केंद्र सरकार लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) से ठीक पहले नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू कर सकती है। खबर है कि मार्च के पहले हफ्ते में CAA को लागू किया जा सकता है। इस दिशा में सरकार ने कदम बढ़ाना भी शुरू कर दिया है। NDTV की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया कि अगले महीने के पहले हफ्ते या इसके बाद कभी भी देश में CAA के नियमों को लागू कर दिया जाएगा। इसके साथ ही CAA कानून भी देशभर में लागू हो जाएगा।
रिपोर्ट में सरकार में उच्च पदस्थ सूत्रों के हवाले से ये भी बताया गया कि CAA लागू करने के लिए केंद्र ने एक पोर्टल भी तैयार कर लिया है। अधिकारियों ने बताया कि CAA के नियम और पोर्टल दोनों तैयार हैं।
अधिकारियों ने कहा, "पोर्टल इसलिए बनाया गया है, क्योंकि पूरा प्रोसेस ऑनलाइन होगा। साथ ही नागरिकता के लिए आवेदन करने वालों को वो साल भी बताना होगा कि कब उन्होंने बिना किसी यात्रा दस्तावेज के भारत में एंट्री की थी। इसके अलावा उनसे कोई दस्तेवाज नहीं मांगा जाएगा।"
इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी शनिवार को कहा था कि देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लागू करने की गाइडलाइन आने वाले लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) से पहले जारी कर दी जाएंगी। इसके तुरंत बाद लाभार्थियों को भारत की नागरिकता देने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी।
अमित शाह ने कहा, "CAA देश का कानून है और इसकी नोटिफिकेशन जरूर जारी होगी। इसे चुनाव से पहले जारी किया जाएगा। इसे लेकर किसी को कोई भ्रम नहीं होना चाहिए" उन्होंने कहा कि पड़ोसी देशों के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देना कांग्रेस नेतृत्व का भी वादा था।
CAA से नहीं छीनी जाएगी किसी की नागरिकता
इस कानून को लेकर फैले भ्रम को भी सरकार ने साफ किया और बताया कि CAA के तहत तीन पड़ोसी देशों से आए अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी जाएगी, न कि किसी की मौजूदा नागरिकता छीन ली जाएगी।
खुद गृह मंत्री ने इसे लेकर कहा, "हमारे मुस्लिम भाइयों को सीएए के मुद्दे पर भड़काया जा रहा है। CAA के जरिए किसी की नागरिकता नहीं छीनी जा सकती है, क्योंकि इस कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। ये उन लोगों को नागरिकता देने के लिए बनाया गया है, जो बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न का सामना करके आए हैं। इस कानून का किसी को विरोध नहीं करना चाहिए।"
CAA कानून या नागरिकता संशोधन कानून 2019 तीन पड़ोसी देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश के उन अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने के लिए लाया गया था, जिन्होंने लंबे समय से भारत में शरण ली हुई है। खास कर ऐसे अल्पसंख्यक जो इन पड़ोसी देशों से उत्पीड़न झेलकर और जान बचाकर भारत आए हों।
दरअसल पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान तीनों ही इस्लाम बहुल देश हैं और गैर-इस्लामी लोगों, यानी हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन अल्पसंख्यक हैं।