ा घोड़ा कमल नाथ), अति आत्मविश्वास (भूपेश बघेल) और राज्य नेतृत्व को कोई महत्व न देना पतन का कारण बन सकता है।

MoneyControl News

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First Published: Feb 20, 2024 8:28 PM

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