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RBI monetary policy: RBI के गवर्नर ने दी शेयर बाजार को चेतावनी, जानिए निवेशकों को किस चीज से दूर रहने की मिली है सलाह

गवर्नर ने कहा कि त्योहारी सीजन खत्म होने के बाद करेंसी सर्कुलेशन में गिरावट, सरकारी खर्च में बढ़ोतरी और पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स के वापस आने पर फॉरेन फंड इनफ्लो बढ़ने से लिक्विडिटी की स्थिति में सुधार हो सकता है। उन्होंने मार्केट को आश्वस्त करते हुए कहा कि सिस्टम में पर्याप्त लिक्विडिटी मौजूद है

MoneyControl Newsअपडेटेड Dec 07, 2022 पर 4:11 PM
RBI monetary policy: RBI के गवर्नर ने दी शेयर बाजार को चेतावनी, जानिए निवेशकों को किस चीज से दूर रहने की मिली है सलाह
देश की ओवरऑल मॉनीटरी और लिक्विडिटी स्थिति ऊंचे स्तरों पर नजर आ रही है। ऐसे में आरबीआई ने सिस्टम से लिक्विडिटी को कम करने पर फोकस बनाए रखा है

RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने 7 दिसंबर को कहा कि बाजार को सिस्टम में उपलब्ध सरप्लस लिक्विडी पर अपनी निर्भरता घटानी चाहिए। उन्होंने कहा"रिजर्व बैंक लिक्विडिटी में लचीलापन बनाए रखने और लिक्विडिटी ऑपरेशन को द्विपक्षीय बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन बाजार भागीदारों को भी अपने को लिक्वीडिटी सरप्लस के ओवरहैंग से दूर रखना चाहिए।" RBI गवर्नर ने आज ये बातें आरबीआई पॉलिसी का ऐलान करते समय कहीं। बता दें कि आज RBI ने ब्याज दरों (रेपो रेट) में 0.35 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है। RBI ने रेपो रेट 0.35 फीसदी बढ़ाकर 6.25 कर दिया है। रेपो रेट 5.90 फीसदी से बढ़कर 6.25 फीसदी हुआ है। आरबीआई एमपीसी ने ग्रोथ को सपोर्ट करते हुए बढ़ती महंगाई से निपटने के लिए सिस्टम से अतिरिक्त लिक्विडिटी को निकालने के रुख को बरकरार रखा है

अक्टूबर-नवंबर में बैंकिंग सिस्टम की लिक्विडिटी में और कमी आई 

शक्तिकांत दास ने कहा कि अक्टूबर-नवंबर में बैंकिंग सिस्टम की लिक्विडिटी में और कमी आई है। इस अवधि में लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फेसिलिटी (LAF)के तहत औसत कुल अवशोषण (average total absorption)अगस्त-सितंबर के 2.2 लाख करोड़ रुपए से घटकर 1.4 लाख करोड़ रुपए पर आ गया। उन्होंने आगे कहा कि उसके बाद से इसमें बढ़त देखने को मिली है और ये 5 तक 2.6 लाख करोड़ रुपए के स्तर पर आ गया। देश की ओवरऑल मॉनीटरी और लिक्विडिटी स्थिति ऊंचे स्तरों पर नजर आ रही है। ऐसे में आरबीआई ने सिस्टम से लिक्विडिटी को कम करने पर फोकस बनाए रखा है।

गवर्नर ने आगे कहा कि त्योहारी सीजन खत्म होने के बाद करेंसी सर्कुलेशन में गिरावट, सरकारी खर्च में बढ़ोतरी और पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स के वापस आने पर फॉरेन फंड इनफ्लो बढ़ने से लिक्विडिटी की स्थिति में सुधार हो सकता है।

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