Lok Sabha Elections 2024: नाम नहीं काम बोलता है....अमेठी (Amethi) में चाय की दुकान चलाने वाले राजेश जयसवाल का कुछ इस अंदाज में आने वाले लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) में कांग्रेस (Congress) के भाग्य के बारे में बताते हैं। गांधी परिवार का यह इलाका गतिविधियों से भरपूर है। कांग्रेस के कभी न दिखने वाले पार्टी कार्यकर्ता अचानक सामने आ गए हैं, क्योंकि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की भारत जोड़ो न्याय यात्रा (Bharat Jodo Nyay Yatra) उस इलाके से होकर गुजरने वाली है, जहां से वह दो बार चुनकर संसद पहुंचे। पिछले पांच सालों में यह उनकी तीसरी यात्रा है।
चाय के दौरान, स्थानीय लोग पूछते हैं, “क्या वह (राहुल) आपको गंभीर लगते हैं? उन्होंने हमें वायनाड के लिए क्यों छोड़ दिया? जब वह हमारे सांसद थे, तब भी वह कम ही आते थे और अपने दोस्तों को दिल्ली से घुमाने के लिए ले आते थे। कोई काम नहीं हुआ।”
कांग्रेस से बीजेपी में आए अमेठी के राजा संजय सिंह ने News18 से कहा, "यहां बहुत काम हुआ है। सच कहें तो राजीव और सोनिया गांधी ने यहां से बहुत कुछ किया, लेकिन राहुल गांधी ने कुछ नहीं किया।"
अमेठी को लेकर अटकलें हुईं तेज
सोनिया गांधी के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) से हटने के बाद, अमेठी के भविष्य को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। अमेठी में सीमेंट फैक्ट्री के अलावा स्कूल और अस्पताल भी खुले हैं। लेकिन केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के पक्ष में, जो बात काम करती है, वो ये है कि वह महीने में कम से कम दो बार अपने निर्वाचन क्षेत्र अमेठी में रहती हैं।
राजनीतिक विश्लेषक और बीजेपी समर्थक गोविंद सिंह चौहान कहते हैं, "वे दिन गए जब कोई सांसद कभी-कभार आकर दिल्ली से काम करा सकता था। लोग ऐसा सांसद चाहते हैं, जो उनसे मिले, उन्हें नाम से जाने और उनका व्यवहार कुशल हो।"
प्रियंका के लिए भी आसान नहीं रायबरेली की राह
यही वो बात है, जिसने अमेठी में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को नुकसान पहुंचाया है और रायबरेली में सोनिया गांधी को नुकसान पहुंचा सकता है। क्योंकि कांग्रेस प्रियंका वाड्रा को अमेठी से मैदान में उतारने और इंदिरा गांधी कार्ड खेलने पर विचार कर रही है, इसलिए कोई जरूरी नहीं है कि वह जीत सकेंगी। स्थानीय लोगों का कहना है, "अगर सोनिया नहीं तो कम से कम प्रियंका अपनी मां की अनुपस्थिति में निर्वाचन क्षेत्र का दौरा कर सकती थीं।"
ऐसी संभावना है कि कांग्रेस ये निर्णय ले सकती है कि गांधी परिवार को इन दोनों चुनावों को छोड़ देना चाहिए। राहुल गांधी के लिए दो बार मुंह की खानी ऐसी बात है, जिसे पार्टी बर्दाश्त नहीं कर सकती। प्रियंका वाड्रा भी चुनाव लड़ने से इनकार कर सकती हैं या, जैसे कैप्टन सतीश शर्मा को एक बार रायबरेली से चुनाव लड़ाया गया था, इस बार भी पार्टी सही समय के लिए सीट को गर्म रखने के लिए किसी को मैदान में उतार सकती है।